हॉस्टल से 5-स्टार होटल तक
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06-05-2014, 07:25 PM
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ऋतु प्रोबेशन पे दो महीने से काम कर रही थी. आज उसकी सूपरवाइज़र कुमुद मेडम ने उसे किसी काम से बुलाया था. ऋतु ने धीरे से कुमुद मेडम के ऑफीस का दरवाज़ा खटखटाया.
कुमुद: कम इन. ऋतु: गुड मॉर्निंग मेडम. आपने मुझे बुलाया. कुमुद: हेलो ऋतु., प्लीज़ हॅव ए सीट. ऋतु: थॅंक यू मेडम. कुमुद: ऋतु, आज तुम्हे इस होटेल में दो महीने हो गये हैं प्रोबेशन पे. तुम्हारे काम से मैं बहुत खुश हूँ. यू आर ए गुड वर्कर, स्मार्ट आंड ब्यूटिफुल. आंड हमारे प्रोफेशन में यह सभी क्वालिटीज बहुत मायने रखती हैं. दिस ईज़ व्हाट दा गेस्ट्स लाइक.” ऋतु यह सुनके स्माइल करने लगी. उसे बहुत खुशी हुई यह जानके की उसकी सूपरवाइज़र कुमुद उसके काम से खुश हैं. यह नौकरी ऋतु के लिए बहुत ज़रूरी थी. रिसेशन की वजह से ऋतु अपनी पिछली जॉब से हाथ धो बैठी थी. ऋतु: थॅंक यू मेडम. आइ एंजाय वर्किंग हियर आंड आपसे मुझे बहुत सीखने को मिला हैं इन दो महीनो में. कुमुद ने एक पेपर उसकी तरफ सरका दिया: ऋतु, यह तुम्हारा नया एंप्लाय्मेंट कांट्रॅक्ट हैं. इसको साइन करके तुम प्रेस्टीज होटेल की एंप्लायी बन जाओगी. प्रेस्टीज होटेल वाज़ वन ऑफ दा बेस्ट फाइव स्टार होटेल्स इन टाउन. इट वाज़ सिचुयेटेड अट ए प्राइम लोकेशन नियर दा इंटरनॅशनल एरपोर्ट आंड ऐज ए रिज़ल्ट ए लॉट ऑफ डिप्लोमॅट्स, पॉलिटिशियन्स, फॉरिनर्स आंड बिज़्नेस्मेन स्टेड देअर. ए जॉब अट प्रेस्टीज वुड मीन ए स्टेडी सोर्स ऑफ इनकम. ऋतु वाज़ हॅपी. फाइनली शी हॅड बिन एबल टू इंप्रेस हर सूपरवाइज़र आंड वाज़ नाउ बीयिंग अपायंटेड बाइ दा होटेल इन ए पर्मनेंट पोज़िशन. कुमुद: ऋतु आइ लाइक यू वेरी मच. यू आर आंबिशियस. आइ सी दा फाइयर इन यू. इन फॅक्ट यू रिमाइंड मी ऑफ माईसेल्फ. आइ आम स्योर यू हॅव ए ग्रेट फ्यूचर इन अवर लाइन. ऋतु थोड़ी हैरान हुई क्योंकि कुमुद मेडम ने विंक किया था लेकिन एक नकली सी मुस्कुराहट चेहरे पे ला के थॅंक यू कहा. कुमुद: क्या बात हैं ऋतु तुम खुश नही हो इस नौकरी से. टेल मी. ऋतु: नही मेम, ऐसी बात नही हैं … सॅलरी देख के थोड़ा सा मायूस हुई हूँ लेकिन आइ अंडरस्टॅंड की अभी मैं नयी हूँ और मुझे इतनी ही सॅलरी मिलनी चाहिए. कुमुद: ऋतु, प्रेस्टीज होटेल के स्टाफ की पे इस शहर के बाकी होटेल्स के स्टाफ की पे से कम से कम 25% हाइ हैं. आर यू हॅविंग एनी मॉनिटरी प्रॉब्लम्स??? टेल मी ऋतु. ऋतु: मेम, आपसे क्या छुपाना. इस से पहले आइ वाज़ वर्किंग एज ए सेल्स एजेंट फॉर ए रियल एस्टेट कंपनी. और सॅलरी वाज़ बेस्ड ऑन दा अमाउंट ऑफ सेल्स वी डिड. आइ वाज़ वन ऑफ दा बेटर सेल्स पर्सन इन दा टीम आंड माइ टार्गेट्स वर ऑल्वेज़ मेट. हर महीने आराम से चालीस पचास हज़ार इन हॅंड आ जाता था. आई वाज़ ऑल्सो गिवन द स्टार परफॉर्मर अवॉर्ड. मेरे सीनियर्स हमेशा मेरी तारीफ करके पीठ थपथपाते थे. (ऋतु जानती थी उसके सीनियर हमेशा उसको चोदने की फिराक मैं रहते थे) इतनी इनकम थी वहाँ पर कि मैने पीजी छोड़ दिया और एक 2 बेडरूम फ्लॅट ले लिया किराए पे और अकेली रहने लगी वहाँ. मैने टीवी, फ्रिज, माइक्रोवेव, एसी और अपने ऐशो आराम का सब समान ले लिया. कुछ कॅश, कुछ क्रेडिट कार्ड और कुछ इंस्टल्लमेंट पे. एक गाड़ी भी ले ली ईएमआइ पे. रिसेशन की मार ऐसी पड़ी की रियल एस्टेट सबसे बुरी तरह से हिट हुआ. आजकल कोई पैसा लगाने को तैयार ही नही हैं. बायर्स आर नोट इन दा मार्केट. जहाँ मैं पहले हर हफ्ते 2-3 फ्लॅट्स सेल करती थी और तगड़ी कमिशन कमा लेती थी अब वहीं महीने में 1 सेल भी हो जाए तो गनीमत थी. **************************************************** ऋतु वाज़ एक्च्युयली इन ए बिग फाइनान्षियल क्राइसिस. रियल एस्टेट के बूम पीरियड में उसकी इनकम इतनी ज़्यादा थी की वो कुछ भौचक्की सी रह गयी थी. पंजाब के एक छोटे से शहर पठानकोट में पली बड़ी हुई ऋतु ने बी.ए. इंग्लीश ऑनर्स करने के बाद दिल्ली आने की सोची, नौकरी के लिए. उसके मा बाप उसके उस डिसिशन से बहुत खुश तो नही थे लेकिन बेटी की ज़िद के आगे झुक गये. उसके करियर के लिए उन्होने नाते रिश्तेदारो की बात भी नही सुनी. सबने मना किया था की बेटी को अकेले शहर में ना भेजो. दिल्ली में ऋतु की एक फ्रेंड पूजा रहती थी. उसने भी सेम कॉलेज से इंग्लीश ऑनर्स किया था और ऋतु की सीनियर थी. वो एक साल पहले कॉलेज ख़तम करके दिल्ली गयी थी जॉब के लिए और बह दिल्ली में किसी प्राइमरी स्कूल में टीचर थी. ऋतु ने उससे पहले से ही बात की थी. पूजा ने ऋतु को आश्वासन दिया की वो दिल्ली में उसके लिए कुछ ना कुछ इन्तेजाम ज़रूर कर देगी. ऋतु उसी के भरोसे पठानकोट चल दी. उस बात को आज लगभग 1 साल हो चुक्का हैं लेकिन ऋतु को आज भी याद हैं की उसके पापा उसके लिए ट्रेन का टिकेट लाए थे. उसके पापा की पठानकोट में कपड़े की दुकान थी. पठानकोट स्टेशन पे ऋतु की मा का रो रो के बुरा हाल था. उसके पापा की शकल भी रुवासि हो गयी थी. ट्रेन जब छूटी तो ऋतु की आँखों से भी आँसू झलक पड़े. लेकिन उन्ही आँखों में सपने भी थे. एक सुनहरे भविष्या के. अपने पैरो पो खड़े होने के सपने. अपने पापा मम्मी के लिए अपने कमाए हुए पैसो से गिफ्ट्स लेने के. पूजा ने ऋतु से वादा किया था की वो उसे स्टेशन पे लेने आ जाएगी. पूजा ने अपने ही वर्किंग वूमेन’स हॉस्टल” में उसके रहने का इन्तेज़ांम किया था. ट्रेन न्यू देल्ही रेलवे स्टेशन पे आके रुकी. सभी पॅसेंजर निकलने के लिए हड़बड़ी करने लगे. ऋतु ने भी अपनी बेग निकाली सीट के नीचे से और दरवाज़े की तरफ बढ़ी. जल्दबाज़ी में उसकी बेग एक छोटे बच्चे के लग गयी और वो चिल्ला पड़ा. उसके साथ खड़े उसके पापा ने उस बच्चे को गोद में उठा लिया. ऋतु ने बच्चे और उसके पापा से सॉरी बोला. बच्चे के पापा ने हॅस्कर कहा “कोई बात नही… ज़रूर यह शैतान आपके रास्ते में आ गया होगा. इसको बहुत जल्दी हैं अपनी मम्मी से मिलने की ” ऋतु प्लॅटफॉर्म पर खड़ी थी और एग्ज़िट की तरफ चलने लगी. समान के नाम पर उसके पास बस एक बेग था जो की कई बसंत देख चूक्का था. कपड़ो के नाम पर 4 सूट, 2 स्वेटर और एक सारी थी उसमे. इसके अलावा कुछ और पर्सनल समान (आप लोग समझ ही गये होंगे), अकॅडेमिक सर्टिफिकेट्स, और अपने मम्मी पापा के साथ खिचवाई हुई एक फोटो थी. उसके हॅंडबॅग में लगभग 5000/- रुपये थे और पूजा का अड्रेस और फोन नंबर. हॅंडबॅग में मेक उप के नाम पर सिर्फ़ एक काजल की पेन्सिल थी. ऋतु की आँखें बहुत की सुंदर थी और काजल लगा के तो उनकी सुंदरता और भी बढ़ जाती थी. रंग गोरा और त्वचा एकदम मुलायम. कभी ज़िंदगी में मसकरा, फाउंडेशन, कन्सीलर आदि का उसे नही किया था… उसे तो यह पता भी नही था की यह होते क्या हैं. हद से हद कभी नेल पालिश और लिपस्टिक लगा लेती थी. वो भी जब कोई ख़ास अवसर हो. गेट नंबर 1 से बाहर आने पर ऋतु की नज़रें पूजा को ढूँडने लगी. लेकिन यह कोई छोटा मोटा स्टेशन थोड़े ही हैं. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन हैं. बहुत भीड़ थी और उस भीड़ में सब किस्म के लोग मौजूद होते हैं. ऋतु ने आस पास फोन खोजने की कोशिश की लेकिन सिक्के वाले फोन पे पहले से ही बहुत लोग खड़े थे. मोबाइल उसके पास था नही. पूजा से बात करे तो कैसे . इतने में ऋतु को एक आवाज़ सुनाई दी “हेलो मेडम कहाँ जाना हैं …. ऑटो चाहिए” “नही चाहिए, भैया” “अर्रे जाना कहाँ हैं … बताओ तो” “बोला ना भैया नही चाहिए” “खा थोड़े ही जाएँगे आपको मेडम” ऋतु वहाँ से आगे बढ़ गयी. हू ऑटो वाला पीछे पीछे आ गया परेशान करने के लिए. “अर्रे सुनो तो मेडम … मीटर में जितना बनेगा उतना दे देना … अब आपसे क्या एक्सट्रा लेंगे.” ऋतु को समझ नही आ रहा था की इस बंदे से पीछा कैसे छुड़ाए. तभी एक ज़ोरदार आवाज़ आई. “क्यू परेशान कर रहे हो लेडीज़ को. पोलीस को बुलाउ. वो देंगे तुझे मीटर से पैसे.” ऑटो वाला चुपचाप चला गया. ऋतु ने पीछे मूड के देखा तो वही आदमी था जिसके बच्चे को ऋतु की बेग ग़लती से लग गयी थी. वो ऋतु को देख के मुस्कुराया. ऋतु भी मुस्कुराइ और थॅंक यू बोला. “आप इस शहर में नयी लगती हैं. कहाँ जाना हैं आपको” “जी हां मैं नयी आई हूँ यहाँ. मैं अपनी फ्रेंड का इंतेज़ार कर रही हूँ. वो आने वाली हैं मुझे लेने. लगता हैं किसी वजह से लेट हो गयी हैं.” “आप उससे फोन पे बात क्यू नही कर लेती.” “जी वो फोन बूथ पे लाइन बहुत लगी हैं.” “कोई बात नही मैं आपकी बात करवा देता हूँ मोबाइल से.” ऋतु ने वो पर्ची उसके हाथ में दी जिसमे पूजा का नाम, पता और फोन नंबर था. उन्होने डायल किया और फोन में आवाज़ आई. दा पर्सन यू आर ट्रायिंग टू रीच ईज़ अनअवेलबल अट दा मोमेंट. प्लीज़ ट्राइ लेटर. “यह पूजा जी का फोन तो लग नही रहा. लगता हैं नेटवर्क का कोई प्राब्लम होगा.” “कोई बात नही, मैं वेट कर लूँगी उसका.” “देखिए आपको ऐसे वेट नही करना चाहिए. मेरा नाम राज है. मेरी वाइफ अभी कार लेकर मुझे और मेरे बच्चे को पिक करने आ रही हैं. आप चाहें तो मैं आपको इस पते पे छोड़ सकता हूँ. यह यहाँ से पास ही में हैं और हमारे घर जाने के रास्ते में पड़ेगा.” “नही नही आपको खाँ-म-खा तकलीफ़ होगी. मैं मॅनेज कर लूँगी” “इसमे तकलीफ़ कैसी.” तभी एक आवाज़ आई. “राज ……. राज” दोनो ने देखा की 30-32 साल की एक खूबसूरत महिला, शिफ्फॉन की साडी में, आँखों में काला चश्मा लगाए, उनकी तरफ बढ़ी आ रही हैं. “यह हैं मेरी वाइफ शीतल … और आपका नाम क्या हैं” “जी मेरा नाम ऋतु हैं.” “तो आइए ऋतु जी हम आपको छोड़ देते हैं आपके बताए पते पे” “आप प्लीज़ एक बार और फोन ट्राइ कर सकते हैं… हो सकता हैं वो आस पास ही हो.” राज ने फोन लगाया और इस बार घंटी बाजी. राज “हेलो .. ईज़ दट पूजा.” पूजा “हेलो जी हां.. आप कौन??” राज “लीजिए अपनी फ्रेंड से बात कीजिए.” ऋतु “हेलो पूजा … कहाँ हैं तू … मैं तेरा वेट कर रही हूँ स्टेशन पे. कहाँ रह गयी.” पूजा “हाई ऋतु, मैं तेरे फोन का ही इंतेज़ार कर रही थी. सॉरी यार, मेरा आज सुबह बाथरूम में एक एक्सिडेंट हो गया हैं, मेरी टाँग में स्प्रेन आ गया हैं. मैं तुझे पिक करने नही आ पाउन्गी, यार” यह सुनकर ऋतु का चेहरा उतर गया. ऋतु बोली, “ठीक है, मैं ही देखती हूँ कुछ” राज समझ गया और उसने फिर से कहा की वो छोड़ देगा ऋतु को. ऋतु को वो कपल