कश्मीर की कली
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02-05-2014, 05:59 PM
Post: #1
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![]() मैं श्रीनगर कश्मीर से सोनिया कौर अपने तजुर्बे आप लोगों से शेयर करना चाहती हूँ। कश्मीर को धरती पे स्वर्ग कहा जाता है । यहाँ कुदरती खूबसूरती की भरमार है और यह बात यहाँ की लडकियों मैं भी है। कश्मीरी लडकियों की खूबसूरती के चर्चे बोहुत दूर तक हैं और वोही चर्चे मेरे भी हैं। मैं कॉलेज ख़तम कर चुकी हूँ और नोकरी करती हूँ। सेक्स की आदत छोटी उम्र से लग गयी और उसका कारण था यहाँ के मर्दों की भूख। एक लड़का आकाश कुमार हमारे पड़ोस मैं रहता था और जब भी मैं बाकी बच्चो के साथ खेल रही होती तो वो मुजे साइड पे बुला के मेरे जिस्म पे हाथ फेरा करता और मेरे होंठों को चूसा करता। 10 मिनट ऐसा करने के बाद वह मुझे टॉफी दे देता और बोलता किसी को नसुनाना वरना टॉफी नही मिलेगी। ऐसा काफी दिनों तक चलता रहा और फिर एक दिन वो मुझे अपने घर ले गया। वहां सोफ़ा पे लिटा के उसने पहले 5 मिनट मुजे चूम चूम के बेहाल कर दिया। फिर अपनी पेंट उतार के मुझे अपना लिंग पकड़ा दिया। मैं हैरान थी क्युकी पह्की बार खड़ा लिंग देख रही थी। उसने मुझे पुछा की टॉफी पसंद है या चोकलेट तो मेने कहा चाकलेट। उसने मुझसे कहा की अगर चाकलेट चाहिए तो उसका लिंग मसलना पड़ेगा।
मैं भोली भाली थी। मुझे क्या पता यह सब क्या होता हे। मैं उसका लिंग मसलने लगी और वोह भी मेरे जिस्म पे हाथ फेरने लगा। फिर उसने मुजे चुम्बन दे के लिटाया और मेरी पेंटी उतार दी और मेरी जान्घों के बीच अपना लिंग फंसा के आगे पीछे झटके देने लगा। साथ ही वोह हमारे मोहल्ले की सबसे सेक्सी सरदारनी जिसका नाम रोमा कौर था और जो मेरी दूर की बेहेन थी उसका नाम ले रहा था। मैं हैरान परेशान सी सोफा पे लेटी हुई यह झेलती रही। फिर उसने मुझे उलटी लिटा दिया पेट के बल और पीछे से मेरी टांगो में लिंग सटा के धक्कम पेल करने लगा। 5 मिनट बाद उसने मुझे सीधी करके मेरे पेट और झांघो पे सफ़ेद गाढ़ा पानी निकाल दिया। मैं हैरान हो गयी क्युकी पहली बार यह देखा था। मेने पुछा यह दही कहाँ से आया तोह वोह हस के बोला हाँ यह दही है स्वाद ले के देख मेने ऊँगली से उठा केजीब पे रखा तो अजीव सा नमकीन स्वाद आया। फिर उसने अपनी ऊँगली पे लगा के सारा मुझे पिला दिया। उसके बाद आकाश ने मुझे चोकलेट दी और बोल किसी से ना कहना। मुझे चोकलेट पसंद थी और फिर यह सिलसिला चल पड़ा।
वह तक़रीबन हर दुसरे या तीसरे दिन मेरा ऐसा करता और बदले में चोकलेट या चिप्स दे देता। पर एक बात थी उसने कभी भी मेरे सुराख़ में लिंग डालने की कोशिश नही की। यह था मेरा पहले योंन सम्बन्ध जो 6 महीने चला। फिर आकाश के पापा का तबादला किसी और शेहर हो गया। आकाश के चले जाने के बाद अगले कई साल मेरी जिंदगी में कोई नया लड़का नही आया। मैं अब बड़ी हो रही थी और मेरे अंदर नई नई उमंगें जवान होने लगी थी। टीवी पे फिल्मो में दिखने वाले सीन्स मुझे मस्त कर देते। रोमांटिक सीन्स देख देख के मैं भी अपने हीरो की राह देखने लगी थी। कोई भी लड़का मुझे देखता तोह मैं अंदर ही अंदर उम्मीद लगा बैठती की क्या येही हे मेरा राजकुमार। फिर वोह पल आ ही गया जब मेरा राजकुमार मेरे सपनो को पूरा करने चला आया। हमने अपना घर बदल लिया था और नये मोहल्ले में एक किराये के सेट में रहने चले आये थे। यह पुराने मोहल्ले से बड़ा और ज्यादा पोश एरिया था।
मैंने ध्यान दिया की दोलड़के आते जाते मुझे घूर के आपस में बातें करते हैं। वह दोनों classmate थे और मेरे स्कूल के सीनियर्स भी। मैं भी उनसे बात करना चाहती थी पर उनकी और से पहेल का इंतजार कर रही थी। कुछ दिन बीत गये और मेरी उस मोहल्ले में नई सहेलियां बन गयी। उनमे से सोना दीदी मेरी बेस्ट फ्रंड थी। वोह एकदम खुल्ले ख्यालों वाली पंजाबी कुड़ी थी। मोहल्ले के लडको से उसकी खूब पटती थी। एक शाम को हम पार्क में खेल रहे थे की तभी सोना दीदी कहीं गायब हो गयी। उनको ढूँढने के लिए मैं पार्क के पिछले कोने में गयी तोह वहां झाड़ियों से मुजे सोना दीदी के हस्सने की आवाज़ आई। मैं चोकन्नी हो गयी और बड़े ध्यान से करीब गयी। वहां जो हो रहा था उस से मेरे होश उड़ गये। सोना दीदी को दो लडको ने अपने बीच दबोच रखा था और उनकी स्कर्ट उठी हुई थी कमर तक। मेरे दिमाग में आकाश के साथ बिताये पल याद आने लगे और मेरा जिस्म मस्ती के सैलाब में बहने लगा।
मैं सोना दीदी की हरकतों को देख के हैरान भी थी और उनकी हिम्मत की दाद भी दे रही थी। तभी वह दोनों लडको पे मेरी नजर पड़ी तोह देखा की यह वही दोनों हैं जो मुझे घूरते थे। मैने ध्यान से उनकी बातों को सुना तो पता चला की वह मेरे ही बारे में बातें कर रहे थे। सोना दीदी ने उनको मेरा नाम बताया और कहा की वह दोनों सबर रखें तोह मेरी उनसे दोस्ती करवा देंगी। यह बात सुन के मेरा दिल मस्ती से कूदने लगा और मैं वहां से चली आई। 15 मिनट बाद वह तीनो भी आ गये और सोना दीदी ने मुझे बुला के अपने दोनों दोस्तों से परिचय करवाया। उनके नाम विक्की और योगी था।
विक्की ऊँचा लम्बा हट्टा कट्टा लड़का था। रंग सांवला और चेहरे पे शेव बनाई हुई थी जिस से अंदाजा हो गया की वह व्यस्क हो चूका था। मोहल्ले के सभी लड़ों पे उसका दबदबा था क्युकी वह बॉडी बिल्डिंग करता था जिम में और अमीर माँ बाप का इकलोता बेटा था। उसके पापा पंजाबी ब्राह्मण और माँ कश्मीरी पंडित थी। योगी कश्मीरी पंडित लड़का था। एकदम गोरा चिट्टा और चिकना पर बातों का उतना ही तेज़ और चिकनी चुपड़ी बातें करने वाला। विक्की ने दोस्ती का हाथ मेरी और बढाया और मैंने भी बिना देरी के अपना हाथ उसके हाथ में दे दिया। योगी भी मेरे पास आया और हाथ आगे बढाया पर विक्की मेरा हाथ छोड़ने को तयार ही नही था। सोना दीदी हस्स्ते हुए बोली सोनी कौर विक्की का हाथ छोड़ेगी या बेचारा योगी खड़ा रहे। मैं शर्म से लाल हो गयी पर विक्की ने बेशर्मो की तरह मेरा हाथ पकडे रखा। मुझे मजबूरी में अपने बायें हाथ से योगी का हाथ थामना पड़ा। यह देख के सोना दीदी बोली की तुम दोनों नई सरदारनी के चक्कर में पुरानी को भूल तोह नही जाओगे। इस्पे विक्की ने हस के कहा की चिकनी सिखनियो का साथ नसीब वालों को मिलता है। इस बात पे हम सब खूब खिलखिला के हस दिए और हमारी दोस्ती का सफ़र शुरू हो गयानये माहोल में आ के एज नये खुल्लेपन का एहसास होने लगा था।