भले लोग लगे और वो उनके साथ जाने को राज़ी हो गयी. राज गाड़ी ड्राइव कर रहा था. शीतल आगे उसके साथ बैठी थी और उनका 7 साल का बेटा आर्यन पीछे ऋतु के साथ बैठा था. रास्ते में बातों बातों में पता चला की राज एक कंपनी में मेनेज़र हैं और शीतल हाउसवाइफ हैं. उनकी लव मॅरेज हुई थी करीब 9 साल पहले. राज एक बड़ी कंपनी में काम करता हैं और अच्छी पोज़िशन पे हैं. ऋतु ने भी उस फॅमिली को अपने बारे में बताया. बातें करते करते वो अपनी डेस्टिनेशन पे पहुच गये . गाड़ी सीधा “स्वाती वर्किंग वूमेन’स हॉस्टल” के आगे आ के रुकी. पूजा कॉलेज में ऋतु की सीनियर थी. दोनो पठानकोट में आस पास के मोहल्ले में रहती थी और अक्सर एक साथ पैदल कॉलेज जाया करती थी. पूजा से ऋतु को इंपॉर्टेंट नोट्स और बुक्स मिल जाया करती थी. दोनो में अच्छी मित्रता थी. देखने सुनने में पूजा ठीक ठाक सी थी. ऋतु की सुंदरता के सामने उसका कोई मुक़ाबला नही था. आधा कॉलेज ऋतु का दीवाना था. पूजा अक्सर ऋतु को आवारा दिलफेंक आशिक़ो से बचकर रहने को कहती थी. वो कहती थी की जवानी एक पूंजी हैं जिसे सात तालो में छुपा कर रखना चाहिए. उन तालों की चाबी हैं शादी और उस पूंजी को अपने पति पर लुटाना चाहिए. पूजा अकॅडेमिक्स में बहुत अच्छी थी और यूनिवर्सिटी टॉपर. उसने दिल्ली आके टीचर ट्रैनिंग का कोर्स किया और एक स्कूल में इंग्लीश की टीचर बन गयी. दिल्ली आने पर भी ऋतु और पूजा में कॉंटॅक्ट था. ऋतु अक्सर पूजा से गाइडेन्स लेती थी. जब ऋतु ने पूजा को बताया की वो भी शहर जाकर पैसे कमाना चाहती हैं और अपने पैरों पे खड़ा होना चाहती हैं तो पूजा ने उसका हौसला बढ़ाया और आश्वासन दिया की वो उसके रहने का इंतजाम अपने ही हॉस्टल में कर देगी. गाड़ी से उतरकर ऋतु सीधा रिसेप्षन पे गयी और पूछने लगी, “जी मेरा नाम ऋतु हैं और मुझे पूजा जैन से मिलना हैं.” “पूजा इस इन रूम नो 317. आप उसके साथ रूम शेयर करने वाली हैं. पूजा ने मुझे आपके बारे में बताया था” “थॅंक यू.” “आप उपर चले जाइए. थर्ड फ्लोर पे लेफ्ट साइड में हैं रूम. फ्रेश हो जाइए. मेस में नाश्ता लग चुक्का हैं. बाकी फॉरमॅलिटीस हम बाद में कर लेंगे” ऋतु थर्ड फ्लोर तक अपना समान लेके गयी और रूम नो 317 ढूँडने लगी. मिल गया रूम. उसने दरवाज़े पे खटखटाया और अंदर से एक लड़की की आवाज़ आई, “कम इन!!” यह पूजा की आवाज़ थी. ऋतु झट से अंदर गयी और पूजा को बेड पे लेता हुआ पाया. वो कूदकर उसके गले लग गयी. पूजा भी बहुत खुश आ रही थी. उसकी पिछली रूमेट दीप्ति के जाने के बाद उसने हॉस्टिल इंचार्ज से बात करके ऋतु के लिए रूम बुक करवा लिया था. ऋतु फ्रेश होकर पूजा के साथ नाश्ता करके रूम में वापस आई और दोनो ने ढेर सारी बातें करी. ऋतु ने पूजा जो रेलवे स्टेशन पे हुए हादसे के बारे में बताया और राज शर्मा के बारे में भी. पूजा ने ऋतु को सावधान किया “अरी पगली, यह कोई तेरा पठानकोट थोड़े ही हैं. यहाँ ऐसे किसी पे भरोसा ना किया कर. तूने सुना नही हैं - देल्ही ईज़ दा रेप कॅपिटल ऑफ दा कंट्री. यहाँ के मर्दो को बस लड़की दिखनी चाहिए … सबकी लार टपकने लगती हैं. एक नंबर के कामीने होते हैं यह. यह किसी को नही छोड़ते.” यह कहते हुए पूजा की आँखें डब डबा गयी. ऋतु ने इसका कारण पूछा तो वो हँसकर टाल गयी पूजा “तू तक गयी होगी. चल थोड़ा आराम कर ले.” ऋतु “ओके”. पूजा “कल से तू जॉब सर्च करना शुरू कर… लेकिन आज सिर्फ़ आराम कर” अगले दिन से ऋतु की अब सर्च चालू हो गयी. उसके पास सिर्फ़ एक बीए इंग्लीश और उसकी डिग्री थी. और कोई डिप्लोमा या क्वालिफिकेशन नही थी. लेकिन उसे यह खबर नही था की उसकी सबसे बड़ी डिग्री तो उसकी मादक जवानी थी उसके सीने का उफान देख के अच्छे अच्छों के होश उड़ जाते थे. कम से कम 36 इंच की चौड़ाई जो की चाहकर भी छुपती नही थी. उस पर पतली कमर 26 इंच. उस पे नितंबों का क्या कहना. पूरा बदन जैसे किसे साँचे में ढाल के उपर वाले ने तबीयत से बनाया हो. उसकी मम्मी ने उसके लिए ढीले ढाले सूट सिलवाए थे और उसको तंग कपड़े पहनने से मना करती थी. लेकिन ऐसा योवन छुपाए ना छुपता. गुड पर मखी की तरह लड़के उसके चारो ओर मॅडराते थे. घर से कॉलेज के रास्ते में अक्सर कई नौजवान अपनी बाइक या कार में बैठकर उसके आने का इंतेज़ार करते थे. उसकी आँखें मानो आँखें नही 1000 वॉट के दो बल्ब हो जिनसे की पूरा कमरा चमक उठे. उसके होंठ रसीले और भरे हुए थे. लंबे घने और सिल्की बाल. और सबसे कातिलाना थी उसकी स्माइल. उसकी स्माइल पे तो कॉलेज स्टूडेंट्स क्या प्रोफेस्सर्स भी मरते थे. ऋतु ने अगले दिन से ही जॉब सर्च चालू कर दी. अख़बार, एंप्लाय्मेंट न्यूज़, इंटरनेट सब तरफ से उसने जॉब की खोज की. उसका पहले इंटरव्यू लेटर आया एक इम्पोर्ट एक्सपोर्ट फर्म से. ऋतु को अगले ही दिन बुलाया गया था. ऋतु वाइट कलर की सलवार कमीज़ पहन के गयी. मिनिमम ज्यूयलरी और फ्लॅट सनडल्स. बिल्कुल सीधी साधी वेश भूषा में बहुत ही सुंदर लग रही थी. उसके बाल भी एक चोटी में गुथे हुए थे. इंटरव्यू के लिए कयी लड़कियाँ आई हुई थी. एक से एक बन ठन कर. ऋतु का इंटरव्यू कंपनी के मालिक ने लेना था. ऋतु जब अंदर गयी तो वो बंदा सिगरेट पी रहा था. ऋतु को धुवें की वजह से खाँसी आ गयी. उसने तुरंत ही सिगरेट बुझा दी और सॉरी बोला. ऋतु ने सीट ली और अपनी फाइल आगे बढ़ा दी. मालिक ने फाइल को खोला लेकिन उसकी नज़रे फाइल पे कम और ऋतु पे ज़्यादा था. उसने ऋतु से उसकी होब्बीज पूछी . “जी मेरी हॉबीज हैं कुकिंग एंड म्यूज़िक.” “अच्छा आपको म्यूज़िक का शौक़ हैं… मुझे भी हैं. तो चलो एक गाना सूनाओ डियर.” यह कहता हुआ वो अपनी सीट से उठा और ऋतु की चियर के पास ही टेबल पे आ के बैठ गया. ऋतु थोड़ा घबराई. उसने ऐसे कभी किसी के सामने गाना नही गया था. वो बोली, “सर गाना … मैं… आइ मीन… वो आज मेरा गला खराब हैं इसीलिए आपको गाना नही सुना सकती” “क्या हुआ तुम्हारे गले को” यह कहते हुए उस आदमी ने अपना हाथ ऋतु के कंधे पे रख दिया. ऋतु अब टेन्स हो गयी. किसी अंजान व्यक्ति से ऐसे टच होना उसके लिए बहुत नयी बात थी. इस नर्वसनेस में वो अपने दुपट्टे को अपनी उंगलियों में लपेटने लगी और थोड़ा सरक़ गयी ताकि शी कॅन अवाय्ड हिज़ टच. “तुम कुछ टेन्स लग रही हो ऋतु … आओ मैं तुम्हे एक नेक मसाज दे दूं. ” कहता हुआ वो ऋतु की चेयर के पीछे गया और उसके गर्देन को अपने हाथों से सहलाना शुरू किया. ऋतु एकदम खड़ी हो गयी. उससे यह सब सहन ना हुआ. वो चुप चाप अपनी फाइल उठा के बाहर चली गयी. ऋतु ने यह बात अपनी सहेली पूजा को बताई. पूजा को बहुत दुख हुआ यह सुनके … ऋतु की आँखें भर आई यह सब सुनते हुए. पूजा ने उसको हौसला दिया. कुछ ही दीनो में ऋतु ने बहुत सारे इंटरव्यू दिए लेकिन कोई प्रोफेशनल क्वालिफिकेशन ना होने की वजह से उसको कहीं नौकरी ना मिली. एक दिन उसने पेपर में एक बड़ा का एड देखा जिसमे एक रियल एस्टेट कंपनी को सेल्स एजेंट्स की ज़रूरत थी. ऋतु ने वहाँ अप्लाइ कर दिया. इंटरव्यू में उससे कुछ ख़ास नही पूछा गया. इंटरव्यू लेने वाला आदमी 25-26 साल का जवान लड़का था. ऋतु हैरान थी की इतनी कम उमर का लड़का उसका इंटरव्यू कैसे ले रहा हैं. लड़का देखने में हॅंडसम था. और कपड़े भी अच्छे पहने हुए था. उसकी आँखों में एक ख़ास चमक थी. और उसके कोलोन की खुश्बू ऋतु को बहुत पसंद आई. ऋतु को वो नौकरी मिल गयी. ज़ोइन करने के बाद उसको पता चला की इंटरव्यू लेने वाला लड़का उस कंपनी जी लएफ के मालिक भूषण पाल सिंह का इकलौता बेटा करण पाल सिंह हैं. जो कि यू.एस.ए. से एम.बी.ए. करने के बाद अपने पापा के साथ बिज़्नेस में लग गया. ऋतु और कुछ और न्यू ज़ोइनीस को 2 हफ्ते की ट्रैनिंग दी गयी. उसका ऑफीस गुड़गाँव में था और वो रहती थी सेंट्रल देल्ही के एक हॉस्टल में. एक मिनिमम बेसिक सॅलरी दी जाती थी और बाकी का आपके सेल्स पे डिपेंड होता था. ऋतु ने अपनी पहले सेल जल्दी ही की जब उसने एक 2 बेड रूम फ्लॅट बेचा एक डॉक्टर कपल को. उस सेल से उसे अच्छे ख़ासे कमिशन की प्राप्ति हुई. उसके पहले सेल पे उसके कॉलीग्स ने सीनियर्स ने उसे बधाई दी. खुशकिस्मती से करण ने उसकी डेस्क पर आकर उसे बधाई दी, “ऋतु, हार्टिएस्ट कंग्रॅजुलेशन्स” “थॅंक यू सर.” “कॉल मे करण” “जी, करण जी” “करण जी नही, सिर्फ़ करण” “ओक करण” “वी आर वेरी हॅपी विद युवर वर्क. यू आर स्मार्ट आंड कॉन्फिडेंट वाइल सेल्लिंग दा प्रॉपर्टी टू दा क्लाइंट. हमें तुम जैसे लोगों की ही ज़रूरत हैं अपनी कंपनी में. ” “मुझे भी यहाँ काम करके बहुत अच्छा लग रहा हैं, सर.” “ऋतु, तुमने आज अपनी पहली सेल की हैं. पार्टी कहाँ दे रही हो.” “जी पार्टी…” ऋतु सोचने लगी. “हां यार पार्टी, आफ्टर आल यू हेव लॉस्ट योर सेल्स वर्जिनिटी” यह कॉमेंट सुनके ऋतु कुछ शर्मा सी गयी और उसके आँखें शरम से नीची हो गयी…“जी .. हू… मैं…” “ऋतु मैं तो मज़ाक कर रहा था …. शाम को मीट मी आफ्टर ऑफीस .. आइ विल ट्रीट यू.” ऋतु मन ही मन बहुत खुश हुई और बेसब्री से शाम का इंतेज़ार करने लगी. शाम को 5 बजे सब घर जाने लगे. ऋतु ऑफीस में ही बैठी हुई कुछ काम करके का नाटक करने लगी. 5 बजकर 10 मिनट पे ऋतु के डेस्क पे एक फोन आया. “हेलो” “हाई .. करण हियर” “हेलो करण” “जल्दी से बाहर आओ … आइ आम वेटिंग फॉर यू.” “अभी आई” बाहर जा के ऋतु ने देखा एक चमचमाती हुई बी.एम.डब्ल्यू. कार खड़ी थी. करण बाहर निकला और ऋतु से हाथ मिलाया और खुद जा के उसके लिए दरवाज़ा खोला कार का. ऋतु अंदर बैठ गयी. वो पहले कभी इतनी बड़ी गाड़ी में नही बैठी थी. बीएमडब्ल्यू तो छोड़ो वो तो कभी जेन या आल्टो तक में नही बैठी थी. करण गाड़ी में बैठा और ऋतु की और देख कर हल्के से मुस्कुराया. गाड़ी चल पड़ी एनएच 8 पे दिल्ली की तरफ. सुबह की ऋतु, और अभी की ऋतु में कुछ परिवर्तन नज़र आ रहा था. ऋतु ने आँखों में काजल और चेहरे पे हल्का सा मेक अप कर लिया था. खुशी के मारे उसके चेहरे पे एक चमक भी थी. “सो ऋतु .. व्हेअर आर यू फ्रॉम?” “सर मैं पठानकोट को बिलॉंग करती हूँ” “फिर वही…. तुम्हे बोला ना की मुझे सिर्फ़ करण कहकर बुलाओ” “ओह सॉरी” कहकर ऋतु हस दी. करण तो मानो उसकी हँसी में खो गया. और बातें करते करते गाड़ी मूड गयी मौर्या शेरेटन होटेल के अंदर. ऋतु ने होटेल को देखा और समझ गयी की यह ज़रूर 5 स्टार होटेल हैं… उसने धीरे से करण से कहा “करण यह तो कोई फाइव स्टार होटेल लगता हैं” “हां .. इस होटेल में मेरा फेवरिट रेस्टोरेंट हैं - बुखारा” “लेकिन वो तो बहुत महनगी जगह होगी” “अरे तुम क्यू फिकर कर रही हो… अपनी फेवरिट एंप्लायी को अपने फेवरिट रेस्टोरेंट में ही तो ले के जाउन्गा” यह सुनकर ऋतु शर्मा गयी और नीचे देखने लगी. ना चाहते हुए भी उसके होंठो पे हल्दी की मुस्कान आ गयी और उसके गोरे गोरे गालों की सुर्खी थोड़ी और बढ़ गयी. करण यह देख कर हस पड़ा और उसे कहने लगा, “माइ गॉड!!! यू आर ब्लशिंग!!!” “करण आप भी ना…” “मैं भी क्या ऋतु??” “कुछ नही” और नीचे देख के शर्मा गयी. दोनो रेस्टोरेंट में गये और आमने सामने बैठे. ऋतु पहली बार ऐसे किसी रेस्टोरेंट में गयी थी. उसकी आँखें तो बस पूरे रेस्टोरेंट को निहार रही थी. मानो इस छावी को अपने मन में बसा लेना चाहती हो. करण ने खाना ऑर्डर किया और साथ ही ऑर्डर की कुछ रेड वाइन. जब वेटर वाइन डालने लगा तो ऋतु ने करण की और देख कर कहा, “मैं नही पीती करण” “अर्रे यह तो सिर्फ़ रेड वाइन हैं इस से कुछ नही होता” “लेकिन करण, हैं तो यह शराब ही” “ओह कम ऑन ऋतु .. मैं कह रहा हूँ ना कुछ नही होता. और यह तो वाइन हैं. डॉन’ट वरी. ट्रस्ट मी” और वेटर ने ऋतु का ग्लास भी भर दिया. दोनो ने ग्लास टकराए “टू युवर फर्स्ट सेल” कारण बोला. “थॅंक यू करण” खाना बेहद लज़ीज़ था… घर से बाहर आने के बाद ऋतु ने पहली बार इतना अच्छा खाना खाया था… स्वाती वर्किंग विमन’स हॉस्टिल का खाना बस नाम का ही खाना था. जब तक खाना ख़तम हुआ ऋतु पे रेड वाइन की थोड़ी थोड़ी खुमारी छाने लगी. वो अब थोड़ा खुलने लगी करण के साथ. डिन्नर के बाद दोनो निकले और गाड़ी में सवार हो गये. “करण आप क्या हर नये एंप्लायी की फर्स्ट सेल पे उनको डिन्नर करवाते हैं” “हा हा हा .. नही.. इनफॅक्ट मैं तो इस ऑफीस में भी नही बैठता. यह तो सेल्स ऑफीस हैं.. मैं और डॅडी तो कॉर्पोरेट ऑफीस में बैठते हैं. यहाँ तो मैं सिर्फ़ इसलिए आता हूँ ताकि तुमसे मिल सकूँ” ऋतु शर्मा गयी. दोनो एक लोंग ड्राइव पे चले गये. रात हो चली थी. 4-5 घंटे कैसे बीते ऋतु को पता ही नही चला … जब घड़ी पे नज़र गयी तो देखा की रात के 10 बज रहे थे, ऋतु ने करण से कहा, “बहुत देर हो चुकी हैं. अब मुझे हॉस्टल जाना चाहिए.” “हां सही कहा. तुम्हारे साथ टाइम का पता ही नही चला ऋतु.” “मुझे बस स्टॉप पर ड्रॉप कर देंगे प्लीज़.” “नही वो तो मैं नही कर सकता… हां तुम्हे घर ज़रूर छोड़ सकता हूँ” “आप क्यू इतनी तकलीफ़ उठाएँगे. मैं चली जाऊंगी.” “नो आर्ग्युमेंट्स. हम दोस्त हैं लेकिन डॉन’ट फर्गेट की आइ आम ऑल्सो यौर बॉस. यह तुम्हारे बॉस का ऑर्डर हैं” कारण ने झूठा रोब देकर कहा. यह बात ऋतु के कानो में गूंजने लगी - हम दोस्त हैं. करण ने ऋतु के हॉस्टल के बाहर गाड़ी रोकी और कहा “ऋतु ई हद आ ग्रेट टाइम टुडे. तुमसे मिल के तुम्हारे बारे में और जाना और मुझे अच्छा लगा. मुझे लगता हैं हमारी दोस्ती बहुत आगे तक जाएगी.” ऋतु को समझ नही आ रहा था की वो कैसे करण का शुक्रिया अदा करे.. बस सर हिला दिया. गाड़ी से उतरने से पहले करण ने अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ाया हाथ मिलाने के लिए. ऋतु ने भी करण से हाथ मिलाया. लेकिन करण ने फॉरन हाथ नही छोड़ा. 2-3 सेकेंड ऋतु की आँखों में देखा और भी हाथ छोड़ते हुए कहा “यू शुड गो नाउ…. कल ऑफीस में मिलते हैं. गुड नाइट” “गुड नाइट” ऋतु रूम में आकर धडाम से अपने बेड पे गिरी और मुस्कुराने लगी. खुमारी अभी भी बर करार थी. और उस खुमारी के आलम में ऋतु के कानो में करण की कही एक एक बात गूँज रही थी. धीरे धीरे उनकी मुलाक़ातें बढ़ने लगी और कुछ ही हफ़्तो में दोनो बहुत अच्छे दोस्त बन गये. करण इस बात का ख़याल रखता था की ऋतु के पास हमेशा कस्टमर्स जायें जिनको कि अपार्टमेंट्स आंड विलास बेच कर ऋतु को अच्छी कमिशन मिले. ऋतु इस बात से बेख़बर थी. अब उसको हर महीने बहुत अच्छी इनकम होने लगी थी. उसके हाव भाव और वेश भूषा भी बदलने लगी थी. उसने शहर के मशहूर हेयर ड्रेसर के यहाँ से बॉल कटवाए. लेटेस्ट फॅशन के कपड़े लिए. ऊचि क़ुआलिटी का मेकप खरीदा. अच्छे परफ्यूम्स और टायिलेट्रीस. कई दफ़ा काम की वजह से उसे जब लेट होता था तो करण या तो उसको खुद घर छोड़ के आता था या फिर किसी विश्वसनिया ड्राइवर को भेजता था. ऋतु पठानकोट गयी जब अपने माता पिता से मिलने तो उनके लिए अच्छे अच्छे गिफ्ट्स ले के गयी. वो भी उसकी तरक्की से बहुत खुश थे… मोहल्ले वाले उसके माता पिता को बधाई देते थे और उनकी बेटी के गुण-गान करने लगे. ऋतु को एक दिन एक इमेल आया. डियर ऋतु, आइ वॉंट टू टेक अवर फ्रेंडशिप ए लिट्ल फर्दर. आइ नो टुमॉरो ईज़ युवर बर्थडे एंड आइ वान्ट टू मेक इट स्पेशल फॉर यू. आइ हॅव ए सर्प्राइज़ प्लॅंड फॉर यू. यौर्स करण * मैल देख के वो मन ही मन बहुत खुश हुई. करण ने लिखा था "यौर्स, करण" उसके भी मन में करण ने घर कर लिया था. वो बहुत ही हॅंडसम और तहज़ीबदार लड़का था. ना जाने कब ऋतु उसको अपना दिल दे चुकी थी. इस बात से वो खुद बे खबर थी. अगले दिन जब ऋतु ऑफीस से निकली तो यह जानती थी कि करण उसका इंतेज़ार कर रहा था बाहर अपनी कार में. दोनो ऑफीस से चले और एक अपार्टमेंट कॉंप्लेक्स में चले गये. तब तक दोनो ने कुछ नही कहा था एक दूसरे से. कार पार्किंग में खड़ी करके करण ऋतु को लेकर लिफ्ट में गया. लिफ्ट 25थ फ्लोर पे जाके रुकी. टॉप फ्लोर. करण ने जेब से एक रुमाल निकाला और ऋतु से कहा “प्लीज़ इसे अपनी आँखों पे बाँध लो” ऋतु थोड़ी हैरान हुई लेकिन उसने मना नही किया और आँखों पे पट्टी बाँध दी. उसको सुनाई दे रहा था कि करण अपनी जेब से चाबी निकल रहा हैं और उसके बाद दरवाज़ा खोल रहा हैं… करण उसका हाथ पकड़ के उसको कमरे में ले आया. अंदर जाते ही ऋतु को सुगंध आने लगी … फूलो की… शायद गुलाब की थी. उसकी आँखें अब भी ढाकी हुई थी. करण ने दरवाज़ा बंद किया और उसके पीछे आके खड़ा हो गया. उसकी आँखों से पट्टी हटाते हुए बोला हॅपी बर्थडे और उसकी गर्दन पे चूम लिया. ऋतु ने आँखें खोली तो सामने देखा फूल ही फूल. सब तरह के फूल. गुलाब, कारनेशन, लिलीस, ट्यूलिप्स, डॅलिया, डेज़ीस, सनफ्लावर. सामने फूलो के अनेक गुलदस्ते थे. पूरी दीवार पर बस फूल ही फूल. सामने एक टेबल सजी हुई थी जिसपे एक हार्ट शेप्ड चॉक्लेट केक था, साथ ही 2 ग्लास और एक शॅंपेन की बॉटल. टेबल पे कॅंडल लाइट जल रही थी और पूरी कमरे में उन्ही कॅंडल्स की ही डिम रोशनी थी. पूरा माहौल बहुत ही रोमॅंटिक लग रहा था. ऋतु के घुटने मानो जवाब दे रहे थे. उधर करण उसकी गर्दन पर चूम रहा था और हर बार चूमते हुए हॅपी बर्थडे बोल रहा था. ऋतु पलटी और करण की तरफ मूह कर लिया. कारण अभी भी उसकी गर्दन पर लगा हुआ था. ऋतु ने अपनी दोनो बाहें करण के गले में डाल दी. “थॅंक यू करण. यह मेरा सबसे अच्छा बिर्थडे हैं आज तक” “एनीथिंग फॉर यू ऋतु.” करण ने उसकी गर्दन पे चूमना रोका और उसकी आँखों में देखा. ऋतु की आँखें कुछ डब दबा गयी थी. वो इस खुशी को समेट नही पा रही थी. करण ने उसके चेहरे को अपने हाथों में ले लिया और धीरे से अपने होंठ उसके होंटो की तरफ बढ़ा दिए. ऋतु तो जैसे उसकी बाहों में पिघल सी गयी थी. उसने कोई विरोध ना किया. दोनो के होंठ मिले और ऋतु के शरीर में एक कंपन सी हुई. पहली बार वो किसी लड़के को चूम रही थी. उसे अपने पूरे बदन में ऐसी सेन्सेशन महसूस हो रही थी जैसे बिजली का करेंट दौड़ रहा हो रागो में. उसके और करण के होंठ एक हो चुके थे. करण उसके लबो को बहुत हल्के से चूम रहा था. कारण ने थोडा लबो को खोलने की कोशिश की और नीचे वाले होंठ को अपने दाँतों में दबाया. ऋतु की पकड़ टाइट हो गयी… उसके लिए यह सब नया था लेकिन कारण इस गेम का पुराना खिलाड़ी था… रईस बाप की हॅंडसम औलाद. लड़कपन से ही इस खेल में आ गया था. स्कूल में उसकी अनेक गर्लफ्रेंड्स थी. हर क्लास में वो नयी गर्ल फ्रेंड बनाता था. उसके बाप ने उसे 9थ में मारुति ज़ेन गिफ्ट की थी जिसमे उसने बहुत लड़कियों को घुमाया था और शहर की सुनसान सड़को पे उस गाड़ी के अंदर बहुत हरकतें हुई थी. बाद में जब वो यूएसए गया एमबीए करने तो वहाँ अकेले रहता था एक फ्लॅट ले के. उसके फ्लॅट को लोग ‘लव डेन’ कहते थे. वहाँ उसने कई फिरंगी लड़कियों से अपने देसी लंड की पूजा करवाई थी. इधर ऋतु भी अब किस में शामिल हो रही थी.. वो खुद भी अपने होंठ खोल के करण को प्रोत्साहन दे रही थी. करण ने जीभ हल्के से उसके मूह में घुसाई. हर ऐसी नयी हरकत पे ऋतु की उंगलियाँ करण की पीठ में ज़ोर से धस जाती थी.. लेकिन जल्दी ही ऋतु खुद वो काम कर रही थी. जल्दी सीख रही थी. दोनो एकदम खामोश खड़े हुए इस चुम्मा चाटी में लगे हुए थे. अब समय था की करण के हाथ अपना कमाल दिखाते. उसने हाथ उसके चेहरे से हटा के उसकी गर्दन पे टिकाए.. लेफ्ट हॅंड से गर्दन के पीछे मसाज करने लगा और उसका राइट हॅंड धीरे धीरे नीचे सरकता रहा ऋतु के लेफ्ट बूब की तरफ. करण ने हल्के हाथ से उसे दबाया और उसके मम्मे के चारों और सर्कल्स में उंगलियाँ दौड़ाने लगा. ऋतु यह सब बखूबी महसूस कर रही थी लेकिन उसो भी इस सब में मज़ा आरहा था.. उसकी आँखें तो किस करते समय से ही बंद थी. वो एक ऐसे समुद्रा में गोते लगा रही थी जहाँ वो खुद डूब जाना चाहती थी. करण ने अपने दोनो हाथ अब उसकी कमर पर उसके लव हॅंडल्स पे रख दिए और उनको हल्के से सहलाने लगा. ऋतु के घुटनो ने जवाब दे दिया और वो करण के उपर आ गिरी … करण ने उसको संभाला और पीछे पड़े हुए ब्लॅक लेदर के सोफा पे जाके बैठ गया और ऋतु को अपनी गोद में बिठा लिया. ऋतु की आँखें बंद थी और बाहें करण के गले में. वो करण की गोद में बैठी थी और उसको अपने चुतड के नीचे किसी कड़क चीज़ का एहसास हो रहा था. करण ने कमीज़ के नीचे से अपना राइट हाथ कमीज़ के अंदर डाल दिया.. अब वो ऋतु के मुलायम और स्मूद बदन को एक्सप्लोर करने लगा…. इस पूरे समय दोनो किस करते जा रहे थे जो अब स्मूच में बदल गयी थी. ऋतु की टंग और करण की टंग मानो एक हो गये हो.. करण किसी भूखे कुत्ते की तरह अपनी जीभ लपलपा रहा था और ऋतु उसका पूरा साथ दे रही थी… करण ने ऋतु को टेढ़ा किया ऐसे की ऋतु की पीठ उसकी छाती पे थी. करण उसकी गर्दन पर अब भी किस कर रहा था और उसके दोनो हाथ अब ऋतु के बूब्स पर थे वो हल्के हल्के उन्हे दबोच रहा था… ऋतु के मस्त 36 इंच के बूब्स ने आज तक किसी पराए मर्द के हाथों को महसूस नही किया था. वो भी मानो इस चीज़ से इतने खुश थे की ना चाहते हुए भी ऋतु अपने बूब्स को आगे बढ़ा रही थी… करण ने कपड़ो के उपर से उसके बूब्स को पकड़ लिया. |