विक्की और योगी से दोस्ती कर के नई उमंगे परवान चड़ने लगी थी। सोना दीदी भी खूब बढ़ावा देती थी मुझे। एक दिन शाम को हम सारे छुप्पा छुपी खेल रहे थे। मैं विक्की के साथ एक दीवार के पीछे छुप गये। योगी सोना दीदी के साथ उनके घर के टॉयलेट में छुप गये जो बाहर बना हुआ था लॉन में। विक्की ने मुझे अपने सामने कर लिया और चुप रहने को कहा। तभी राजू जो हम सबको ढूंड रहा था वहां आया पर हम विक्की ने मोका देखते मेरा हाथ पकड़ा और योगी के टॉयलेट की और दौड़ पड़ा। मैं भी विक्की का साथ देती हुई वहां पोहंच गयी। विक्की ने योगी से दरवाजा खोलने को कहा और फिर हम दोनों भी अंदर घुस गये। अब जो हुआ उसके लिए मैं बिलकुल तयार नही थी।विक्की मेरे पीछे खड़ा हो गया और योगी सोना दीदी के। फिर योगी ने अपने कूल्हे को सोना के नितम्बों पे रगड़ना शुरू कर दिया। मैं आंखें खोल के सोना को देख रही थी पर उसने मुझसे कहा ऐसा करने में बोहोत मज्जा आता हे। मैं कुछ समझ पाती उससे पहले विक्की ने अपने कूल्हे को मेरे नितंबो से लगा दिया। मेरी सिस्कारियां निकल गयी पर सोना ने मेरा हाथ थाम के मुझे चुप रहने का इशारा किया।
बाहिर राजू हमें ढूंड रहाथा और अंदर हम रासलीला कर रहे थे। विक्की ने अपना मोटा लम्बा लिंग मेरे नितंबो के बिच की दरार में फस्सा दिया था और अब हलके हलके धक्के दे के वोह मुझे आकाश की याद दिला रहा था। मेने घुटनों जितनी फ्रॉक पहनी थी और वोह भी अब विक्की ने हाथ से उठानी शुरू कर दी। मेरी गरम सांसें तेज़ी से चलने लगी और विक्की भी अब अपनी साँसों को मेरी गर्दन गले और पीठ पे छोड़ने लगा जिस से मेरी मस्ती दोगुनी होती गयी। सामने योगी ने सोना की स्कर्ट कमर तक उठा ली हुई थी और अपने कूल्हों को बड़ी तेज़ी से उसके नितंबो पे रगड़ रहा था। हम चारों की तेज़ सांसें उस छोटी सी जगह पे कोहराम मचा रही थी।
योगी ने सोना की पेंटी घुटनों तक खिसका दी थी। सोना की हालत बदहवासी से भरी हुई थी और वह योगी को उकसा रही थी । इधर विक्की बड़े ध्यान से मेरी हालत पतली करने मैं लगा हुआ था। मेरी फ्रॉक अब कमर तक उठ चुकी थी। मेरी पेंटी भी घुटनों तक खिस्सक गयी हुई थी और विक्की का लिंग भी बाहिर आ गया था। मेने अपने नग्न नितम्बों पर उसका गरम नंगा लिंग महसूस किया और बिजली के झटके से महसूस करते हुए विक्की के अगले कदम का इंतजार करने लगी। विक्की ने भी देर नहीं की और सीधे अपने लिंग को मेरी झांघो के बीच फस्सा दिया। मेरी उमंगें तरोताजा हो गयी और मैं हवस के खेल का खुल के मज्जा लेने लगी।
अब मेरी नज़र सोना पेपड़ी जो की घोड़ी की तरह झुकी हुई थी और तक़रीबन नंगी हो चुकी थी पूरी तरह। योगी ने अपने लिंग पे थूक लगा के सोना के नितंबो के बीच गुदा द्वार पर रख के तेज़ धक्का मारा । सोना की हलकी चीख निकली और फिर उसने अपने होंठो को दांतों तल्ले दबा दिया। उफ्फ्फ क्या नज़ारा था .... योगी का लिंग सोना के अंदर बाहर हो रहा था और सोना झुक्की हुई मज्जे ले ले के मरवा रही थी। मेरा मन किया की काश सोना की जगह मैं होती। तभी विक्की ने अपने लिंग पे थूक लगा दी और फिर मुझे झुकने को कहा। मैं भी बिना सोचे समझे झुक गयी और आने वाले तूफ़ान की तयारी करने लगी। फिर विक्की ने भी मेरी गुदा पर थूक लगा के ऊँगली अन्दर घुस्सा दी। मेरी सांस उपर की उपर और नीचे की निचे रुक गयी। पर कुछ ही पलों बाद सब सामान्य हो गया और अब विक्की की ऊँगली पूरी तेज़ी से मेरी गांड में अंदर बाहिर होने लगी। इसके बाद विक्की ने मेरी गांड में और थूक लगा के अपने लंड को लगा दिया। फिर मेरी पतली कमर को थाम के एक करारा शॉट मारा। मेरी जोर से चीख निकल गयी और मैंने विक्की को धक्केल के पीछे हटा दिया। विक्की ने मुझसे पुछा क्या हुआ तोह मैं बोली की बोहोत दर्द हुआ। इस्पे विक्की ने सोना की और इशारा करके कहा की यह भी तो पूरा लंड ले रही हे।
मैं घबरा गयी थी और गांड मरवाने का शोक मेरे दिमाग से उतर चुक्का था। विक्की ने भी मोके की नजाकत को समझते हुए मुझे छोड़ दिया। मैं उस टॉयलेट से बाहेर निकली और अपने घर चली गयी। पर सारी रात विक्की की अशलील हरकतें बार बार याद आती रही और सोना के कारनामे भी नींद उड़ाते रहे उस रात मुझे नींद नही आई। सारी रात करवट बदल बदल कर निकली। सुबह हुई तो मैं स्कूल को तयार हो के चल दी। दोपहर लंच ब्रेक में विक्की मेरे पास आया और हस्स्ते हुए पुछा कल दर्द हुआ था क्या। मेने सर हिला के इशारे से हाँ कहा। वोह बोला शुरू में दर्द होता हे फिर बाद में मज्जा आयेगा जेसे सोनलप्रीत लेती हे। मैंने सर हिल के हाँ कहा और फिर पुछा कि सोना दीदी को भी पहली बार दर्द हुआ था। इस्पे विक्की हस के बोला की सोनल प्रीत की जिसने फर्स्ट टाइम ली होगी उसको पता होगा हम तो उसके शिष्य हैं और उस्सी ने हमें यह सब सिखाया। मैं इस बात पे हस दी और विक्की भी मेरे साथ खूब हस्सा।
फिर विक्की मुझे स्कूल कैन्टीन ले गया और चिप्स पेप्सी वगेरा मंगवा दी। तभी वहां योगी और सोना भी आ गये। विक्की ने उठ के पहले योगी फिर सोना को हग किया ओर हम चारो बेठ गये। विक्की बोला चलो आज बंक मार के फिल्म देखने चलते हैं। मैंने मना किया तो विक्की ने कहा सोनल प्रीत और योगी तुम दोनों चलोगे क्या। वह तयार हो गये। फिर तीनो स्कूल के पिछले गेट पे गये और विक्की ने वहां खड़े दरबान को 50 रूपए दिए तोह उसने गेट खोल दिया। तभी सोना ने मुझे आने का इशारा किया। मेरी कुछ समज में आये उससे पहले विक्की मेरे पास आया और हाथ पकड़ के साथ चल पड़ा। मैं कोई विरोध नहीं कर पाई और हम चारो स्कूल से बाहर आ गये।
हम सब सिनेमा पोहंच गये और विक्की ने 4 टिकेट खरीदे। हम अंदर पोहंचे तोह फिल्म स्टार्ट हो गयी थी। इमरान हाश्मी और उदिता गोस्वामी की अक्सर में खूब गरमा गरम सीन थे और जब तक हम सीट पे बेठें तब तक इमरान ने उदिता को चूमना चाटना शुरू कर दिया था। मैं और सोना बीच में बेठे और योगी विक्की हमारे साइड पे। विक्की मेरी और था इसलिए मैं उसकी शरारतों के लिए मन ही मन तैयार थी।
और उसने भी समय बर्बाद नही किया। सीधे अपने हाथ को मेरी झांघ पे रख के हलके हलके मसलने दबाने लगा। मैं उस समय उतेजना से भर गयी और अपने सर को उसके कंधे पे टिक्का के उसको ग्रीन सिग्नल देदी। वोह बायें हाथ से झांघों को मसलने में लगा था और दायें हाथ को मेरे कंधो से होते हुए मेरे उरोजों को मसलने लगा। पहली बार मुझे अपने मम्मों पे किसी मर्द के स्पर्श का असर महसूस होने लगा । इतना मज़्ज़ा आता होगा मम्मे दबवाने में तो कब की शुरू हो गयी होती। उधर योगी ने सोनल प्रीत की स्कर्ट के अंदर हाथ दाल के उसकी हालत खराब कर दी थी। साथ ही वोह उसके मम्मों को बारी बारी से निचोड़ रहा था। मैं उसकी हरकतों को देख रही थी की तभी योगी ने मेरी और देख के गन्दा इशारा किया। मैं नाक मरोड़ के उसके इशारे को अनदेखा कर दिया। तभी उसने सोनल की शर्ट के उपर वाले 2 बटन खोल के उसमे अपना हाथ घुसा दिया। मेरी तो आंखें फटी की फटीरह गयी पर सोनल प्रीत उसका पूरा साथ देती हुई मुस्कुराती हुई मम्मे दबवाती रही। यहाँ विक्की ने भी अपनी हरकत तेज़ करते हुए मेरी शर्ट के 2 बटन खोल दिए और हाथ अंदर दाल दिया। मेरी चीख निकल गयी पर उसनेदुसरे हाथ से मेरा मुह दबा दिया। योगी सोना और विक्की तीनो मुझे घूर के देखने लग्गे। मैं भी शर्मिंदा महसूस करती हुई सोरी सोरी कहने लगी। सोनल प्रीत ने मुझे डांट लगाते हुए कहा की अब मैं बच्ची नही रह गयी हूँ। मैं भी शर्म से लाल हो गयी थी और उसको भरोसा देते हुए बोली की आगे से ऐसा नही होगा।