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06-05-2014, 07:28 PM
Post: #2
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RE: हॉस्टल से 5-स्टार होटल तक
ऋतु के मूह से एक आह छूट पड़ी… करण ने हाथ आगे बढ़ाए और नीचे उसकी जाँघो को सहलाने लगा… वो पूरा खिलाड़ी था, उसको पता था की लड़की को गरम कैसे करना हैं और कैसे उसके विरोध को तोड़ना हैं… अब करण अपनी अगला कदम बढ़ाने वाला था और उसको मालूम था की विरोध आने ही वाला हैं… वो इसके लिए पूरी तरह से तैयार था…
ऋतु ने अपने हाथ पीछे करण के गले में डाले हुए थे जिससे की करण को उसके बूब्स का अच्छी तरह से दबाने का मौका मिल रहा था. अब करण ने अपना अगला कदम बढ़ाया और धीरे से राइट हॅंड उसकी चूत के उपर ला कर रख दिया और थोड़ा सा दबाव दिया. “यह क्या कर रहे हो कारण” “ऋतु मैं अपने आप को नही रोक सकता” “नही करण ऐसा मत करो.. यह ग़लत हैं” “ऋतु अगर यह ग़लत होता तो हूमें इतना अच्छा क्यू महसूस हो रहा हैं… क्या तुम्हे अच्छा नही लग रहा??” “अच्छा लग रहा हैं ... बहुत अच्छा” “रोको मत अपने आप को ऋतु” करण ने ऋतु की कमीज़ उसके सर के उपर से निकाल दी. ब्लू कलर की ब्रा में ऋतु के मस्त 36” बूब्स मानो करण को बुला रहे हो अपनी ओर. करण ने ब्रा के उपर से ही उन्हे चूमना शुरू किया. हर किस के साथ ऋतु के मूह से आह छूट रही थी. करण ने सिर्फ़ एक ही हाथ से उसके ब्रा के हुक्स खोल दिए.. वो प्लेयर आदमी था. धीरे से ब्रा के स्ट्रॅप्स उसके कंधो से उतारे…. और ब्रा को शरीर से अलग कर दिया. ऋतु की आँखें अब खुल गयी थी… कमरे में अभी भी कॅंडल्स की हल्की रोशनी ही थी…. फूलो की मदमस्त करने वाली खुश्बू और कारण. उसे मानो यह सब एक सपना लग रहा था… मज़ा आ रहा था और डर भी लग रहा था… एक मिली जुली फीलिंग थी… वो समझ नही पा रही थी की रुक जाए या आगे बढ़े… उधर करण चालू था… पूरे समय उसके हाथ ऋतु के बदन को एक्सप्लोर कर रहे थे.. ऋतु को यह पता नही था की किसी और के छूने से इतना अच्छा लग सकता हैं. करण का हौसला बढ़ता जा रहा था. उसका पता था की ऋतु गरम हो रही हैं… जल्दी ही उसके हाथ सलवार और पॅंटी के उपर से उसकी चूत को सहलाने लगे… ऋतु के मूह से आह ओह छूटे जा रही थी.. उसने आँखें बंद कर ली थी और एंजाय कर रही थी.. करण ने उसकी नंगे बूब्स को एक एक करके चूमा उर अपनी जीभ से निपल्स के आस पास सर्कल्स बनाने लगा… उसने जान बूझके निपल्स को मूह में नही लिया.. वो तड़पाना चाहता था ऋतु को.. ऋतु को आनंद आ रहा था लेकिन अधूरा… अंत में उससे रहा ना गया और उसने खुद कहा, “मेरे निपल्स को चूसो करण” “ज़रूर बेबी” “ओह करण आइ लव यू.. आइ लव यू सो मच…दिस फील्स सो गुड…” “आइ लव यू टू बेबी.. यू आर सो ब्यूटिफुल” यही मौका था… करण ने स्सावधानी से उसकी सलवार के नाडे का एक कोना पकड़ा और साथ की निपल्स भी मूह में ले लिए… प्लेषर से ऋतु कराह उठी और साथ ही नाडा भी खुल गया.. ऋतु को तो इस बात का एहसास ही नही हुआ की नाडा कब खुला… जब करण का हाथ गीली हो चुकी पॅंटी पे पड़ा तब उसे मालूम हुआ… करण था मास्टर शिकारी.. कैसे शिकार को क़ब्ज़े में करता जा रहा था और शिकार को खबर तक नही… गीली हो चुकी पॅंटी के उपर से उसने चूत को मसलना शुरू किया… ऋतु अब करण को चूमने लगी.. कभी उसके होंठ कभी गाल कभी गर्दन कभी कान… उसके हाथ करण की चौड़ी छाती और मज़बूत कंधे पर घूम रहे थे. कारण ने धीरे से सलवार सरका कर उसके पैरों से अलग कर दी… अब करण और उसके टारगेट के बीच सिर्फ़ एक लेसी नीली पॅंटी थी… ऋतु को सोफे पे लिटा के करण उसके पेट पर किस करने लगा.. उसका एक हाथ उसके बूब्स को मसल रहा था और दूसरा हाथ उसकी चूत को. ऋतु उसके बालों में उंगलियाँ डाल के कराह रही थी. करण ने हाथ पॅंटी के अंदर डाल दिया.. ऋतु की चूत मानो किसी भट्टी की तरह धधक रही. टेंपरेचर हाइ था.. और रस भी शुरू हो चूक्का था… ऋतु के लाइफ में पहली बार यह सब हो रहा था… करण ने पॅंटी नीचे करने की कोशिश की “ओह करण.. प्लीज़… यह क्या कर रहे हो…” “प्यार कर रहा हूँ ऋतु” “ओह करण… यह ठीक नही हैं.. यह ग़लत हैं” ऋतु का विरोध सिर्फ़ नाम का ही विरोध था… मन तो उसका भी यही था लेकिन मारियादा की सीमा तो एकदम से कैसे लाँघ जाती .. आख़िर वो एक भारतिया लड़की थी. “फिर वही बात… इट्स ऑल फाइन बेबी… यू नो आइ लव यू … जब बाकी पर्दे हट चुके हैं तो यह भी हट जाने दो ना” “लेकिन हमारी शादी नही हुई हैं करण.” “बेबी.. तुम्हे मुझपे भरोसा नही हैं क्या… क्या तुम्हे लगता है मैं धोकेबाज़ हूँ” करण ने आवाज़ में थोडा गुस्सा उतारा. “नही करण.. यह बात नही हैं” “नही ऋतु आज मुझे मत रोको…” यह कहते हुए उसने पॅंटी नीचे कर दी .. ऋतु ने भी लेटे लेटे अपनी कमर उठा के उसकी मदद की… कमरे की मध्यम रोशनी में कारण ने ऋतु की चूत को निहारा… चूत की फांके जैसे आपस में चिपकी हुई थी. चूत अपने ही रस में चमक रही थी… उसके उपर हल्के हल्के बाल… ऋतु बहुत ही गोरी थी और उसकी चूत भी… उसकी क्लाइटॉरिस एकदम सूज गयी थी… करण ने बड़े ही तरीके से उसकी चूत को चूमा… “ओह करण यू आर सो गुड.” करण ने अपनी जीभ को चूत की दर्रार में डाल दिया और नीचे से उपर उसके क्लिट तक लेके गया… ऋतु का हाल बुरा हो रहा था… करण ने क्लिट को अपने मूह में लिया और चूसने लगा…. करण ने ऋतु की लेफ्ट टाँग को अपने कंधे पे रख किया और डाइरेक्ट्ली उसको चूत के सामने आ गया… ऋतु के हाथ करण के सर पर थे और वो उसके मूह को अपनी चूत की तरफ धकेल रही थी. करण ने क्लिट चूस्ते हुए ही अपनी शर्ट और जीन्स उतार दी …. उसके अंडरवेर में उसका लंड तना हुआ था… अब वो धीर धीरे उपर आया उसके पेट बूब्स और गर्दन को चूमते हुए… ऋतु के लिप्स को चूमा और धीरे से उसके कान में कहा, “ऋतु, तुम्हारा गिफ्ट तैयार हैं” “कहाँ हैं गिफ्ट” “यहाँ” और उसने अपने लंड की तरफ इशारा किया. ऋतु शर्मा गयी … उसने धीरे से अपना हाथ बढ़ाया और करण के लंड को अंडरवेयर के उपर से छुआ… “अंदर आराम से हाथ डाल लो… डॉन’ट वरी” ऋतु ने अंडर वेर के अंदर जैसे ही हाथ डाला कारण ने अपने हिप्स उठा दिए… ऋतु इशारा समझ गयी और करण के अंडरवेयर को नीचे कर दिया… अब दोनो के शरीर पे एक धागा भी नही था… ऋतु उठ के नीचे फर्श पे घुटने टीका के बैठ गयी… करण का लंड उसके मूह के सामने था… पूरी तरह से तना हुआ… ऋतु अपनी ज़िंदगी में पहली बार ऐसे दीदार कर रही थी लंड का … एक पल के लिए तो उसे देखती ही रही… 7 इंच का मोटा लंड उसके सामने था... करण ने उसके हाथ को अपने लंड पे रख, ऋतु ने कस कर पकड़ लिया… और हाथ उपर नीचे करने लगी… करण ने अपने एक हाथ से उसके सर के पीछे दबाओ दिया और उसका मूह लंड के सिरे पे ले आया. ऋतु ने करण की आँखों में देखा.. “ऋतु अपना मूह खोलो और इसे चूसो, प्लीज़.” “लेकिन यह तो इतना बड़ा हैं..” “डॉन’ट वरी.. सब हो जाएगा.” “ओके” और ऋतु ने लंड को मूह में लिया. नौसीखिया होने के कारण उसको पता नही था आगे क्या करना है. करण ने अपने हाथ से दबाव देते हुए उसके सर को आगे पीछे किया और मज़े लेने लगा. ऋतु भी थोड़ी देर में रिदम में आ गयी और लंड को अच्छे से चूसने लगी. करण ने ऋतु के दूसरे हाथ को अपने बॉल्स पे लगा दिया. ऋतु उसका इशारा समझ गयी और उसके बॉल्स से खेलने लगी. थोड़े देर बाद करण ने उसको उठाया और अपने साथ सोफे पे बिठाया. वो उठा और सामने टेबल पर पड़ी शॅंपेन की बॉटल खोली. दो लंबे ग्लास में शॅंपेन डाल के ले आया. उसने एक ग्लास ऋतु की और बढ़ा दिया. ऋतु ने मना नही किया और खुशी खुशी ग्लास लिया. “चियर्स” “चियर्स” “इस हसीन शाम के नाम!” “तुम्हारे और मेरे प्यार के नाम!” और दोनो ने शॅंपेन के घूट लिए. ऋतु का गला सूख रहा था इसलिए उसने थोडा बड़ा सा घूट लिया और एकदम से खांस पड़ी. थोड़ी सी शॅंपेन उसके मूह से निकल के होंठो और सीने से होते हुए उसके बूब्स पे गिर गयी. ऋतु ने जैसे ही हाथ बढ़ाया पोछने के लिए करण ने उसका हाथ पकड़ लिया. उसने धीरे से उसका हाथ नीचे किया और अपना मूह उसके बूब की तरफ ले गया. उसने अपनी जीभ निकाली और छलके हुए शॅंपेन को अपनी जीभ से चाटा. ऋतु को इसमे अत्यंत आनंद आया. करण चाटते ही रहा. ऋतु को भी बहुत मज़ा आ रहा था. शेम्पेन के बुलबुले उसके शरीर में एक अजीब सा एहसास दिला रहे थे और करण की जीभ इस एहसास को और बढ़ा रही थी. करण ने अपने गिलास से थोड़ी सी शॅंपेन और छलका दी उसके दूसरे बूब पर और उसको भी चाटने लगा.. ऋतु ने पैर खोले और उसकी उंगलियाँ खुद ब खुद उसकी चूत की तरफ चल दी और उससे खेलने लगी… करण समझ गया और उसने शॅंपेन अब ऋतु की चूत पे डाल दी… शॅंपेन पड़ते ही ऋतु ने एकदम से टांगे बंद कर ली… क्लिट पर चिल्ड शॅंपेन का एहसास असहनीय था. करण ने धीरे से उसकी टाँगों को खोला और शॅंपेन में उसकी चूत को नहला दिया… चूत से टपकती हुई शॅंपेन की धार को उसने अपने मूह में ले लिया और पीने लगा… ऋतु इस एहसास से पागल हो रही थी… चूत में से टपकती हुई शॅंपेन का टेस्ट सब शॅंपेन्स से बढ़िया था जो आज तक करण ने पी थी. शायद यह कमाल ऋतु की चूत से छूट रहे पानी का नतीजा था जो शॅंपेन में मिल गया था. करण ने बॉटल उठा ली और उससे लगतार शॅंपेन ऋतु की चूत पे डालने लगा, … और उसके नीचे अपना मूह लगा लिया… ऋतु को यकीन नही हो रहा था की यह उसके साथ क्या क्या हो रहा हैं.. उसको सब सपने जैसा लग रहा था.. लेकिन एक ऐसा सपना जिससे वो जागना नही चाहती थी. करण ने टेबल से केक लिया और एक उंगली में चॉक्लेट ड्रेसिंग लेकर ऋतु के सीने पे लगा दी. “यह क्या कर रहे हो करण? उफ, सारा गंदा कर दिया…” ऋतु ने अपने हाथ से सॉफ करने की कोशिश की लेकिन करण ने फिर से उसका हाथ पकड़ लिया.. ऋतु समझ गयी और उसने अपना नीचे वाला होंठ दाँतों में दबा लिया.. करण आगे बढ़ा और अपने मूह में चॉक्लेट में डूबी ऋतु की चुचि दबा ली और उस पे से चॉक्लेट चाटने लगा… ऋतु की चूचियाँ पिंक कलर की थी लेकिन इस प्रहार के बाद वो एकदम लाल हो गयी थी और तनी हुई थी. करण उनपे चॉक्लेट लगाता और उसे चाट लेता… उधर ऋतु के हाथों में उसका लंड था… वो उससे खेले जा रही थी… दोनो एक दूसरे में एकदम घुले हुए थे… दीन दुनिया से बेख़बर… सब बंधनो से कटे हुए. करण अपनी सब फॅंटसीस पूरी करने पर आमादा था. अचानक करण उठा और उसने ऋतु को अपनी बाहों में उठा लिया. वो ऊए लेके घर में बेडरूम में ले गया. बेडरूम बहुत ही आलीशान था… एसी चल रहा था …चारो और दीवारों पे बढ़िया पेंटिंग्स… बीच में एक फोर पोस्ट बेड और बेड के एक तरफ जहाँ वॉर्डरोब था उसपे बड़े बड़े शीशे लगे हुए थे. करण ने ऋतु को आराम से बेड पे लिटाया. साटन की मैरून बेडशीट पे लेटते ही ठंड की एक लहर ऋतु की शरीर में दौड़ गयी… उसके रोंगटे खड़े हो गये. करण यह देख के मुस्कुराया और अपनी उंगलियों से उसके रोंगटो को महसूस करने लगा… अब वो खुद भी बेड पे आके लेट गया. दोनो के कपड़े अभी भी बाहर ड्रॉयिंग रूम में पड़े हुए थे. करण बेड पे ऐसा लेटा था की ऋतु उसकी लेफ्ट साइड में थी… उसी साइड में वॉर्डरोब भी था जिसपे बड़े बड़े शीशे लगे हुए थे. यानी की करण अपने सामने ऋतु के आगे का शरीर देख सकता था और शीशे में उसकी पीछे का … इस गेम का पुराना खिलाड़ी था आख़िर …. करण ने सीधा शॅंपेन की बोतल पे मूह लगाया और शॅंपेन गटाकने लगा. उसने शॅंपेन ऋतु को भी ऑफर की … ऋतु ने मना किया... अब करण ने शॅंपेन की बोतल को फिर से मूह में लिया और अपने गालों में शॅंपेन भर ली. उसने ऋतु को चूमने के बहाने वो शॅंपेन ऋतु के मूह में उडेल दी. ऋतु ने शॅंपेन को जैसे तैसे गटक लिया और उसके बाद खेलते हुए एक हाथ मारा करण की छाती पे. कारण ने उसे फिर से चूमना चालू किया ताकि उसे मेन आक्ट से पहले गरम कर सके. ऋतु अब तक काफ़ी पानी छोड़ चुकी थी और उसकी चूत का गीलपन उसकी जाँघो तक टपक रहा था. ऋतु के शरीर का ऐसा कोई भी हिस्सा नही था जिसे करण ने चूमा नही. अब टाइम आ चुक्का था ऋतु की कुँवारी चूत को भोगने का … करण का लंड एकदम तना हुआ था … कब से वो इस दिन का इंतेज़ार कर रहा था … ऋतु भी फुल गरम हो चुकी थी … करण ने ऋतु की टांगे फैलाई और उनके बीच जा बैठा … उसने ऋतु की आँखों में देखा … उनमें एक अंजान सा डर था … वो आगे बढ़ा और उसने ऋतु के गालों को चूमा और बोला, “डॉन’ट वरी, मैं हूँ ना.” ऋतु को यह बात सुन के कुछ सुकून मिला और उसने आँखें बंद कर ली. आँखें बंद किए हुए ऋतु इतनी स्वीट और ब्यूटिफुल लग रही थी की एक पल के लिए तो करण के मन में ख्याल आया की बस उसे निहारता रहे और उसकी ले नही … लेकिन घोड़ा अगर घास से दोस्ती कर लेगा तो खाएगा क्या. एक उंगली … सिर्फ़ एक उंगली घुसते ही ऋतु ने आँखें ज़ोर से भीच ली दर्द के मारे और मूह से एक दबी हुई चीख ... करण ने उसे हौसला देते हुए कहा की अभी सब ठीक हो जाएगा … उसने उंगली वापस अंदर डाली और थोड़ी देर अंदर ही रहने दी … कुछ टाइम बाद धीरे से अंदर बाहर करने लगा … उसने उंगली अंदर घुसाई और अंगूठे से ऋतु के क्लिट से खेलने लगा, … ऋतु मारे आनंद के सिसक रही थी … अपने घुटनो को मोड़ के उपर उठा लिया था ताकि चूत एकदम सामने आ जाए. अब करण से रहा नही जा रहा था … करण ने लंड को हाथ में पकड़ा और उसे टच करवाया ऋतु की चूत पे. ऋतु सिहर गयी … पहली बार उसकी चूत से किसी लंड का संपर्क हुआ था. उसने अपनी सहेलियों से सुना था की पहली बार करने में बहुत दर्द होता हैं. लेकिन वो यह दर्द भी झेल सकती थी अपने करण के लिए. करण ने अब देर ना की और एक हल्के झटके से अपने लंड का सिरा उसकी चूत की फांको में घुसा दिया. ऋतु ने ज़ोर से तकिये को दबा दिया … और आँखें ज़ोर से भींच ली … और अभी तो सिर्फ़ लंड का सिरा गया था अंदर. करण ने थोड़ी देर वैसे ही रहने दिया. उसके बाद उसने वापस दम लगाया और आधा लंड अंदर कर दिया चूत के …. ऋतु हल्के से चीख पड़ी …. उसकी आँखों के किनारो में आँसू की बूँदें जमने लगी … करण ने ऋतु के माथे पे आई कुछ पसीने की बूँदें पोछी और उसके गाल थपथपाते हुए कहा, “डॉन’ट वरी, जान … यू आर डूइंग ग्रेट.” अब करण ने एक आखरी धक्का दिया और लंड चूत में पूरी तरह से घुस गया … ऋतु की चीख निकल गयी और उसके नाख़ून कारण की पीठ में धँस गये. करण अपना लंड अंदर बाहर करने लगा और उसने देखा की उसके लंड पे खून लगा हुआ था जो की चूत से सरक से बिस्तर पे पड़ रहा था. करण ने मन ही मन सोचा, “अच्छा हुआ मैरून कलर की बेडशीट्स थी .. वरना ना जाने कितनी बदलनी पड़ती सुबह तक.” उधर ऋतु का दर्द के मारे बुरा हाल था … वो बस वेट कर रही थी की यह जल्दी से ख़तम हो और वो दर्द से छुटकारा पाए …. करण अब फुल फोर्स से लगा हुआ था. उसने ऋतु की दोनो टाँगें उठा के अपने कंधों पे रख ली थी ताकि लंड को पूरा अंदर घुसा सके …. उसके स्ट्रोक्स स्लो और डीप थे …. फिर वो कभी स्पीड पकड़ लेता और जल्दी जल्दी छोटे स्ट्रोक्स मारता था. ऋतु की सील तो टूट चुकी थी लेकिन अभी तक दर्द कम नही हो रहा था. करण के लिए अपनी फीलिंग्स की वजह से वो उसको रुकने के लिए भी नही बोल रही थी …. आख़िरकार करीब 15 मिनट लगातार ऋतु की चूत को घिसने के बाद करण ऑर्गॅज़म के करीब पहुचा … उसने नीचे लेटी ऋतु के दोनो बूब्स को ज़ोर से हाथों से मसला और अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ने लगा. वो छोड़ते छोड़ते भी स्ट्रोक्स मार रहा था … उसको पूरा मज़ा आ गया था …. अपने पानी को पूरी तरह ऋतु की चूत मे खाली कर के वो उसके उपर गिर गया … ऋतु ने उसके बालों को सहलाया और उसके थके हुए शरीर को सहलाया … करण ने ऋतु की चूत से अपना लंड निकाला और एक टिश्यू से उसे पोछा. उसने टिश्यू पेपर ऋतु को दे दिया. ऋतु उठ के साथ ही बने अटॅच्ड टाय्लेट में चली गयी. टाय्लेट में जाकर ऋतु ने देखा की उसकी चूत से खून निकला हैं और टाँगो में भी लगा हैं. उसकी चूत से करण का वीर्य भी टपक रहा था. ऋतु ने अछे से अपने आप को क्लीन किया और मूह भी धोया. शॅंपेन पीने की वजह से उसको यूरीन करने की ज़रूरत पड़ी … जब वो कॅमोड पे बैठ के पी करने लगी तो उसे बहुत जलन हुई. ऋतु बाथरूम से टॉवेल लॅपेट के बाहर आई तो देखा की करण अभी भी नंगा लेटा हुआ था और बेड पे सिगरेट पी रहा था. “करण मुझे नही पता था आप सिगरेट भी पीते हो” “तुम्हे मेरे बारे में अभी बहुत सी चीज़ें नही पता ऋतु. कम हियर, क्लोज़ टू मी” ऋतु उसके बाहों में जाके लेट गयी… उसका सर कारण की छाती पर था और उसके हाथ करण की कमर पर. कब आँख लगी और कब सुबह हुई पता ही नही चला… सुबह ऋतु ठंड के मारे सिमट चुकी थी. उसके घुटने उसकी छाती पे थे और अभी भी उसने वोही टवल लप्पेट रखा था जो वो बाथरूम से ओढ़ कर आई थी. उसकी आँख खुली तो करण आस पास कहीं नही था. वो उठी और चादर लप्पेट के बाहर आई ड्रॉयिंग रूम में. वहाँ करण सोफे पे बैठा किसी से बात कर रहा था. उसने अब अपने बॉक्सर्स पहन लिए थे. उसके एक हाथ में सिगरेट और दूसरे में फोन था. “शर्मा जी, आप लीज एंड लाइसेन्स अग्रीमेंट बनवा दीजिए..” ………………….(फोन पे शर्मा जी को सुनता हुआ करण) “यस.. नाम लिखिए ऋतु कुमार, उम्र 22, हां जी …. इसे जल्दी से बनवा के एक घंटे के अंदर फ्लॅट पे भिजवाए.” ……………….. “यह काम आप फ़ौरन कीजिए. थॅंक्स, बाइ.” तभी करण ने ड्रॉयिंग रूम के किनारे पे खड़ी ऋतु को देखा और मुस्कुराया. “गुड मॉर्निंग, ब्यूटिफुल. …. कम हियर” “गुड मॉर्निंग” और ऋतु करण की तरह बढ़ी करण ने उसका हाथ पकड़ के उसे अपनी गोद में बिठा दिया. “करण, कल मेरी ज़िंदगी की सबसे यादगार रात थी.” “ऐसी कई और रातें हैं अभी हमारे बीच, ऋतु” और करण ने ऋतु के होंठो को चूम लिया ऋतु मुस्कुराइ, “किससे बातें कर रहे थे?” “ऑफीस में लीगल सेल में रूपक शर्मा हैं ना, उनसे. कुछ काग़ज़ात बनवाने थे.” “किस तरह के काग़ज़ात?” “लीज एंड लाइसेन्स अग्रीमेंट. अब तुम उस हॉस्टिल में नही रहोगी. दिस ईज़ युवर न्यू हाउस.” “लेकिन मैं यहाँ कैसे रह सकती हूँ? यह तो बहुत ही आलीशान घर हैं. मैं वहीं ठीक हूँ ... हॉस्टिल में” “ऋतु, तुम करण पाल सिंह की गर्लफ्रेंड हो. तुम उस हॉस्टिल में नही रह सकती. यह जगह तुम्हारे लिए सही हैं.” यह बात सुनकर ऋतु मन ही मन उच्छल पड़ी. करण ने उसे अपनी गर्लफ्रेंड कहा था. “लेकिन करण मैं यहाँ इतने बड़े घर में अकेले .. मतलब .. कैसे रहूंगी” “अकेले कहाँ, मैं हूँ ना… मैं आता रहूँगा.” करण ने उसको अपने बाहो में भर लिया… ऋतु का तो खुशी का ठिकाना ना रहा दोनो के कपड़े वहीं ड्रॉयिंग रूम में बिखरे पड़े थे. कारण की पॅंट शर्ट और ऋतु की सलवार कमीज़ ब्रा और पॅंटी… “मैं कपड़े उठा लेती हूँ… यहाँ कब से बिखरे पड़े हैं और मिस्टर शर्मा भी तो आ रहे हैं” “रहने दो अभी… वो तो एक घंटे बाद आएँगे.” “लेकिन उठाने तो हैं ही ना” “एक घंटा हैं ना … अभी पहन के क्या करोगी … आओ ना…” कहते हुए करण ने ऋतु की शरीर पे लिपटी चादर की गाँठ खोल दी. ऋतु शरमाई और करण के गोद से उठकर बेडरूम की तरफ भागने की कोशिश करने लगी. “बेडरूम में क्या रखा हैं, ऋतु. यहीं कर लेते हैं ना.” “यहाँ??? ड्रॉयिंग रूम में?” “कहाँ लिखा हैं की ड्रॉयिंग रूम में इंटरकोर्स नही कर सकते?” “हां, लिखा तो कहीं नही हैं.” “तो फिर आओ ना.” करण ने ऋतु के लिप्स को चूमा और उसकी चूत पे वापस हाथ फेरने लगा और उपर से सहलाने लगा. ऋतु ने उसके बॉक्सर्स में हाथ डाल दिया और उसके सोए हुए लंड को जगाने लगी… करण का एक हाथ ऋतु के बूब्स पेट और दूसरा चूत पे.. और वो बेहताशा ऋतु को चूमे जा रहा था… रात भर आराम के बाद सुबह एनर्जी लेवेल्ज़ हाइ थे और करण के लंड को अपना पूरा आकार लेते हुए ज़्यादा समय नही लगा. ऋतु की चूचियाँ भी करण के मूह में सख़्त हो चुकी थी.. तने हुए उसके चूचे रात के एपिसोड के बाद और पाने के लिए बेचैन थे… उसकी चूत भी करण के लंड की प्यासी हो रही थी… करण चालू था फुल फ्लो में और रुकने का नाम नही ले रहा था… उसने ऋतु की चूत में दो उंगलियाँ डाल दी… ऋतु को अत्यंत दर्द का एक्सास हुआ… रात को ही तो उसकी सील टूटी थी.. अभी ठीक से घाव भरे भी नही थे की करण ने वापस प्रहार शुरू कर दिया था… चूत गीली हो चुकी थी… करण उठा सोफे पे से और उसने ऋतु को कहा. “ऋतु मूड जाओ और अपने हाथ पैर सोफे पे रखो” ऋतु हैरान हो गयी…यह करण ना जाने क्या बोल रहा था… उसे समझ नही आया.. फिर भी उसने करण की बात मान ली और वैसा ही किया जैसा उसे कहा गया था. करण का मान तो कुछ नये ही स्टाइल में करने का था… रात को मिशनरी करके वो ऊब चक्का था… उसे कुछ अलग तरह से करना था अब. ऋतु की कोहनियां और घुटने अब सोफे पे थे और करण उसके पीछे आ के खड़ा