मैं शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी। विक्की का हाथ मेरी शर्ट के अंदर था और मेरे नग्न उरोजों के साथ जी भर के खेल रहा था। मैं अपनी कक्षा की उन गिनी चुनी लड़कियों में से थी जो ब्रा पेहेन के आती थी। सोनल प्रीत मुझसे 2 कक्षा आगे थी परन्तु मेरे उरोज उसके उरोजो को अभी से टक्कर देरहे थे। विक्की ने मेरी ब्रा में हाथ डाला हुआ था और मेरे चिकने मम्मे कस कस से निचोड़ने में लगा हुआ था। मेरी हालत खराब होती जा रही थी। योनी से रस बह बह केपेंटी को गीली कर चूका था। सांसें उखाड़ने लगी थी हवस के सैलाब में। उधर मेरी दाएँ ओर बेठी सोनल प्रीत की हालत मुझसे भी खराब थी। योगी कभी सोना के होंठ चूसता तो कभी अपना मूंह उसके मम्मों पे रख देता जिन्हें वोह ब्रा से बाहेर निकाल चूका था। सोनल के निप्पल मूंह में लेके वोह चूसे जा रहा था और सोनल प्रीत के चेहरे पे हवस के रंग साफ़ झलक रहे थे।
हमारे आस पास भी येही सब चल रहा था। जवान जोड़े अपनी रंग रलियों में बेखबर योंन सुख का आनंद ले रहे थे। अब योगी ने अपनी अगली चाल चलते हुए ज़िप खोल के अपने लिंग को बाहर निकाल लिया। सोनल प्रीत ने भी झट से उसके चार इंची लिंग को थाम के मसलना शुरू कर दिया। उनको देख विक्की केसे पीछे रहता। उसने भी ज़िप खोली और अपना लंड बाहर निकाल लिया। उफ्फ्फ में उसका लंड देखते ही परेशान हो गई क्युकी वह योगी के लिंग से दो इंच लम्बा ओर दो गुना मोटा था। उसका लंड अभी से कॉलेज के लडको के साइज़ का हो गया था। मैंने अपने कांपते हुए हाथ उसके लंड पे रख के महसूस किया की उसके लंड में आग जेसी गर्मी और दिल जेसी धड़कन थी। मेरे हाथ का स्पर्श पाते ही विक्की का लंड उछल उछल के हिलने लगा। विक्की अपने हाथो से मेरे जिस्म को गरमा रहा था और मैं भी जोश में आ के तेजी से उसके लिंग पे अपने हाथ फिसला फिसला के योंन सुख ले रही थी। उधर सोना के हाथ तेजी से योगी का हस्त मैथुन कर रहे थे कि तभी योगी के लिंग से सफ़ेद गाढ़ा माल पिचकारी मारता हुआ छूट गया और सोनल प्रीत के हाथों को भर गया। इधर मैं जोश से भर गयी और तेजी से विक्की के लंड की सेवा करने लगी। कुछ पलों में विक्की ने भी अपनी पिचकारी छोड़ दी पर उसने मेरे सर को थाम के अपने लंड पे झुका लिया जिस कारण उसका माल मेरे हाथों से साथ साथ ठोड़ी और होंठो पे भी गिरा। पूरानी यादें ताज़ा हो गयी जब मेने अपने होंठो पे जीभ फेरी। वोही नमकीन सा स्वाद और चिपचिपा एहसास।
हमने अपने आप को संभाला और साफ़ सफाई करके बैठ गये। फिल्म ख़त्म हुई और हम सब बाहिर आ गये। मैं शर्म से सर झुका के चल रही थी पर सोना के चेहरे पे कोई शर्म नही थी। वह उन दोनों लड़कों से हस हस के बातें करती चलती रही। तभी विक्की ने मेरा हाथ थाम लिया और पुछा क्या बात है चुप क्यूँ हो। इसपे मेने विक्की की आँखों में आंखें ड़ाल के कहा कि यह सब ठीक नही जो हम कर रहे हैं। विक्की मुस्कुराया और बोला तुम मेरी गर्ल फ्रेंड बनोगी। मैं ख़ुशी से फूले नही समा रही थी और मेने झट से सर हिला के हामी भर दी। शायद मुझे विकी से प्यार हो गया था सिनेमा के अंदर हुए अनुभव ने मुझे बोल्ड बना दिया था और अब मैं काफी खुल गयी थी। स्कूल और घर दोनों जगह विक्की मेरे साथ मस्ती करने का कोई मोका नही छोड़ता। विक्की के लिंग का हस्त-मैथुन करते करते और उस से निकले वीर्य का स्वाद लेते लेते दो हफ्ते हो गये थे। फिर एक दिन शनिवार कोहाफ-डे स्कूल छुट्टी के बाद विक्की मुझे अपने घर ले गया।
वहां उसने मुझे अपना आलिशान दो मंजिला बंगला दिखाया । उस समय वहां उसके नोकर के सिवा कोई ओर नही था। फिर अंत मैं जब पूरा बंगला अन्दर बाहर से देख लिया तो वह मुझे अपने मम्मी-पापा के बेडरूम ले गया। वहां उसने एक अलमारी खोली और किताबों के निचे से एक मैगज़ीन निकाली। मैं तब तक बिस्तर पे बेठ चुकी थी। विक्की ने वो रंगीन मैगज़ीन मेरे सामने रख के कहा यह ब्लू-मैगज़ीन हे। मेने पहले कभी ब्लू-मैगज़ीन नही देखी थी पर देखने की इच्छा जरुर थी। मेने पहला पन्ना खोला तो दंग रह गयी। उसपे ढेर सारी तसवीरें थी जिन में अंग्रेज युगल सम्भोग की अलग अलग क्रिया में दिख रहे थे। मेने विक्की की और देखा और मुस्कुराते हुए पुछा कि ये गन्दी मैगज़ीन कहा से लायी तो उसने बिलकुल बेबाकी से कह दिया की मम्मी पापा की हे। मैं हैरान हो गयी और दो पल के लिए यह सोचने लगीकहीं मेरे मम्मी पापा भी तो ऐसी गन्दी मैगज़ीन नही देखते। खैर मैं वापिस मैगज़ीन में खो गयी और पन्ने पलटा पलटा के सेक्स को नये तरीके से जानने लगी। उसमे हस्त-मैथुन तो था ही पर पहली बार गुदा-मैथुन, मुख-मैथुन और योनी-मैथुन के नज़ारे देखने को मिल रगे थे। ओर साथ ही साथ एक मर्द-दो लडकियां या एक लड़की-दो मर्द एकसाथ सेक्स करते देखने को मिले। यह सब देख देख के मेरी हालत का अंदाज़ा आप सब लगा ही सकते हो, एक तो कच्ची उम्र उपर से बॉय-फ्रेंड का साथ। मेरी योनी गीली होचुकी थी और जिस्म हवस की गर्मी से लाल हो गया था। विक्की भी शायद इसी मकसद से मुझे अपने घर लाया था और अब मेरी हालत से उसको मेरे किले में अपना झंडा गाड़ के जीत का जशन मानाने का आसान मोका दिख रहा था मैगज़ीन देखते देखते मेरा मन बोहत विचिलित हो चूका था। मेरे हाथ पैर थरथरा रहे थे ओर सर भारी हो गया था। जेसे जेसे पन्ने पलट रही थी वेसे वेसे हवस की दासी बनती जा रही थी । अब विक्की ने अपनी चाल चली और मुझे पकड़ के पेट के बल लिटा दिया और खुद मेरे उपर चढ़ गया । मैं कुछ कहती उस से पहले मैगज़ीन मेरे सामने रख दी और बोला ऐसे देख। उसका 6 इंची लंड मेरे पिछवाड़े की दरार में सटा हुआ महसूस हो रहा था।
अब विक्की मैगज़ीन के पेजपलटा रहा था और मुझे समझा भी रहा था की यह पोज केसे लेते हैं। पर मेरा ध्यान अब उसके लिंग पे था जो मेरे पिछवाड़े को निहाल कर रहा था। मेने स्कूल ड्रेस पहनी हुई थी, स्कर्ट और शर्ट। विक्की ने अब मुझसे कहा की वो मुझे मैगज़ीन वाला मज्जा देना चाहता हे। मेने भी व्याकुल मन सेहामी भर दी ओर उसको ग्रीन सिग्नल दिया। विक्की ने मेरी स्कर्ट उठाना शुरू किया। मेरी चिकनी जवानी नंगी होती जा रही थी। स्कर्ट कमर तक उठा देने के बाद विक्की ने मेरी पेंटी झटके से निचे खींच दी और पेरों से बाहर करके मुझे कमर के निचे पूरी नंगी करके मेरे चिकने शरीर पे अपनी हाथ फेरने लगा। अब मैं बिलकुल से हवस की गिरिफ्त में थी ओर विक्की की अगली चालका इंतजार करने लगी। तभी विक्की ने मैगज़ीन को वोह पन्ना खोला जिस पे गुदा-मैथुन की तस्वीर थी । मैं विक्की का इशारा समज गयी और मन ही मन से खुद को तयार करने लगी । विक्की ने अब मेरे चिकने मांसल और गुदाज चुतड की दो फांको को अपने दो हाथो से चीर के अलग किया और फिर पुछा की थूक लगाऊं या तेल? मेने कोई जवाब नही दिया तो उसने थूक लगा के मेरी गांड को चिकनी करना शुरू कर दिया। अच्छी तरह से थूक लगाने के बाद उसने ऊँगली मेरी गांड में घुस्सा दी। मेरी हलकी सी चीख निकली पर ऊँगली अंदर घुस चुकी थी और अब विक्की उसको अंदर बाहर करने लगा।
मेरे अंदर हवस का तूफ़ान तेज होता जा रहा था। विक्की ने अब ऊँगली निकाल ली और फिर से थूक लगा के गांड को चिकनाई से भरने लगा। फिर उसने अपनी पेंट उतार दी। अपने लिंग पे थूक लगा कर मेरे गुदा-द्वार पे थूका और उसपे लिंग टिका के बोला – सरदारनी, तयार हो जा। थोडा दर्द होगा पहले फिर मज़ा ही मज़ा। मेने लम्बी सांस ली और शरीर ढीला छोड़ दिया । विक्की ने मेरे चुतड खोल के लंड को एक झटका देते हुए मेरी गांड में घुसेड़ना चाहा पर सुराख तंग होने के कारण लंड फिसल गया। विक्की ने मुझे अपने दोनों हाथ पीछे लाने को कहा और बोला कि में अपने चुतड हाथो से फैला लू । मेने वेसा ही किया ओर अब विक्की को आराम से लंड अंदर डालने का अवसर मिल गया । अगले ही पल विक्की के लिंग-मुंड ने मेरी गांड के तंग सुराख को चीरते हुए जगह बना के अंदर प्रवेश पा लिया।
मेरी तेज़ चीख निकली पर विक्की ने मेरा मूंह बंद कर दिया और अब तेज़ी से धक्के मार मार के अपने लंड को मेरी तंग गांड में घुसाता गया। मैं पीड़ा से कराह रही थी पर विक्की ने मेरा मूंह बंद कर रखा था। ८-१० धक्कों के बाद वोह रुक गया और मेरे मूंह से हाथ हटा के मेरे ऊपर लेट गया। मैंने विक्की से रोते हुए कहा कि मुझे छोड़ दे यह सब मुझसे नही होगा। उसपे विक्की ने कहा की अब रोती क्यों हे लंड पूरा अंदर हे। मुझे यह जान के थोड़ी राहत मिली की लंड पूरा अंदर था। अब मेने अपने शरीर को ढीला कर दिया जो कि अब तक अकड़ा हुआ था दर्द से। विक्की ने भी धीरज रखा ओर कुछ देर में ही मेरा दर्द काफी कम हो चूका था। विक्की ने लंड पूरा बाह रखिंच के फिर से मेरी गांड और अपने लंड पे थूक लगा के फिर से पोजीशन बनाई ओर अब की बार आराम से लंड अंदर घुसाने लगा। इस बार दर्द कम हुआ ओर मज़ा ज्यादा आया। मेने भी शरीर ढीला छोड़ दिया ओर विक्की को आराम से मारने को कहा।
विक्की अब स्पीड बढ़ा के तेज़ी से मेरी ले रहा था। साथ ही बोल रहा था की सोनल प्रीत से ज्यादा मज़ा तेरे साथ आ रहा हे। तुम सरदारनी कुडियां मस्त होती हो ओर मज्जे से गांड मरवाती हो। मैं यह जान के खुश हुई की सोनल प्रीत से ज्यादा मज़ा मुझ में था और अब में भी गांड उठा उठा के लंड लेने लगी। यह देख के विक्की का जोश दोगुना हो गया ओर उसने मेरी कमर थाम के मेरी गांड में ताबड़तोड़ धक्के मारना शुरू कर दिया। मैं भी जोर जोर से सिस्कारियां मारती हुई गांड मरवा रही थी कि तभी विक्की मेरे उपर निढाल सा गिर गया ओर उसके लंड से वीर्य की धार मेरे अंदर बहने लगी। 2 मिनट वेसे ही मेरे उपरपढ़ा रहने के बाद वोह उठा ओर तोलिये से अपना लंड साफ़ करके मेरी गांड पे रख दिया। में सीधी हुई ओर अपनी गांड को तोलिये से साफ़ करके पेंटी पहन ली। /> |
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02-06-2014, 06:19 PM
(This post was last modified: 02-06-2014 06:21 PM by porngyan.)
Post: #2
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अब तो सिलसिला चल पड़ा था मेरा और विक्की का। जब भी मोका मिलता विक्की मुझे घर पे या स्कूल में दबोच के मेरी ले लेता। पर धीरे धीरे मुझे एहसास होने लगा था कि इस सब में प्यार तो हे ही नही। विक्की कभी भी मुझे किस नही करता और न ही प्यार भरी रोमानी बातें करता। वह बस मोका मिलते ही मुझे झुका के स्कर्ट उठाता, पेंटी उतारता और थूक लगा के मेरी गांड मार लेता। एक दिन मेने सोना दीदी से इस बारे में बात की। उसने मुझे यकीन दिलाया कि विक्की बोहत अछा लड़का हे ओर मुझे उस जेसा बॉय-फ्रेंड नही मिलेगा। तभी विक्की और योगी वहां आ गये। सोना ने विक्की को झिडकी लगा के मेरा ख्याल रखने को कहा। योगी को मोका मिला और उसने विक्की को मेरा ख्याल रखने की सलाह देते हुए यह कह दिया कि अगर वोह ख्याल नही रखेगा तो में रखूगा। योगी की आँखों में अजीब सी चमक थी, ओर मुझे पहली बार योगी में एक अछा इन्सान नजर आया। वेसे देखने में ओर बोल-चाल में योगी विक्की से कई कदम आगे था ओर मेने पहली बार ध्यान दिया की योगी विक्की से कितना गोरा चिकना ओर स्मार्ट था।
स्कूल ख़त्म होने के बाद हम चारो बाहर निकले ओर विक्की के कहने पे पास के रेस्टोरेंट की ओर चल दिए। विक्की मेरी दायें ओर था पर उसका ध्यान मुझसे ज्यादा सोनल प्रीत में था। योगी मेरी बाएँ तरफ था ओर बार बार मेरी आँखों में आंखें डाल के कुछ कहने का यतन कर रहा था। तभी चलते चलते उसने अपना हाथ मेरे नितम्ब पे चिपका दिया। मेरी सिसकारी निकल गयी पर उसने जल्दी हाथ हटा लिया। मेने उसकी ओर देखा तो वोह मुस्कुरा दिया। मैं भी उसकी बेशर्मी से भरी मुस्कान पे लुट सी गयी ओर मुस्कुरा दी। हम सब अंदर बैठे बातें कर रहे थे। योगी मेरे सामने और विक्की सोनल के सामने था। तभी मुझे किसी के पेर अपनी टांग से छुते हुए महसूस हुए। मुझे लगा विक्की ही होगा इसलिए विरोध नही किया और बेठी रही। आहिस्ते से वो पेर मेरी दोनों टांगो के बिच से घुटनों तक आ गये। पर विक्की तो ऐसी हरकतें करता ही नही था। वह तो बस मेरे गदराए चूतडों का दीवाना था। खैर, थोड़ी देर बाद हम वहां से चल पड़े। मेरा ध्यान योगी की पेंट की ओर गया तो समझ गयी की मुझे पेर से कोन छेड़ रहा था। योगी की पेंट में टेंट बना हुआ था । मैं मुस्कुरा गयी। शर्म के मारे चेहरा लाल हो गया। योगी ने भी मेरी नजर पकड ली थी जब में उसके लिंग को घूर रही थी। वह भी मुझे देख मुस्कुराया ओर एक फ्लाइंग किस चोरी से मेरी ओर भेज दी। मेने भी आंख के इशारे से उसे जता दिया कि मेने उसकी फ्लाइंग किस कबूल कर ली। धीरे धीरे योगी मेरे करीब ओर विक्की मुझसे दूर होते जा रहे थे। एक दिन हम चारो विक्की के घर शनिवार के दिन हाफ-डे छुट्टी के बाद गये। वहां हम विकी के मम्मी पापा वाले बेडरूम में बैठे थे जहाँ विकी ने कोई बीस बार मेरी गांड ली होगी। बातों बातों में ही ब्लू-फिल्मो पे आ गये तो पता चला की सोनल प्रीत को ऐसी फिल्म्स देखते हुए दो साल हो चुके थे ओर यह बात भी पता चली की विकी ने सोनल को भी इस कमरे में बुला के फिल्मे देखी हैं। धीरे धीरे माहोल गरम हो गया। सोनलप्रीत ने बताया की जब पहले पहले विकी उसकी लेता था तो दर्द कितना हुआ करता था। इस बात पे मैंने भी अपने दर्द भरे एहसास को बता दिया। फिर बात योगी ओर विकी के लिंग के साइज़ की हुई तो दोनों ने अपने कपडे उतार के तन्ने हुए लंड सामने करते हुए बोला बताओ कोन किसका पसंद करती हे। सोनालप्रीत ने झट से विकी का ६ इंची मोटा लंड पकड़ लिया। मेरी नज़रें योगी के पांच इंची गोरे चिकने लंड पे टिक्की हुई थी। पर शर्म के मारे मेने कोई हरकत नही की ओर चुप चाप बेठी रही। तभी योगी सोनलप्रीत की ओर बढ़ा और उसके होंठों को अपने मूंह में भर के रसपान करने