हो गया. (अब नज़ारा ऐसा था की कोई बड़ी उम्र का आदमी देख लेता तो शायद हार्ट अटॅक से मर जाता. लेकिन दोस्तो, मैं बड़ा तजुर्बेकार आदमी हूं जो उन्हे अपनी आँखो से देख भी रहा था ओर सुन भी रहा था. अब आप सोच रहे होंगे ये तीसरा यहाँ कैसे आ गया. अरे भाई, मैं इस कहानी का लेखक हूं. लेखक सब देखता है तभी तो उसका वर्णन कर पाता है.) ऋतु की कोमल गांड अपने पूरे शबाब में करण के सामने थी. गांड का छेद हल्के भूरे रंग का और एकदम टाइट दिख रहा था … उसको देख के करण मन ही मन बोला, “तेरा नंबर भी जल्दी ही आएगा, रानी.” चूतडों के बीच की दरार के नीचे एक पतली सी लाइन ऋतु की चूत की थी. चूत की दोनो फाँकें आपस से सिमटी हुई थी और उनके बीच कोई जगह नही दिख रही थी. जगह तो तब बनती जब करण अपना 7” लंड उस दरार में घुसा के उसे बड़ा करेगा. ऋतु के घुटने आपस में टच कर रहे थे.. कारण ने उन्हे दूर किया और चूत पे वापस हाथ फेरा… काफ़ी गीली थी.. टाइम आ चुक्का था की ऋतु को इस नयी पोज़िशन से वाकिफ़ करवाया जाए. वो नीचे झुका और उसकी चूत को पीछे से चाटने लगा… ऋतु के मूह से आहें निकलने लगी…. उसने जीभ ऋतु की चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा. उसने एक हाथ से उसके क्लिट को भी सहलाया जो की अब तक सूज के बड़ी हो चुकी थी… “ओह करण… प्लीज़ डू इट. प्लीज़” कारण ने लंड को पकड़ा और ऋतु की चूत में घुसेड दिया…. ऋतु की चूत अभी तक पूरी तरह से लंड लेने की आदि नही हुई थी… लंड घुसते ही ऋतु आगे की और लपकी ताकि लंड से बच सके और अपनी चूत को भी बचा सके.. लेकिन करण ने भी कोई कची गोलियाँ नही खेली थी… उसने एक हाथ ऋतु के नीचे, उसके पेट पे रखा था.. उसने उसी हाथ से ऋतु को वापिस खीचा और उसका पूरा लंड ऋतु की नाज़ुक चूत में समा गया. अब वो धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा…. ऋतु को शुरू में तो दर्द हुआ लेकिन वो दर्द जल्दी ही एक मीठे एहसास में बदल गया जिसमे उसे बहुत मज़ा आ रहा था… करण जानता था की यह डॉगी स्टाइल पोज़िशन ऐसी हैं जिसमे मॅग्ज़िमम पेनेट्रेशन मिलती हैं…. … इसीलिए वो धीरे धीरे कर रहा था ताकि एक बार ऋतु थोड़ी ढीली हो जाए तो वो पूरा जलवा दिखाएगा… करण के हाथ ऋतु के चुतड पे थे… वो उन गोल मांसल चुतड़ो को सहलाता था.. उन्हे मसलता था…. और हल्के हल्के से उन्हे मार भी रहा था… ऋतु के गोरे गोरे चुतड करण के ठप्पड़ो की वजह से लाल हो गये थे… अब वो खुद भी आगे पीछे हिल रही थी ताकि अछे से आनंद ले सके… करण ने अब ज़ोर से धक्के लगाने चालू किए और पूरा का पूरा लंड अंदर देने लगा. ऋतु भी मज़े में ऊह आह करने लगी |
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06-05-2014, 07:34 PM
Post: #3
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RE: हॉस्टल से 5-स्टार होटल तक
“ओह करण आइ लव यू… आ अया …. येस्स्स्स” करण ऐसे ही करते रहो आह बड़ा मज़ा आ रहा है
करण ने अपने मूह से थोडा सा थूक निकाल कर टपका दिया ऋतु के गांद के छेद पे … निशाना एकदम सटीक था… उसने अब अपनी उंगली से छेद पे थोड़ा सा दबाव बनाया और उसे हल्के हल्के दबाने लगा… वो अंदर नही डालने वाला था उंगली, .. बस ऋतु को मज़े देने के लिए कर रहा था… यह सब करने पर ऋतु को असहनीय आनंद हुआ और वो पानी छोड़ने लगी और साथ ही आवाज़ें निकालने लगी, “यह क्या कर रहे हो करण… ओह इट फील्स सो गुड.. डोंट स्टॉप.” ऋतु के बदन पे पसीने की एक हल्की सी परत बन गयी थी … इस बार वो भी पूरी मेहनत कर रही थी … करण को तो पसीना आ ही रहा था. करण ने उसके बदन के नीचे हाथ डाल कर उसके बूब्स को पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा… यह करते ही ऋतु और भी ज़्यादा पागल हो रही थी… वो एक बार तो पानी छोड़ ही चुकी थी …. दूसरी बार भी दूर नही था… अब करण ने अपने एक हाथ से चुचियो को मसलना शुरू किया ऋतु भी पूरे जलाल पर थी, “हाय करण, ऐसे ही ... और ज़ोर ... आह्ह्ह्ह!” करीब 20 मिनिट तक यह धक्कमपेल चलती रही …. और फिर करण ने फाइनल धक्के देने शुरू किए… उसका ऑर्गॅज़म बिल्ड हो रहा था … ऋतु का भी ऐसा ही हाल था … करण ने ऋतु के हिप्स को और भी ज़ोर से पकड़ लिया और अपनी रफ़्तार बढ़ा दी. ऋतु ने भी सोफे को और ज़ोर से पकड़ लिया. एक ज़ोरदार आआआह के साथ करण ने अपना वीर्य ऋतु की चूत में उड़ेल दिया…. ऋतु ने बी लगभग उसी समय पानी छोड़ दिया ... तकरीबन 8-10 सेकेंड्स तक करण ऋतु की चूत में वीर्यपात करता रहा … ऋतु को उसके वीर्य की गर्मी महसूस हो रही थी … वो भी पानी छोड़ चुकी थी… दोनो पसीने में लथपथ वही सोफे पे लेट गये … ऋतु की चूत से बहकर वीर्य उसकी जाँघो पे आ गया था. वो करण की छाती पे सर रखकर लेटी हुई थी … दोनो ऐसे ही ना जाने कितनी देर तक लेटे रहे … तभी दरवाज़े पे एक दस्तक हुई. ऋतु चौंक के उठ पड़ी और अपने कपड़े समेट के अंदर बेडरूम में भाग गयी. करण ने अपने बॉक्सर्स पहने और दरवाज़ा खोला. “गुड मॉर्निंग, मिस्टर करण.” “गुड मॉर्निंग, कम इन प्लीज़. बैठिए.” रूपक शर्मा ने देखा की कमरे में करण के कपड़े बिखरे पड़े हैं फर्श पे. पास ही टेबल पे आधा कटा केक था और सामने फूल ही फूल. वो ग्ल्फ कंपनी में बहुत सालों से था और पेशे से वकील था. ग्ल्फ के लीगल सेल में उची पोज़िशन में था. करण ने उसे सुबह 1 घंटे पहले ही एक लीज एंड लाइसेन्स अग्रीमेंट बनानी के लिए कहा था… लीज एंड लाइसेन्स ऋतु कुमार के नाम पे था. रूपक जानता था की ऋतु सेल्स डेपारमेंट में नयी आई हैं. … और यहाँ पर करण के कपड़े बिखरे पड़े हैं. … सामने केक और फूल हैं, बेडरूम का दरवाज़ा बंद हैं. उसको दो और दो चार करने में वक़्त नही लगा और वो समझ गया की करण की पिछली रात बहुत ही रंगीन रही हैं. तभी उसकी नज़र एक ऐसी चीज़ पे गयी जिससे उसका शक़ यकीन में बदल गया. सोफे पे वीर्य की दो तीन बूँदें दिख रही थी जो लेटे लेटे ऋतु की चूत से सरक के टपक गयी थी. रूपक समझदार आदमी था. अपना मूह बंद रखा. करण के ऐसे कई कामो से वो वाकिफ़ था जिनमें उसे रूपक की वकालत और कनेकशन्स की ज़रूरत पड़ी थी. ... मसलन जब कारण ने एक रात शराब के नशे में रिंग रोड पे अपनी गाड़ी से एक मोटरसाइकल वाले को उड़ा दिया था और गाड़ी भगा के ले गया था. रूपक ने तुरंत पोलीस में अपनी जान पहचान लगा के मामले को रफ़ा दफ़ा करवाया था. गुन्डों से उस मोटरसाइकल वाले को डरा धमका के और कुछ पैसे देके उसका मूह भी बंद करवा दिया था. वो करण के काले कारनामो का पूरा चिट्ठा जानता था. “सर यह रही वो लीज एंड लाइसेन्स अग्रीमेंट जो आपने बनाने को कही थी मिस ऋतु कुमार के नाम” “गुड, दिखाइए.” “यह लीजिए सर” “(पढ़ते हुए) गुड, थॅंक यूं वेरी मच. मुझे पता हैं आप भरोसे के आदमी हैं और आपसे कहा हुआ काम हमेशा तसलीबख्श होता हैं” “थॅंक यू सर, अब मैं चलूं?” “ओके, थॅंक यूं वेरी मच. सॉरी आपको सॅटर्डे को भी सुबह सुबह उठा दिया” “नो प्राब्लम सर… आइ एम ऑल्वेज़ एट यूअर् सर्विस” रूपक चला गया. उसका सॅटर्डे तो बर्बाद हो ही चुका था. फ्राइडे रात को यह सोच के की कल आराम से उठुगा, उसने मस्त दारू चढ़ाई और उसके बाद अपनी बीवी की चूत को अच्छी तरह बजा के करीब 2 बजे वो सोया था. सुबह सुबह 7 बजे करण के फोन ने उसे उठा दिया था. उधर फ्राइडे रात से ही ऋतु की सहेली पूजा का बुरा हाल था… ऋतु ने उसे कुछ बताया नही था की वो कहाँ है.. उसने अनगिनत बार ऋतु का फोन ट्राइ किया था लेकिन घंटी बजती रही और कोई रेस्पॉन्स नही था… ऋतु ने अपना फोन साइलेंट पे कर दिया था… उसे ख़याल ही नही रहा की पूजा को खबर कर दे. जब भी ऋतु लेट होती थी वो पूजा को बता देती थी की ताकि वो चिंता ना करे. पूजा का हाल बुरा था… वो फ़िकरमंद थी… कहीं ऋतु पठानकोट तो नही चली गयी.,. कहीं उसके साथ कुछ बुरा तो नही हुआ.. वो जानती थी की यह शहर एक अकेली लड़की पे बहुत बेरहम हो सकता हैं. वो सोच रही थी की पठानकोट फोन करके ऋतु के पेरेंट्स को बताए की क्या हो रहा हैं.. उसने एक बार और फोन मिलने का सोचा की उमीद में की इस बार ऋतु उसका फोन उठा ले. फोन का स्क्रीन फ्लश करने लगा.. आवाज़ तो आ नही रही थी क्यूकी फोन साइलेंट मोड़ पर था.. करण की नज़र उसपे पड़ गयी..उसने फोन उठाया और बेडरूम में चला गया. बेडरूम में ऋतु अब तक कपड़े पहन चुकी थी. करण ने फोन ऋतु के पास बेड पे फेंका और बोला “तुम्हारा फोन आ रहा हैं” और बातरूम में चला गया ऋतु ने देखा नंबर पूजा का हैं… तुरंत ही उसको एहसास हुआ की पूजा चिंतित होगी क्यूकी उसने खबर नही की थी थी की वो रात हॉस्टिल नही आएगी. आज तक वो कभी रात जो हॉस्टिल से बाहर नही रही थी. उसने डरते हुए फोन पिक किया. “हेलो” “हेलो ऋतु??? कहाँ हैं तू?? ” “वो पूजा मैं एक फ्रेंड के घर पे रुक गयी थी.” “अर्रे यह भी कोई तरीका हैं.. बताना तो था … तू जानती हैं मैं कितनी चिंतित थी.” “सॉरी पूजा … वो एक दम दिमाग़ से निकल गया. ” “ऐसे कैसे दिमाग़ से निकल गया .. तुझे पता हैं मैं कितना परेशान थी. कहाँ हैं तू अभी?? होस्टल कब आ रही हैं??” “मैं अभी फ्रेंड के घर पे ही हूँ. जल्दी आ जाउन्गी तू चिंता ना कर. अच्छा अभी मैं फोन रखती हूँ. आकर बात करती हूँ” “ओक बाइ” “बाइ” तभी बाथरूम से करण फ्रेश होकर बाहर आ गया. “किसका फोन था” “पूजा का मेरी रूम मेट हैं हॉस्टल में” “हैं नही थी…. जाकर अपना सामान लेकर आ जाओ” “लेकिन करण मुझे अभी भी थोडा अजीब सा लग रहा हैं… इस फ्लॅट का किराया तो बहुत ज़्यादा होगा.” “तुम फिकर मत करो.. आइ विल मेक शुवर की तुम्हे सबसे अच्छे क्लाइंट्स मिले और तुम्हारी सेल्स बाकी सबसे अच्छी हो.. ताकि तुम्हे हर महीने इतनी सॅलरी मिले की यह तो क्या तुम इसी अछा फ्लॅट अफोर्ड कर सको.” करण ने फोन पे नाश्ता ऑर्डर किया. ऋतु इतनी देर में बाथरूम जाकर नहाने लगी… नहाते नहाते ऋतु बस यही सोचे जा रही थी की जो उसने किया क्या वो सही था,, बिना शादी के उसने करण से शारीरिक संबंध बनाए थे … यह बात उसके मा बाप को पता चल जाती तो वो तो बेचारे शरम के मारे डूब मरते … वो किसी को मूह दिखाने लायक ना रहती…. नहा के ऋतु ने वही कपड़े पहन लिए जो उसने कल रात को पहने हुए थे. इतनी देर में नाश्ता आ गया और ऋतु और करण ने मिलके नाश्ता किया. नाश्ते में सभी कुछ बहुत बढ़िया और स्वादिष्ट था… रात भर मेहनत करने के बाद भूख भी अच्छी लगी थी.. दोनो ने सारा नाश्ता ख़तम कर