लगा। सोनल को उन दोनों के साथ खुल के अय्याशी करते देख मुजे विकी की दिखाई हुई ब्लू-मैगज़ीन याद आई जिस में एक लड़की 2 या 3 मर्दों के साथ लगी होती थी। तभी विक्की ने पुछा किसे किसे ब्लू-फिल्म देखनी हे। हम सब ने एक स्वर में हामी भर दी। विक्की ने अलमारी से एक cd निकाली ओर dvd player में डाल दी। फिल्म शुरू हो गयी ओर साथ ही साथ उन तीनो की अय्याशी भी। सोनल उन दोनों को बड़ी आसानी से संभाले हुए थी। एक तरफ विक्की का लंड हाथों में सहलाते सहलाते और तगड़ा कर रही थी दूसरी तरफ योगी से अपने होंठो को चुसवा चुसवा के मदमस्त कर रही थी। ब्लू-फिल्म शुरू हो चुकी थी ओर मेरा सारा ध्यान उसमे होने वाले हवस के प्रदर्शन पे चला गया। एक इंडियन सी दिखने वाली लड़की को दो अंग्रेजो ने घेर रखा था ओर बारी बारी से उसके जिस्म से खिलवाड़ कर रहे थे। कभी मम्मे चूसते तो कभी होंठो का मदिरापान करके उसकी मदहोशी बढ़ाते। इधर विक्की ओर योगी पूरे नंगे हो के सोनलप्रीत को भी नग्न करने में जुट गये। यह सब देख के मेरे दिल-दिमाग पे गहरा असर पढ़ रहा था। प्यार ओर हवस के बीच का फर्क अब बेमानी हो गया था। जिस विक्की से पहले मुझे प्यार हुआ ओर जिस योगी के लिए मेरे दिल में नये जज्बात उभर रहे थे वह दोनों मेरी आँखों के सामने मेरी सहेली ओर स्कूल की सबसे चालू सरदारनी के साथ हवस का नंगा नाच खेल रहे थे। पर मैं भी तो सोनल प्रीत कौर की राह पे चल पड़ी थी। अब मेरे लिए पीछे हटना संभव नही था। दो-दो हवस भरे नज़ारे देख के मेरा दिमाग मेरे काबू से बाहिर होता जा रहा था। मैंने भी अब अयाशी के समुन्द्र में डुबकी लगाने की ठान ली ओर उन तीनो के देखते देखते अपने जिस्म से स्कूल यूनिफार्म की स्कर्ट ओर शर्ट उतार के बिस्तर पे उनके साथ जा मिली। हम चारों नंगे बेड पे ब्लू-फिल्म का आनंद ले रहे थे। मुझे नंगी देख योगी ने सोनल को छोड़ के मेरे पास आ गया था। ओर फिर मेरी नंगी कमर में हाथ डाल के अपने चिकने नंगे गोरे बदन से चिपका लिया। मैं भी शरम लाज की सभी सीमाओं को लाँघ के योगी से चिपक गयी। फिर योगी ने मेरे रसीले होंठो का रसपान शुरू किया ओर निचे से एक ऊँगली मेरी योनि में घुसा दी। मेरी चीख निकली ओर तभी विक्की ओर सोनलप्रीत का ध्यान मेरी ओर गया। मैं योगी से अलग हो के अपनी योनि पर हाथ अखे हुए लेटी थी। योगी परेशान ओर विक्की हैरान था। योगी ने पुछा की तेरी इतनी टाइट क्यों हे। विक्की तो बोलता हे कि इसने कई बार ली हे तेरी। इस पर मेने कहा की विक्की पीछे वाली लेता हैं। मैं आगे से कुवारी हूँ। सोनल यह बात सुन के हस दी ओर बोली - विक्की ने तेरी पीछे वाली सील तोड़ी है, अब आगे वाली योगी तोडेगा। यह सुन के मैंने योगी की ओर देखा तो वोह चमकती आँखों से मेरी ओर देख के बोला - तयार है सरदारनी अपनी सील तुडवाने को? मैं थोडा सा घबरा गयी ओर प्रेगनेंसी के डर से उनको अवगत करवाया। मुझे माँ नही बनना था इसलिए मेने उनसे बता दिया जो मेरे दिल में था। सोनल ने हस्ते हुए कहा की घबरा मत कुछ नही होगा। में भी तो चूत देती हूँ। मैं कभी प्रेग्नेंट नही हुई। मेने पुछा केसे तो उसने मुझे सेफ पीरियड, कंडोम, माला-डी और एबॉर्शन के बारे में सब बताया। जब मुझे संतुष्टि हो गयी तो में भी योनी संभोग के लिए तैयार हो गयी। मैंने योगी के लिंग को हाथों में ले के मसलना शुरू किया। उधर सोनल प्रीत झुक के विक्की के लंड को चूस रही थी जेसे ब्लू-फिल्म में हो रहा था। योगी ने मुझे इशारा किया चूसने का। मैं भी झुक गयी ओर मूह खोल के उसके गोरे लंड का सुपाडा मूंह में ले के चूसने लगी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़् .... क्या नज़ारा था। मोहल्ले की दो सबसे हसीन कुडियां झुक के अपने मुंह में लंड लिए हुए थीं ओर दोनों एक दुसरे से आगे बढ़ना चाहती थी। सोनल प्रीत अनुभवी थी ओर लिंग को धीमी लय से चूस रही थी। वहीँ मैं जोश से भरी हुई तेज़ी से लिंग-मुंड पे अपने रसीले होंठ चला रही थी। विकी ओर योगी के जिस्म मचल रहे थे ओर वे किसी भी समय झड सकते थे। तभी विक्की ने अपना लंड सोनल प्रीत के मुंह से खीँच लिया ओर मेरे पीछे आ गया। मैं योगी का लंड चूसने में व्यस्त थी की तभी मेरे मांसल चुतडों के बीच मुझे विकी का फनफनाता लंड महसूस हुआ। मेने योगी के लिंग को मुंह से निकाल के पीछे देखा तो विकी तयार था ओर तभी मेरी गांड में तेज़ दर्द के साथ उसका मोटा सुपाडा प्रवेश कर गया। मेरे मुंह से चीख निकली - हाय रब्बा ...ओउह ओह आओह ... आज तो बहुत मोटा लग रहा है, विक्की!" विक्की अपने फूले हुए लंड को मेरी गांड की गहराइयों में अंदर ओर अंदर करता गया तेज़ धक्कों से। उधर योगी ने फिर से मेरे मुंह में अपने लिंग को ठूस दिया ओर अब सोनी दो दो लंड अपने अंदर ले के निहाल हुए जा रही थी। विक्की के धक्के तेज़ होते गये ओर कुछ ही पलों बाद उसका कामरस मेरी गुदा में बह निकला। में भी विक्की को झड़ते हुए महसूस कर रही थी। उसके लंड की नस्सें फूल ओर सिकुड़ के मेरी चिकनी गांड में वीर्य का सैलाब भर रही थी। मुझे गरम लावा अपने अंदर बहता हुआ महसूस हो रहा था। अब विक्की निढाल हो के बिस्तर पे गिर गया पर मुझे आज़ादी नही मिली क्युकी योगी मेरे मुंह में लय बना के धक्के देता हुआ मेरा मुख-मैथुन कर रहा था। कुछ देर बाद वह मेरी टांगो के बीच आ गया ओर अपने लिंग को मेरी करारी योनी पे रगड़ने लगा। में जानती थी अब क्या होने वाला था पर अपना कुवारापन खोने का डर तो हर भारतीये लड़की को होता ही हे। मेने योगी से रुकने को कहा पर इस से पहले की में कुछ समज पाती योगी ने तीर निशाने पे छोड दिया। तीखे दर्द से में एकदम दोहरी हो गयी ओर चीख चीख के योगी को मेरी योनी से अपना लिंग निकालने की गुजारिश करने लगी। पर मेरी किसी बात का उस पर असर नही हुआ ओर वो मुझे बिस्तर में दबा के मेरी योनी की गहराई नापने में जुट गया। दूसरी ओर सोनल प्रीत कुत्ती पोज में झुकी हुई थी और विक्की उसकी गांड पीछे खड़ा हो के ले रहा था। उसके लम्बे केश विक्की ने लगाम की तरह पकड रखे थे ओर खींच खींच के लंड पेल रहा था अंदर बाहर। हम दोनों अपने रब को याद करके "हायो रब्बा हायो रब्बा" का जाप कर रही थी जब की योगी ओर विक्की दोनों अपने अपने लंड से हमारी सेवा में जुट गये थे। मेरे दर्द में अब कुछ कमी होने लगी क्योंकि चूत पनिया चुकी थी जिस से लंड को अंदर बाहर करना में आसानी ही रही थी। योगी ने चुदाई की रफ़्तार बढ़ा ली ओर दूसरी तरफ विक्की ने तो शताब्दी रेल की भांति सोनल प्रीत की गांड में तूफ़ान भर दिया था। आखिरकार वह पल आ ही गया ओर हम चारों एक साथ अपने चरम पे पहुँच गये। मैं ओर सोनल प्रीत "... हाय रब्बा.. ओह बेबे ... आह् मार सुटेया..." कहती हुई झड़ने लगी तो दूसरी तरफ योगी ओर विक्की "ओह ... आह ... ये ले मेरा पानी ... और ले ... मज़ा आ गया, सरदारनी!" जेसे शब्द बोल के हमारे अंदर ही झड गये। योनी समागम द्वारा यह मेरे जीवन का पहला स्खलन था। शारीरिक ओर मानसिक तौर पे जिंदगी का सबसे हसींन एहसास जो एक उफनते हुए सैलाब की भांती सारे बाँध तोड़ के बाहिर निकल आया था। यह कुछ ऐसा नशा था जिसकी लत्त पहली ही बार में लग गयी थी। अगले कुछ मिनटों तक में बेसुध सी बिस्तर में पड़ी रही। जब मुझे होश आया तो योगी की जगह विक्की मोर्चा संभाल चूका था। सोनल प्रीत ने चूस चूस के उसका लंड रॉड जेसा सख्त कर दिया था। विक्की मेरी चिकनी गोरी जाघों के बीच पोजीशन बना के बैठा था। मैंने कहा – विक्की, यह क्या कर रहे हो? तुमने अभी तो ली थी! उसने कहा – अब तक तो सिर्फ गांड ली है तेरी। अब तेरी चूत का भी मज़ा लूँगा। तभी योगी बाथरूम से निकला ओर बिस्तर का नजारा देख के मेरे पास आ गया। उसने मेरे कान में कहा – सोनल से ज्यादा मज़ा तेरी लेने में आया। अब विक्की को भी दिखा दे कितना मज़ा है तेरी चूत में। उसने विकी को इशारा किया ओर मेरे होंठो पे अपना मुंह रख दिया। मैं उसके किस में खोई थी तभी विक्की ने अपना ६ इंची हथियार मेरी चूत में घुसा दिया ... मेरी चीख भी योगी ने निकलने नही दी अपने मुंह को मेरे मुंह पे दबा के। विक्की ने आव देखा ना ताव ओर जंगली सांड की तरह मेरी कमसिन करारी चूत में ताबड़ तोड़ अपना लौडा पेलता चला गया। मैं अपने रब्ब को याद करने लगी। कुछ देर बाद दर्द कम हुआ तो योगी ने मेरे मुंह से अपना मुंह हटा लिया। अब मैं खुल के चुदवाने लगी। पीड़ा की जगह अब आनंद ने ले ली थी ओर में बढ़ चढ़ के उनका साथ देने लगी। योगी ने मेरे निम्बू जितने उरोज को हाथों से मसलना शुरू किया ओर विक्की ने मेरी दोनों चिकनी गोरी टांगो को उठा के अपने कंधो पे रख लिया। अब तो चुदवाने में मुझे जन्नत का मज़ा आने लगा और में "चोद विक्की, चोद ... जोर से ... ! ओर अंदर घुसा! ... ओर अंदर!" जेसी बातें बोल के विक्की को उकसाने लगी। विक्की भी मेरे इस बदले हुए रूप को देख के बोखला गया ओर एकदम वेह्शी बन के मेरी चूत कि घिसाई करने लगा। कुछ देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया ओर मैं झड गयी। मेरे बाद ही विक्की भी झड गया ओर मेरे उपर निढाल सा हो के गिर गया। दो बार चुद कर मेरी योनी सूज गयी थी। विक्की और योगी बाहर सोनल प्रीत से गप्पें मार रहे थे और में अंदर बिस्तर से उठने की कोशिश कर रही थी। फिर जेसे तेसे में कांपती टांगो से चल के बाथरूम गयी और खुद को शावर के नीचे खड़ी कर के नहा धो के साफ़ करने लगी। फिर नहा के यूनिफार्म पहनी और बाहर निकली, मुझे देख के उन तीनो ने बातें बंद कर दी। में बड़ी मुश्किल से चल पा रही थी। सोनल मेरे पास आयी और बोली की ऐसे घर जायगी तो सब शक करेंगे। वो मुझे फिर से अंदर ले गयी और विक्की से बोली की दूध गरम कर दे। फिर उसने योगी को बाज़ार से पैन किलर लाने को कहा। अब मेरे साथ बैठ के सोनल ने अपने पहले यौन अनुभव के बारे में बताया। आज से 3 साल पहले उसका कोमार्य ट्यूशन वाले सर ने लिया था और तब उसकी भी ये ही हालत हुई थी। फिर उन्होंने गरम दूध और पैन किलर टेबलेट दी थी जिस से बोहुत आराम मिला था। करीब आधे घंटे बाद में घर जाने की स्थिति में थी। उस रात मुझे नींद नही आई। एक तरफ कुंवारापन खोने का दुःख तो दूसरी और जिंदगी में पहली बार स्वर्ग का एहसास कराता यौन स्खलन। एक तरफ लिंग से मिलने वाला दर्द तो दूसरी और उस्सी लिंग से मिलने वाला सुख। एक तरफ हवस में डूबे तीन खुदगर्ज़ लोग तो दूसरी तरफ मेरी तकलीफ का हल ढूँढ़ते हुए वोही तीन दोस्त। बस इसी कशमकश में सारी रात निकल गयी और सुबह 4 बजे कहीं जा के थोड़ी सी नींद आई। अगले एक महीने मेरी जम कर चुदाई हुई। योगी ओर विक्की ने मुझे काम क्रीडा में निपुण बना दिया था और सोनल प्रीत तो थी ही एक्सपर्ट एडवाइस के लिए। अब मेरे लिए दुनिया बदल चुकी थी । मर्दों को देखने का नजरिया भी बदल चूका था। पहले कभी कोई अंकल जब मुझे गोद में बिठाता या गाल चूमता तो सामान्य लगता तगा पर अब वोही हरकत जिस्म में काम वासना से भरी सिरहन पैदा कर देती। ओर ऐसा भी नही की सब अंकल लोग मुझे बच्ची की नजर से देखते हों। कुछ ऐसे भी थे जो मुझे आसान शिकार के रूप में देख रहे थे। ऐसे ही एक इन्सान थे मुश्ताक। वह पापा के दोस्त थे ओर अक्सर उनका हमारे घर आना जाना था। में महसूस करती थी की जब भी वह घर आते तो उनकी आंखें मुझे ही ढूँढ रही होती। वह बाहर लॉबी में बेठ के अक्सर मेरे बारे में पूछते। फिर पापा मुझे आवाज़ लगा के बुलाते और कहते कि मुश्ताक अंकल आये हैं। ओर जब में उनके सामने जाती तो उनकी आँखों की चमक से शर्मा जाती। फिर वह चॉकलेट निकाल के मुझे पास आने का इशारा करते। में पास जाती तो वह हस के मुझे अपनी गिरफ्त में ले के गाल पे थपकी लगा के गोद में बिठा देते ओर फिर चॉकलेट देते। में महसूस करती की नीचे मेरे नितंबो पे कोई चीज चुभ रही हे और वह चीज अब मेरे दिलो दिमाग पे छाया हुआ मर्दों का औज़ार था जिससे हम लिंग, लंड, लौड़ा इत्यादि के नाम से जानते हैं। मुश्ताक अंकल मुझे गोद में बिठाने का कोई मोका नही छोड़ते। में वेसे तो उनके साथ विक्की योगी वाला सम्बन्ध नही सोच रही थी पर फिर भी मेरे दिमाग में ये सवाल अक्सर आता था कि मुश्ताक अंकल के इरादे क्या हैं। क्या वह बस यूँही गोद में बिठा के खुश रहेंगे या फिर किसी दिन विक्की-योगी की तरह मेरी टांगें फैला कर मुझे रौंद डालेंगे। / /> मेने अब महसूस करना शुरू कर लिया था कि में जहाँ भी जाती हूँ मर्दों और लड़कों की नज़रे मुझे जरूर घूरती हैं। चाहे स्कूल हो या ट्यूशन, बाजार हो या पार्क, पार्टी फंक्शन हो या सत्संग। यहाँ तक की गुरद्वारे जाते हुए बाहर खड़े लड़के भी मेरे जिस्म को ताड़ रहे होते। धीरे धीरे मेरी समझ में ये बात आने लगी थी कि जगह कोई भी हो, समय कोई भी हो, मर्द मर्द ही रहेंगे। वह किसी भी धर्म जाती के हो, कुच्छ भी उम्र हो उनकी, कुछ भी काम धंधा हो उनका, मर्दों को हम लडकियों की कभी ना बुझने वाली प्यास लगी रहती हे। एक दिन स्कूल बस में घर आ रही थी। सीट खाली नही थी इसलिए खड़ी थी। साथ बैठे कंडकटर ने मुझे अपने पास जगह बना के बेठने का इशारा किया। में भी थकी हुई थी सो बैठ गयी। बस रस्ते पे दौड़ रही थी और उस कमीने के हाथ की उँगलियाँ मेरी चिकनी गोरी ओर स्कर्ट से बाहर झांक रही सुडोल झांघों पे। में पहले तो चौंक के ठिठक गयी, फिर आगे पीछे नजरें घुमा के देखी कहीं किसी ने देखा तो नही। कोई नही देख रहा था मुझे ऐसा लगा और फिर मेने उस कमीने की आँखों में ग़ुस्से से देख के उसको डराने की कोशिश की पर उसने आगे से कमीनी मुस्कुराहट से जवाब दिया। मुझे लगा कि में और झेल नही सकूँगी इसलिए सीट से खड़ी हो गयी। उसने हाथ हटा लिया और मेने राहत की सांस ली। ऐसी ऐसी घटनाएं अब आये दिन मेरे साथ होने लगी थी। कोई दिन ऐसा नही जाता जब मुझे अपने नितम्बों उरोजों झांघों कमर इत्यादी पे मर्दों के फिसलते हाथ ना महसूस हों। ओर सबसे खतरे वाली बात थी के मुझे