दिया.. नाश्ता ख़तम करने के बाद कारन ने ऋतु से कहा – “तुम्हे एक और चीज़ खानी हैं” “अब मेरे पेट में बिकुल जगह नही हैं करण. मैं और कुछ नही खा सकती.” “बस एक छोटी सी गोली” और उसने आई-पिल की गोली ऋतु की तरफ सरका दी. ऋतु दो पल तो उस गोली को की घूरती रही. यह गोली उसको एहसास दिला रही थी की उसने जो किया रात को वो सही नही हैं. उसने अपनी वासना की आग में अपना कुँवारापन खो दिया था. उसने वो गोली चुप चाप खा ली. यह गोली मानो ऋतु को एहसास दिला रही हो की उसकी हरकतें किसी शरीफ खानदान की लड़की के लिए उचित नही. वो उठ कर बाथरूम में चली गयी और वहाँ जाकर रोने लगी. करण उसके पीछे पीछे बाथरूम में आया और उसकी आँखों से आँसू पोंछे. बिना कुछ कहे उसने ऋतु को अपनी बाहों में भर लिया जैसे की आश्वासन दे रहा हो की कुछ नही होगा .. मैं तुम्हारी हमेशा रक्षा करूँगा. ऋतु ने अपना मूह उसके सीने में छुपा लिया और आस्वस्त हो गयी. उसने कोई पाप नही किया था. वो करण से प्यार करती थी, और करण उससे. कम से कम वो तो ऐसा ही समझती थी. ऋतु करण की गाड़ी में हॉस्टिल आई… वो रूम में घुसी तो पूजा उसे देखकर फॉरन चालू हो गयी. “क्या करती हैं ऋतु.. मेरी तो जान ही सूख गयी थी..” “ओह माइ डियर पूजा आराम से बैठो… तुम बेकार ही इतना नाराज़ थी” ऋतु ने देखा कमरे के किनारे पड़ा हुआ एक छोटा सा केक, 2 कोल्ड्रींक्स, एक गुलाब का फूल और एक गिफ्ट. यह देखकर उसे पूजा की नाराज़गी समझ आई और उसके पास गयी…. पूजा ने दूसरी और मूह फेर लिया. “सॉरी पूजा मुझे नही पता था तुम मेरा इंतेज़ार कर रही थी… और तुमने इतनी तैयारियाँ भी की थी.” “कोई बात नही. कम से कम फोन तो उठा लेती.. सुबह जल्दबाज़ी में तुझे ठीक से विश भी नही कर पाई थी.” “फोन साइलेंट पे था तो पता ही नही चला यार” पूजा का प्यार देख के ऋतु की आँखें दबदबा गयी और उसने पूजा को गले लगा लिया. “सॉरी पूजा मुझे माफ़ कर दो. मैने तुम्हारा बहुत दिल दुखाया हैं” “कोई बात नही पगली… चल अपना केक तो काट ले” तभी पूजा की नज़रें पड़ी ऋतु की गर्दन पे जिसपे कल रात करण ने जी भर के चूमा था. ऋतु के गले पे दांतों के निशान बन गये थे. एक नही 3-4. “यह तुम्हारी गर्दन पर निशान कैसे ऋतु” “निशान कैसे निशान .. कुछ भी तो नही हैं” यह कहते हुए ऋतु ने दुपट्टा गले पे लप्पेट लिया. पूजा ने दुपट्टा हटाया और बारीकी से मुआीना किया निशानो का और समझ गयी. “ऋतु… सच सच बता तू कल कहाँ थी” उसकी आवाज़ में एक कठोरता थी “बताया तो एक फ्रेंड के घर पे थी” “और यह निशान भी तुम्हारे फ्रेंड की बदौलत होंगे” ऋतु चुप रही “बोल ऋतु बोलती क्यू नही” “पूजा तुम कुछ ज़्यादा ही सोचती हो. प्लीज़ माइंड युवर ओन बिज़्नेस.” ऋतु को यह बोलते हुए ही अपनी ग़लती का एहसास हुआ लेकिन तीर कमान से चूत चुक्का था और पूजा को घायल कर चुक्का था. “ठीक कह रही हो ऋतु… मुझे क्या मतलब तुम रात को कहाँ जाती होई क्या करती हो… अंकल आंटी ने जब मुझे फोन पे कहा था की हमारी ऋतु का ख़याल रखना तो मुझे उन्हे तभी मना कर देना चाहिए थे. तुम बालिग हो, समझदार हो, अपने फ़ैसले खुद लेने की अकल हैं तुम में. ” “सॉरी पूजा मेरा वो मतलब नही था” “तो क्या मतलब था ऋतु. देख मुझे सब सच सच बता दे… क्या हुआ तेरे साथ.. कहाँ थी तू कल… क्सिके साथ थी??” ऋतु ने सब कुछ सच सच पूजा को बता दिया. पूजा की आँखे फटी की फटी रह गयी. “यह तूने क्या किया ऋतु. यह तूने क्या किया. क्या तू नही जानती की यह रईसजादे किसी से सच्चा प्यार नही करते. इनके लिए लड़कियाँ बस वासना की आग बुझाने का ज़रिया हैं. यह वादे तो बड़े बड़े करते हैं… प्यार के झूठे सपने दिखाते हैं…. भविष्या के सब्ज़ बाघ दिखाते हैं और कुछ ही दीनो में जब इनका मन भर जाता हैं एक लड़की से तो उसे इस्तेमाल की हुई चीज़ की तरह फेंक के दूसरी की और चले जाते हैं.” “नही पूजा करण ऐसा नही हैं… वो मुझसे प्यार करता हैं” “प्यार… अर्रे ऋतु प्यार नही… वो तेरे साथ बस सोना चाहता हैं” “ऐसा नही हैं.. तुम बेवजह ही शक़ करती हो.” “ऐसा नही हैं तो बोलो उसको की वो तुम्हे अपने पेरेंट्स से मिलवाए और तुम्हारे पेरेंट्स से जाकर तुम्हारा हाथ माँगे” “ज़रूर करेगा वो मेरे लिए यह” “मुझे समझ नही आ रहा की तेरी नादानी पे हसु या रोऊँ ऋतु… तू इतनी भोली हैं की उसकी चिकनी चुपड़ी बातों को सच समझ के उनपे यकीन कर बैठी और उस कमीने के चंगुल में फस गयी” “पूजा. ज़ुबान संझल के बात करो करण के बारे में….. गाली गलोच करना ठीक नही” “अच्छा गाली गलोच करना ठीक नही.. और जो तू करके आई हैं वो ठीक हैं… शादी से पहले पराए मर्द के साथ सोते हुए तुझे बिल्कुल शरम नही आई.” “बस बहुत हुआ पूजा.. मैं बच्ची नही हूँ… मुझे अच्छे बुरे की तमीज़ हैं” “ऋतु तुझे मेरी बातें उस दिन ध्यान आएँगेंगी जब वो तुझे अपना असली रंग दिखाएगा” “बस पूजा दिस ईज़ दा लिमिट. मैं इस बारे में कोई बात नही करना चाहती. गाड़ी बाहर वेट कर रही हैं मैं बस अपना समान लेने आई हूँ. मैं गुरगाओं में एक फ्लॅट में मूव कर रही हूँ. तुमने मेरे किए जोभी ही किया हैं आजतक उसके लिए मैं हमेशा तुम्हारी शुक्रगुज़ार रहूंगी” “यह क्या कह रही हो ऋतु… तुम शादी से पहले कैसे रह सकती हो उसके साथ” “मैं वहाँ अकेले रहूंगी” ऋतु ने समान बँधा और वहाँ से चल पड़ी. हॉस्टिल से बाहर आती ऋतु के हाथ से ड्राइवर ने सूटकेस लेकर गाड़ी की डिकी में डाल दिया. गाड़ी चल पड़ी स्वाती वर्किंग विमन’स हॉस्टिल से गुड़गाँव की उस हाइराइज़ बिल्डिंग कार्लटन एस्टेट की तरफ जहाँ 25थ फ्लोर पे ऋतु का नया फ्लॅट था. ऋतु ने फ्लॅट में अपना सामान सेट कर दिया…. वो बहुत एग्ज़ाइटेड थी इस फ्लॅट में रहने में… एक तो फ्लॅट बहुत आलीशान था और दूसरे वो पहली बार इस तरहग अकेले रह रही थी… ऋतु किचन में गयी और देखा की किचन में खाने पीने की बहुत चीज़ें थी.. फ्रिड्ज में फल सब्ज़ियों से भरा हुआ था.. ऋतु ने अपने लिए लंच में थोड़ी सी खिचड़ी बनाई और सो गयी.. शाम को उसकी नींद खुली जब बेल बाजी. दरवाज़ा खोला तो बाहर करण था. वो अंदर आया और ऋतु से बोला “फटाफट रेडी हो जाओ हुमको बाहर जाना हैं मार्केट तक” “कुछ लेना हैं क्या?” “हां कुछ चीज़ें लेनी हैं” “मैं अभी तैयार होके आई” ऋतु और करण निकल पड़े गुड़गाँवा में उद्योग विहार फेज़ 4 की तरफ जहाँ था सफ़दरजंग ह्युंडई का शोरुम. ऋतु को लगा की शायद करण को यहाँ काम होगा. कारण अंदर गया ही था की वहाँ का मॅनेजर आ गया. “अर्रे करण साहिब आइए आइए वेलकम तो सफ़दरजंग ह्युंडई. कॅन आइ हेल्प यू सर?” “मिस्टर बक्शी एक कार लेनी हैं ह्युंडई आइ10” “ओक सर दिस वे प्लीज़ … कलर चूज़ कर लीजिए.. मॉडेल तो हमेशा की तरफ सबसे बेस्ट ही होगा. ” “जी हां टॉप मॉडेल” करण ऋतु की तरफ मुड़ा और प्यार से बोला. चलो अपना फेवोवरिट कलर चूज़ कर लो इन कार्स में से. “मुझे गाड़ी नही चाहिए करण.” “देखो ऋतु.. मैं तो चाहता हूँ कि तुम हमेशा मेरे साथ मेरी गाड़ी में ही घूमो लेकिन तुम्हे पता हैं की ऑफीस में लोग बातें करेंगे” “हां लेकिन मैं गाड़ी का क्या करूँगी.” “तुम घर से ऑफीस जाना और ऑफीस से घर और थोड़ा वक़्त हो तो हूमें भी घुमा देना अपनी गाड़ी में” “लेकिन करण इस सब की क्या ज़रूरत हैं” “अब बातें बंद करो और जल्दी से कलर चूज़ करो.” ऋतु ने कलर चूज़ किया ‘ब्लशिंग रेड’. करण ने 1 लाख रुपये डाउन पेमेंट करवा दी और बाकी का पैसा एमी से देना तय हुआ. दोनो वहाँ से निकले और सीधा गये आंबियेन्स माल में. यहाँ उन्होने अनेक चीज़ों की शॉपिंग की, ऋतु के लिए. कपड़े, ज्यूयलरी, वॉचस, शू एक्सट्रा एक्सट्रा . शॉपिंग करते करते रात हो गयी और दोनो ने एक शानदार रेस्टोरेंट में डिन्नर किया और फिर वापस आ गये फ्लॅट पे. वापस आके करण ने ऋतु को खीच कर अपने पास बिठा लिया सोफे पे और चालू हो गया. पहले उसके हाथ ऋतु के पूरे शरीर पे दौड़ने लगे और वो उसे चूमने लगा… कुछ देर तो ऋतु ने उसका साथ दिया… लेकिन ऋतु के दिमाग़ में पूजा द्वारा कही गयी बात घर कर गयी थी – की करण उसे इस्तेमाल करके छोड़ देगा. वो अपने सेल्फ़ डाउट में इतनी इन्वॉल्व्ड हो गयी की करण को लगा जैसे वो एक प्लास्टिक की गुड़िया के साथ हैं… उसने ऋतु से पूछा “क्या हुआ डार्लिंग.. तुम्हारा ध्यान कहाँ हैं… क्या बात हैं” “करण मैं एक बात को लेके परेशान हूँ” “क्या बात हैं बेबी” “यही की हम जो यह सब कर रहे हैं क्या यह सही हैं” “आ हैं मतलब” “देखो करण तुम मेरे जीवन में पहले लड़के हो और मैं चाहती हूँ की मैं तुम्हारी ज़िंदगी में आखरी लड़की हू” “ओह.. यह बात.. क्या तुम्हे लगता हैं की मैं तुम्हे धोखा दे रहा हूँ???” “ऐसी बात नही हैं करण.. वो बस मैं इस बात को लेके चिंतित हूँ की हम दोनो एक दूसरे को चाहते तो हैं लेकिन इस बंधन में रिश्ते की मोहर नही हैं” “रिश्ते की मोहर??? किस ज़माने की बात कर रही हो ऋतु. हम लोग 21स्ट्रीट सेंचुरी में हैं. कल के बारे में तो मैं नही कह सकता लेकिन मेरा आज तुम हो. आइ लव यू आंड यही मेरी आज की हक़ीकत हैं. क्या तुम मेरी इस बात पे यकीन कर सकती हो” “ओफ़कौर्स करण” “तो आओ… शो मी हाउ मच यू लव मी!!” ऋतु उठी और एक शॉपिंग बॅग लेके अंदर बेडरूम में चली गयी. “वेट फॉर मी. मैं अभी आई” “ओके ऋतु” करण उठा और सामने बार से एक बॉटल स्म्र्नॉफ की निकाली और दो ड्रिंक बनाने लगा. उसने वोड्का में लाइम कॉर्डियल डाला और किचन से बर्फ और स्प्राइट की बॉटल ले आया. उसने जाम बनाए ही थे की ऋतु बेडरूम से निकल के छुपते छुपाते आई और आके उसने ड्रॉयिंग रूम की सभी लाइट्स बंद कर दी… अब ड्रॉयिंग रूम में सिर्फ़ किचन से आती हुई रोशनी आ रही थी. करण अपना ग्लास लेके सोफे पे बैठ गया. तभी ऋतु ने रिमोट का एक बटन दबाया और म्यूज़िक प्लेयर पे एक सेक्सी सा रोमॅंटिक इन्स्ट्रुमेंटल म्यूज़िक बजने लगा. ऋतु ने दीवार के पीछे से एक टाँग बाहर निकली… टाँग पे कोई कपड़ा ना था… उसने ब्लॅक हाइ हील सॅंडल्ज़ पहने हुए थे विद रोमन स्ट्रॅप्स. टाँग के बाद ऋतु ने अपना हाथ निकाला और उस हाथ पे भी कोई कपड़ा ना था बस एक घड़ी थी केनेत कोले की. धीरे धीरे उसका बाकी शरीर बाहर आया… कम रोशनी की वजह से ऋतु पूरी तरह से सॉफ सॉफ दिख तो नही रही थी लेकिन इसके बदन पर कुछ ख़ास कपड़े नही थे. शाम को ही ऋतु और करण ने जो शॉपिंग की थी उसमें से एक सेक्सी सी ब्लॅक कलर की थॉंग पॅंटी और लेसी पुश अप ब्रा