इसकी आदत सी होती जा रही थी। फिर एक दिन जब में घर पे अकेली थी की तभी बेल बजी। मेने दरवाजा खोला तो सामने मुश्ताक अंकल खड़े थे। सामने मुश्ताक अंकल को देख मेरी हवाइयां उड़ गयी। वह सीधे अंदर आ गये और पूछा की मम्मी पापा कहाँ हैं जब की उनको पता था की इस वक़्त घर पे कोई नही होता। मेने कहा बाहर हैं बस आते ही होंगे। पर मुश्ताक जनता था कि कोई नही आने वाला अगले कई घंटो तक। सो वह अंदर आ के लॉबी में बैठ गया। मेने उनको पानी के लिए पुछा पर उन्होंने चॉकलेट निकाल के मुझे पास आने का इशारा किया। में अकेली थी घर पे इसलिए थोडा घबराई हुई थी सो मेने चॉकलेट नही ली। मुश्ताक ने जब देखा की में पास नही आ रही तो वह खुद खड़े हो के मेरे पास आने लगे। में झट से लॉबी के बाहर निकल गयी ओर अपने आप को उनसे दूर करने लगी। पर वो मेरा नाम लेते हुए पीछे आ रहे थे। "सोनी बेबी, कहाँ जा रही हो.... अंकल के पास आओ ... में आपके लिए गिफ्ट लाया हूँ..." गिफ्ट का नाम सुनते ही में खड़ी हो गयी पानी मुश्ताक भी पास पोहंच गये ओर मुझे पकड़ने के लिए हाथ आगे बढाया पर में भी कच्ची गोलियां नही खेली थी सो झट से दूर हो गयी। अंकल ने अब अपना अगला दाव चला और जेब में हाथ डाल के मुझसे कहा की गिफ्ट यहाँ हे आ के ले लो। मेरी नजर उनकी पेंट की जेब पे पड़ी परन्तु मेरा ध्यान उनके गुप्तांग वाली जगह पे बने टेंट पे गयी। कितना बड़ा लग रहा था अंकल का लिंग पानी विक्की ओर योगी तो बच्चे थे उनके सामने। मेरे अंदर एक अजीब सी लहर पैदा हुई जिसने मेरे पक्के इरादों को कमजोर कर दिया पानी में अंकल से दूरी बना के रखना चाहती थी पर उनका खड़ा लंड मुझे उनके पास जाने को मजबूर करने लगा। में इसी कशमकश में खड़ी थी की तभी मुश्ताक ने एक झपटे में मेरी नाज़ुक कलाई पकड़ ली ओर हस्ते हुए एकदम पास आ गया। उनकी आँखों में जीत की चमक थी वेसी ही जेसी किसी योधा को जंग जीत की होती होगी। मुश्ताक ने जंग तकरीबन जीत ली थी। अब तो बस कमसिन सरदारनी के किले में झंडा गाड़ने की देर थी। उन्होंने मेरा हाथ अपनी पेंट की जेब में डाला और कहा की गिफ्ट ले लो। मेने हाथ अंदर डाल के टटोला तो गिफ्ट नही था पर वो चीज हाथ में आ गयी जो दुनिया की सबसे अच्छी गिफ्ट हो सकती हे किसी भी सेक्सी सरदारनी के लिए। मुश्ताक मुझे पीछे करते हुए बेडरूम की तरफ ले गये। मैं घबराई हुई उनकी और देखती हुई रह गयी ओर वह मुझे बिस्तर पे लिटा के मेरे उपर सवार हो गये। ऐसा लग रहा था जेसे एक भैंसा किसी बकरी पे चढ़ गया हो। मैं उनके अगले कदम के बारे में सोच रही थी कि उन्होंने मेरी दोनों कलाइयाँ थाम के सर के उपर कर दी ओर मेरे गले ओर गालों को चूमने लगे। उनकी आँखों में हवस का अशलील साया साफ़ दिखाई दे रहा था पर में बेसहारा लाचार सी उनके निचे पड़ी हुई उनकी हवस का शिकार बन रही थी। फिर धीरे धीरे उन्होंने अपने कूल्हों को हिलाना चालू किया। मेरी योनी, पेट ओर जाँघों पे उनके मोटे औजार की रगड़ साफ़ महसूस होने लगी। बीच बीच में वह मेरी चूत में हमला करने की कोशिश करते जिस से मुझे उनका लंड चुभन का एहसास देता कपडों के उपर से ही। मेने हरे रंग की फ्रॉक पहनी थी जो की अब काफी उपर तक उठ चुकी थी ओर मेरी गोरी चिट्टी जाँघें मुश्ताक को दीवाना बना रही थी। वह मेरी जाँघों को जोर जोर से मस्सलने में जुट गये और में भी एक वयस्क मर्द के हाथों की कलाकारी का आनंद लेना शुरू कर चुकी थी। विक्की ओर योगी तो नोसिखिये थे पर मुश्ताक अंकल एक परिष्कृत खिलाडी थे। एक कमसिन सरदारनी को जीत के उस् से अपनी हवस मिटाना उनके लिए कोई मुश्किल काम नही था। अब दस मिनट हो गये थे मुश्ताक को मेरे उपर चढ़े हुए ओर अब तक मेरी प्रतिरोध करने की क्षमता ख़त्म हो चुकी थी। उलटे अब में भी अंकल का खुल के साथ देने लगी थी। मेरी सिस्कारियां बेडरूम में गूँज रही थी। मेरा तन्ना हुआ जिस्म उनके नीचे मछली की तरह मचल रहा था ओर मेरे हाथ उनके बालों को सहला रहा थे। अंकल को शायद अंदाजा नही होगा की यह कमसिन सी दिखने वाली सरदारनी कितने बड़े कारनामे कर चुकी थी इसलिए जब मेने खुल के उनका साथ देना चालू किया तो वो थोडा हैरान जरुर हुए पर फिर दोगुना जोश के साथ मुझ पे टूट पड़े ओर मेरे योवन रस का स्वाद लूटने लगे। मुश्ताक मेरे उपर चढ़ के मुझे रगड़ रहे थे। उनके मरदाना स्पर्श से में एकदम मस्त हो गयी थी ओर खुल के उनका साथ दे रही थी। अब वह थोडा सीधे हुए ओर अपनी ज़िप खोल के अपने विशालकाय लंड को बाहर निकाल लिए। विक्की-योगी के लंड ले ले के मुझे चुदने का चस्का लग गया था पर अंकल के आठ इंची मोटे लंड को देख के चुदने की इच्छा गायब हो गयी। अंकल ने मेरी फ्रॉक उपर उठा दी ओर फिर पेंटी नीचे खीँच के मुझे नंगी कर दिया। मेने कुछ दिनों से सफाई नही की थी इसलिए योनी पे बाल उग आये थे। अंकल ने मेरी योनी अपनी हथेली में ले के मस्सल डाली जिस कारण मेरी सिसकी निकल गयी। मुश्ताक ने पुछा - तुम सफाई नही करती हो क्या? मेने कहा - करती हूँ पर पिछले हफ्ते नही कर पायी अब इस एतवार को करूंगी। यह सुन के मुश्ताक जोश से भर गये और मेरे होंठों गालों को मुंह में भर के चूसने लगे। में भी मस्ती में उनका साथ दे के अपने योवन रस को लुटवाने लगी। अब उन्होंने मेरी गोरी चूत को फैलाया और एक ऊँगली अंदर घुसा दी। में इस अचानक हुए हमले के लिए तयार नही थी। मेरी सिसकारी निकल गयी। में: हायो रब्बा! ओऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्! आह्ह्ह्ह्ह! ऊईईईईई! मुश्ताक: क्या हुआ, बेबी? में: अंकल, प्लीज़ बाहर निकालो ना ..... मुझे दर्द हो रहा हे मुश्ताक: बेबी, तुम तो पनिया गयी हो! देखो कितने आराम से ऊँगली खा रही हे तुमारी चूत। यह बोल के अंकल ने ऊँगली अंदर बाहर करना चालू कर दी। सही में बड़े आराम से अंदर बाहर ही रही थी। मुश्ताक: बेबी, तुमारी चूत अंदर से बड़ी गरम हे। में: हायो रब्बा ऊई आह ओह ओह उह्ह उह्ह उह्ह मुश्ताक: बेबी, मेरा लंड चूसोगी? में: अंकल, यह भी कोई चूसने की चीज हे? पर मुश्ताक पे हवस का भूत सर चढ़ के बोल रहा था, वह मेरी चूत से ऊँगली निकाल के मेरी छाती पे चढ़ गये और अपने विशाल कड़क लिंग को मेरे मूंह पे मलने लगे। में: अंकल, आपका बोहोत बड़ा हे। मुश्ताक (सवालिया आँखों से): नही बेबी, यह तो नार्मल साइज़ का हे। में: नहीं अंकल, इतना बड़ा मेने कभी नही देखा। मुश्ताक (मुस्कुराते हुए): सोनी बेबी, तुमने कितने लंड देखे हैं? में अपनी गलती समझी पर तब तक देर हो गयी थी। मेरा राज़ खुल गया था ओर अब मुश्ताक अंकल मुझ पे हावी होते चले गये। मुश्ताक मेरे जिस्म को नोच नोच के निशान डाल रहे थे, ख़ास करके जांघों, चुतडों, चूंचियों ओर टांगों पे। में घबरा रही थी कहीं कोई आ गया तो क्या होगा। मेरे अंदर डर और उतेजना का मिला जुला भाव उफान भर रहा था। फिर तभी मुश्ताक ने मेरी टांगें ओर चोड़ी करके खोली अपनी एक ओर ऊँगली घप से घुसेड दी, मेरी चीख निकल गयी पर मुश्ताक ने कोई रहम नही दिखाया ओर अब उनकी दो ऊँगलीयां मेरी टाइट चूत की गहराई ओर चोडाई नापने में जुट गयी। धीरे धीरे हवस का मज़ा मेरे डर पे हावी होने लगा था, मुश्ताक भी एक कलाकार की भांति मेरे अंदर की चालू कुड़ी को बाहर निकाल रहा था। मुश्ताक: बेबी, बोलो ना तुमने कितने लंड देखें हैं अब तक? में: अंकल, वो वो एह वो एह एह ह्म्म्म .... ( (मेरी बोलती बंद हो गयी थी, मेरा राज़ खुल चूका था ओर इसीलिए मुश्ताक मुझ पे जोश से सराबोर टूट पड़े थे।) में: अंकल, वो ... वो बस एक ही देखा हे। मुश्ताक: किसका? में: एक स्कूल का सीनियर है। मुश्ताक: उसी ने ली थी क्या तुमारी चूत? में शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी। पर में जितना शरमाती मुश्ताक उतना ही हावी हो के मेरी चूत में ऊँगली करते। अब तो उनकी दो उँगलियाँ भी सटासट अंदर बाहर हो रही थी जिस कारण में अपने चरम के करीब पुहंच गयी थी। में अपने चूतड उठा उठा के उनकी उँगलियाँ लेने लगी। यह देख के मुश्ताक के चेहरे की हैरानी ओर उनकी आँखों में हवस की चमक बढ़ गई थी। उन्होंने मेरे होंठों को अपने मूह में भर दिया ओर रस चूस चूस के मेरे होंठ पीने लगे। साथ ही निचे उनकी उंगलियों ने अपनी करामात दिखाते हुए मेरा काम कर दिया। में तेज़ तेज़ झटके खाती हुई झड़ने लगी ओर अपना योनी-रस मुश्ताक की उंगलियों ओर हाथो पे फेंकने लगी। में बिस्तर पे निढाल पड़ी हुई थी। मेरी योनी ओर जाँघें भीग चुकी थी मेरे कामरस से। मेरी आंखें बंद थी ओर में मंद मंद मुस्कुराते हुए ओरगास्म का मज़ा ले रही थी की तभी एक कठोर झटके ने मेरे होश उड़ा दिए। मुश्ताक ने अपने तन से सारे कपडे जुदा करके साइड को रख दिए थे ओर उनका मूसल समान लंड मेरे अंदर थोड़ी जगह बना चूका था। मेरी चीख निकली पर उन्होंने मेरा मूह बंद करके एक करारा शॉट मारा जिस से उनका पूरा सुपाडा मेरी टाइट चूत में घुस गया। मैं दर्द से तड़प रही थी ओर मुश्ताक को धक्के दे के पीछे हटाने की कोशिश करने लगी। मुश्ताक पक्का खिलाडी था। उसने भी आव देखा ना ताव और लंड को अंदर घुसेड के ही रुका। पूरा लंड मेरी कमसिन चूत में ठेलने के बाद वो रुका और अपनी सांसें सँभालने लगा। मेरी हालत ऐसी थी जेसे कोई छुरी कलेजे में उतार दी हो, जेसे कील ठोक दी हो दिल की गहराई में। कुछ देर यूँ ही पड़े रहने के मेने मुश्ताक से लंड बाहर निकालने की गुज़ारिश की। वह लंड बाहर निकाल के मेरी चूत को निहारने लगे। फिर मुस्कुरा के पुछा... मुश्ताक: बेबी, तुम अब लडकी से औरत बन गयी हो, केसा लगा मेरा लंड? में : स्स्स्स्स्स्स्स्..., उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्... अंकल, मुझे बोहत तेज़ जलन हो रही हे! लगता मेरी फट गयी हे! मुश्ताक : बेबी, तुमारी तो पहले ही थोड़ी फटी हुई थी, आज पूरी फाड़ के तुम्हे औरत बना दिया हैं। अब तुम किसी भी मर्द को झेल सकोगी। में: ऊ ऊ ऊ ऊह्ह! जलन हो रही हे, अंकल। कुछ करो भी अब। मुश्ताक ने मेरी हालत को समझा और मेरी टांगों के बीच झुक गये। फिर अपना मूह मेरी योनी पे ले जा के अपनी लम्बी जीभ निकाली ओर मेरी जलती हुई चूत पे रख दी। मेरी चूत को जलन से आराम मिला जब मुश्ताक अंकल ने अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटना शुरू किया। मेरे लिए एक नया एहसास था यह ओर कुछ ही पलों में मेरी जलन खत्म हो चुकी थी। अब में अंकल की इस अत्यंत रोमांचकारी हरकत से मंत्रमुग्ध हो गयी। मेरे अंदर फिर से एक नये चरम तक पहुँचने की लालसा जाग गयी। अंकल मेरे चूतद्वार में जीभ घुसेड के दाएं बाएँ घुमा के मुझे पागलपन की हद तक मज़ा दे रहा थे। फिर जीभ को चूत से बाहर निकाल के मेरे क्लाइटोरिस की सेवा करने में जुट गये। में: ऊफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ अंकल, अह्ह्ह्ह आह ऊफ़्फ़्फ़्फ़्फ़! मर गयी! हाय रब्बा! मुश्ताक: ऊह, आह बेबी, तुमने मुझे जन्नत में पहुंचा दिया है! मुझे उम्मीद नही थी की इतनी नादान सी दिखने वाली सरदारनी इतना मज़ा देगी। में: अंकल, आप ने मुझे जितना मज़ा दिया आज तक किसी ने नही दिया था। में हर वक़्त तरसती थी कोई मुझे ऐसा प्यार करे जेसा अभी आप कर रहे हो। मुश्ताक अंकल ने फिर मेरी आँखों में देखा और दोबारा जीभ से मेरी चूत के हर हिस्से को चाटने में जुट गये। में भी खुल के सिस्कारियां भरती हुई जीभ ओर योनी के मिलन से उठने वाली तरंगों में झूमने लगी। में अब चरम के पास पहुँच गयी थी। मेरी सांसें गहरी ओर तेज़ हो गयी। पेट की गहराई में ज्वारभाटा बढ़ने लगा! आँखों के सामने सतरंगी सितारे चमकने लगे ओर फिर बाँध टूट गया। में झड़ रही थी। मेरा जिस्म ऐसे झटके खा रहा था मानो ४४० वोल्ट की करंट लगी हो। मेरी योनी से कामरस बहने लगा जिसे मुश्ताक ख़ुशी ख़ुशी चाटने लगे। मेरी योनी से बहते कामरस की आखरी बूँद चाट लेने के बाद मुश्ताक सीधे हुए और अपना विशाल सख्त लंड मेरी लिसलिसी चूत के मुंह पे लगा के बोले मुश्ताक: बेबी, अब तुमको इतना मज़ा आयेगा कि मानो जन्नत की सैर कर रही हो। में: अंकल, मैं तो झूम रही हूँ, ऐसा लगता हे जेसे हवा में उड़ रही हूँ। मुश्ताक ने लम्बी सांस भरी और अपने मरदाना लंड को कमसिन चूत में उतारने लगा और तब तक उतारता रहा जब तक पूरा लंड जड़ तक अंदर ना समा गया। मुझे पहली बार के मुकाबले कम दर्द हुआ ओर इस बार मस्ती से लंड लेके मुश्ताक के पेट और छाती से खुद को चिपका ली मानो छिपकली छत से चिपक गयी हो। मेरी टांगें मुश्ताक की कमर के आसपास लिपटी हुई थी और बाहों का हार उनके गले में था। मेने अपने हलके जिस्म को मुश्ताक के कठोर बदन से ऐसे चिपका लिया कि सिर्फ मेरे पैर ओर सिर बिस्तर से लगे हुए थे बाकी का नंगा जिस्म मुश्ताक से चिपका हुआ था। मुश्ताक मेरी हरकत देख परेशान हुए पर जल्दी खुद को सँभालते हुए पूरे जोश से लंड बाहर खींच के जबरदस्त धक्का मारते हुए मुझे बिस्तर में धंसा दिया और लंड फिर से जड तक मुझ में समा गया। फिर से एक बार दोबारा लंड बाहर खींचते हुए मुश्ताक ने जबरदस्त तरीके से मेरी रसीली चूत में प्रहार किया जिस से उनका सुपाडा मेरी कमसिन कोख से जा टकराया। मेरी चीख निकल गयी और आँखों के सामने अँधेरा छा गया। में बेहोश हो गयी पर जब मुझे होश आया तो मैंने देखा कि मुश्ताक मुझे पूरी ताक़त से रगड़ रहे थे। में चुदती रही, मुश्ताक चोदते रहे। मुझे अब एहसास होने लगा की में जल्दी अपने चरम तक पहुँच जाउंगी सो मेने भी मुश्ताक की ताल से ताल मिलाते हुए नीचे से चूतड़ उठा उठा के अपनी चूत में लंड लेना प्रारम्भ किया। जल्दी ही वो घडी आ गयी जब मुश्ताक अपने अंडाशय में उबलते हुए ज्वालामुखी को रोक नही पाए। वे अपने लंड को बाहर खींच के मेरे जिस्म पर अपने गरम वीर्य की वर्षा करने लगे। में भी आंखें बंद करके अपने नंगे जिस्म पे गिरती वीर्य की बौछारों को महसूस करती अपने चरम को प्राप्त हुई। |
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