पहन कर ऋतु आई थी. ऋतु ने आँखें बंद की और उस म्यूज़िक की धुन पर हल्के हल्के हिलने लगी. करण का ड्रिंक उसके हाथ में ज़्यु का त्यु पड़ा था .. उसने उसमे से एक सीप भी नही लिया था. वो तो जैसे इस दृश्या को देख के असचर्यचकित रह गया था… उसका मूह खुला था… एक हाथ में वोड्का का ग्लास और दूसरे हाथ से वो अपना लंड सहला रहा था ऋतु अपनी ही धुन में थी… करण को कम रोशनी में कुछ दिखाई नही दे रहा था.. वो उठा और जाकर लाइट ओन कर दी. लाइट ओन होते ही ऋतु जो की किसी और ही दुनिया में पहुच चुकी थी एक्दुम से सकते में आ गयी… और वापस बेडरूम की और भागी… लेकिन करण ने उसे पकड़ लिया… उसे वापस ड्रॉयिंग रूम में लेके आया और उसके साथ धीरे से म्यूज़िक पे इंटिमेट डॅन्स करने लगा. ऋतु का राइट हाथ करण के लेफ्ट हॅंड में था और उसका लेफ्ट हॅंड करण के कंधे पे. करण का राइट हॅंड ऋतु की कमर में था और दोनो स्लो डॅन्स करने लगे. करण का हाथ ऋतु की कमर से सरक कर उसके अस्स पर गया. ऋतु ने जो थिंग पहनी थी उसकी पीछे का स्ट्रॅप इतना पतला था की उसकी अस्स क्रॅक में घुस चुक्का था. देखने वालो को शायद कहीं से देखके मिलता भी नही की वो स्ट्रॅप हैं कहाँ. करण उसके अस्स पर हाथ लगातार फिराए जा रहा था और गान्ड की दीवार को भी उंगली से नाप रहा था. उधर ऋतु का हाथ करण के कंधे से सरक के उसकी छाती पर आ गया था और वो शर्ट के उपर से ही करण के निपल्स से खेलने लगी. करण के निपल्स ऋतु की तुलना में थे तो बहुत छोटे लेकिन सेन्सिटिव तो थे. ऋतु का हाथ थोड़ी देर निपल्स से खेलने के बाद नीचे करण के लंड पे चला गया. करण का लंड पहले ही सेमी एरेक्ट था लेकिन अब पुर ज़ोर पे था. वो खुद अब तक ऋतु की गान्ड से ही खेल रहा था… उसने उसके अस्स के क्रॅक में से स्ट्रॅप निकाल के साइड में खींच दिया था और उस दरार में अपना हाथ उपर नीचे करे जा रहा था. उसने गान्ड के छेद के उपर ले जाकर अपनी उंगली टिकाई और उससे खेलने लगा… उंगली टिकाते की ऋतु थरथरा सी गयी.. आज करण के हाथ ऋतु की चूत से दूर बस उसकी गान्ड पे ही टीके हुए थे. वह दो बार ऋतु की चूत में अपना लंड पेल चुक्का था. अब उसका ध्यान कहीं और था. जी हां आज वो ऋतु की गान्ड मारने के मूड में था. करण ने एक हाथ से ऋतु के ब्रा का स्ट्रॅप उसके कंधे से उतार दिया. दूसरे कंधे से भी उसने स्टरेप नीचे कर दिया. वैसे भी वो ब्लॅक लेसी ब्रा ऋतु के बूब्स को संभाल नही पा रही थी. उसके मम्मे जैसे ब्रा के कप्स से छलकने को तैयार थे. धीरे से करण ने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए पीछे से. ब्रा सरक के नीचे फर्श पर गिर गयी. ऋतु ने उसे पैर से सरका के साइड कर दिया … दोनो अभी भी डॅन्स की मुद्रा में थे … अब करण ने उसकी थॉंग्ज़ को कमर की दोनो तरफ से पकड़ा और नीचे कर दिया… और नीचे जाते जाते उसकी नाभि को चूमने लगा… ऋतु ने उसका मूह अपने पेट में दबा लिया… उसके बूब्स करण के सर उपर जाके टिक गये. और वो उनसे हल्का हल्का दबाव उसके सर पर बनाने लगी… इतनी अच्छी हेड मसाज शायद ही आज तक किसी को मिली हो करण उपर आया तो ऋतु ने उसकी शर्ट के बटन खोल दिए… शर्ट उतारने के बाद ऋतु के हाथ अब उसकी जीन्स के बटन पे थे… जीन्स के साथ ही उसने करण का बॉक्सर्स भी नीचे कर दिया… अंडरवेर से फ्री होते ही उसका लंड टन्न्न कर के सामने था … तभी करण ने नीचे पड़ी जीन्स की जेब से एक छोटी सी ट्यूब निकाली. जेल्ली की. ऋतु समझ ही नही पाई की यह हैं क्या. “यह क्या हैं करण” “बेबी दिस ईज़ जेल्ली या ल्यूब्रिकेशन” “लेकिन इसकी क्या ज़रूरत हैं.. तुम्हारा हाथ लगते ही मैं तो वैसे ही लूब्रिकेटेड हो जाती हूँ” “आज ज़रूरत पड़ेगी जान … देखते जाओ.” करण ने ऋतु को डाइनिंग टेबल के पास ले गया … उसने एक हाथ से डाइनिंग टेबल पर पड़ी फ्रूट ट्रे को सरका के गिरा दिया … नीचे फर्श पर सेब बिखर गये. करण ने ऋतु को उठा के डाइनिंग टेबल पे इस तरह लिटा दिया की ऋतु का बाकी शरीर डाइनिंग टेबल पे था और उसकी गान्ड टेबल से बाहर लटक रही थी. उसकी टाँगो को करण ने अपने कंधे पे उठा रखा था. करण की एकटक नज़र ऋतु की गान्ड पे थी.. वो आज उसकी चूत की तरफ देख भी नही रहा था. उसने सोच रखा था की आज वो ऋतु के इस छेद को भी नही छोड़ेगा. उसने जेल्ली की ट्यूब का ढक्कन खोला और उसे दबाया. जेल्ली को अपने हाथ में लेके उसने अच्छे से अपने लंड पे लगाया. उसे जेल्ली में आछे से कोट कर दिया. उसने ट्यूब फिर से दबा के और जेल्ली निकाली और ऋतु के गान्ड के छेद पे लगा दी… उसकी उंगलियाँ तो पहले से ही जेल्ली से सनी हुई थी. उसने धीरे से एक उंगली छेद के सिरे पे टीका दी और अंदर घुसाने के लिए हल्का सा ज़ोर लगाया. उंगली फटाक से अंदर घुस गयी. “ऊई मा… यह क्या कर रहे हो करण” “जेल वाली उंगली डाल रहा हूँ… क्या हुआ” “लेकिन यह कहाँ डाल रहे हो बाबा… ठीक जगह डालो, आगे” “आगे नही … यह आज यहीं जाएगी…” इतनी देर में करण अपनी उंगली से जेल की अछी ख़ासी मात्रा ऋतु की गान्ड में डाल चुक्का था. उसने अपने कड़क लंड को पकड़ा और छेद पे टीका दिया अपना सुपाड़ा. एक ज़ोरदार धक्का मारा और लंड गान्ड के अंदर… “करण यह क्या हैं … प्लीज़ निकालो … यह मत करो … दर्द हो रहा हैं” “ओह कमऑन ऋतु … ट्राइ टू रिलॅक्स” “नही नही, यह सब क्या कर रहे हो” “क्या कर रहा हूँ … कुछ भी तो नही … यह तो आजकल कामन चीज़ हैं” करण अब लंड आगे पीछे करने लगा था “आआअहह …… नही नही यह ठीक नही … प्लीज़ निकालो … दर्द हो रहा हैं … यह तो अन्नॅचुरल हैं” ऋतु को दर्द हो रहा था. वो रिलॅक्स नही कर रही थी और इसी की वजह से दर्द और बढ़ रहा था “अन नॅचुरल क्या होता हैं.” करण लगातार चालू था “आआआहह ओओओओईईईई माआआआ करण प्लीज़.” “ऋतु प्लीज़, … ट्राइ टू रिलॅक्स… 2 मिनट रूको … अभी सब ठीक हो जाएगा और तुम्हे इसमे चूत से ज़्यादा मज़ा आएगा.” करण ने ऋतु की चूत पर भी हाथ फेरना शुरू किया ताकि उसका ध्यान बट जाए. “ऋतु, ट्राइ टू रिलॅक्स … प्लीज़, गान्ड को ढीला छोड़ो … जितना टाइट रखोगी उतना दर्द होगा” ऋतु पहली बार करण के मुंह से ऐसे शब्द सुन रही थी पर उसका पूरा ध्यान अपने दर्द पर था. उसने करण का कहा मान कर रिलॅक्स किया और दर्द में कमी महसूस की … उसने सोचा थोडा और रिलॅक्स करती हूँ गान्ड को. |
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06-05-2014, 07:37 PM
Post: #4
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RE: हॉस्टल से 5-स्टार होटल तक
करण चालू था फुल फ्लो में लगा हुआ था. उसे तो गान्ड मारने में ही मज़ा आता था … गान्ड में जो टाइटनेस मिलती थी वो उसे ऋतु की टाइट चूत में भी नही मिली थी. ऋतु अब तक पूरी तरह रिलॅक्स कर चुकी थी … हल्का हल्का दर्द हो रहा था पर उसे मज़ा आने लगा था… उसकी टांगे करण के कंधे पर थी… करण का लंड ऋतु की गान्ड में… राइट हॅंड का अंगूठा चूत के अंदर और इंडेक्स फिंगर क्लिट पे था….उसका दूसरा हाथ ऋतु के बूब्स को मसल रहा था… वो ऋतु की टाँगें चूमने लगा जो की उसके कंधे पे थी… ऋतु इन अनेक पायंट्स से आ रहे प्लेषर को महसूस कर रही थी. उसकी चूत के मुसल्सल पानी छोढड रहे थे… उसे पता चल रहा था की गान्ड देने में तो चूत देने से भी ज़्यादा मज़ा हैं
कारण पिछले 15 मिनिट से ऋतु की गान्ड मार रहा था … अब उसका ऑर्गॅज़म भी होने को था … करण ने झड़ने से पहले लंड बाहर निकाल लिया. उसने अपने लेफ्ट हाथ से ऋतु की बाँह पकड़ी और उसे डाइनिंग टेबल से उतार दिया … ऋतु अपने पैरों पे खड़ी हो गयी …. करण दूसरे हाथ से लंड को हिला रहा था. उसने ऋतु के कंधे पे ज़ोर लगाया और उसे नीचे धकेल दिया … ऋतु अब अपने घुटनो पे आ गयी थी … “यह क्या कर रहे हो, करण??” “नीचे बैठो और मूह खोलो.” “क्या...? मुह खोलूं ... लेकिन क्यू??” “सवाल मत करो … जैसा मैं बोलता हू वैसा ही करो.” करण रुक रुक कर बोल रहा था जैसे की उसकी साँस अटक रही हो. ऋतु नीचे बैठी और अपना मूह खोल लिया … जैसे ही उसने मूह खोला करण ने अपना लंड उसके मूह में दे दिया … ऋतु को लगा की करण उससे लंड चुसवाना चाहता हैं … ऋतु ने लंड मूह में लिया और करण ने ऋतु के सर के पीछे हाथ रखकर दबा दिया ताकि वो लंड को मूह से बाहर ना निकाल पाए. वो लंड को और ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा …. उसकी आँखें बंद हो रही थी … ऋतु के सर के पीछे उसका दबाव अभी भी था … ऋतु लाख कोशिश करने के बाद भी लंड को मूह से निकाल नही पा रही थी … लंड उसके गले तक पहुच चुक्का था और ऋतु को चोक कर रहा था … वो खांस रही थी और लगातार कुछ बोल रही थी लेकिन वो जो बोल रही थी वो सॉफ नही था क्यूकी उसके मूह में तो लंड था. आख़िर करण की सीमा का बाँध टूटा और उसने ज़ोर से वीर्य की एक फुहार ऋतु के मूह में उतार दी. ऋतु को इस बात का एहसास हुआ और उसने वापस कोशिश की लंड को बाहर निकालने की लेकिन बेचारी सर के पीछे हाथ होने की वजह से ऐसा नही कर पाई … करण ने एक और फुहार ऋतु के मूह में डाल दी .. ऋतु के मूह में अब करण का बिर्य था …. लंड क्यूंकी गले तक पहुच चुक्का था इसलिए ऋतु को चोकिंग हो रही थी … ना चाहते हुए भी उसे वीर्य को पीना पड़ा …. करण ने आखरी धार ऋतु के मूह में छोड़ी और उसका भी वही हाल हुआ … वो भी ऋतु के गले से नीचे उतर गयी. अब करण ने ऋतु के सर के पीछे से हाथ हटा लिया … ऋतु झट से लंड मूह से निकाल कर खड़ी हो गयी … उसकी आँखों में आँसू थे … उसने वो आँसू पोंछे और भाग कर बाथरूम में चली गयी … बाथरूम में जाकर उसने जल्दी से पानी से कुल्ला किया … उसने कुछ पानी मूह पे भी मारा. उसने वापस कुल्ला किया लेकिन उसके मूह में से करण के वीर्य का स्वाद जा ही नही रहा था. ऋतु ने टूतपेस्ट खोली और ब्रश करने लगी. इस से उसे कुछ सुकून मिला. कुछ वीर्य छलक कर उसके बूब्स पर भी टपक गया था. उसने वो भी सॉफ किया. जब ऋतु बाथरूम से बाहर आई तो करण सोफे पे बैठ के अपना ड्रिंक पी रहा था. उसने दूसरा ड्रिंक ऋतु को ऑफर किया. ऋतु ने दूसरी और मूह फेर लिया. करण ड्रिंक ले के उसके पास आया और बोला, “आइ आम सॉरी, ऋतु. लो यह ड्रिंक.” “रहने दो .. आइ डॉन’ट नीड इट” “आइ नो, जो भी हुआ इट वाज़ ए बिट ऑक्वर्ड फॉर यू. लेकिन इट्स ऑल नॉर्मल, यार” “करण, तुमने अपना सीमेन मेरे मूह में डाला और मुझे मजबूरन वो पीला दिया.” “ऋतु, इट्स कंप्लीट्ली हार्मलेस. उससे कुछ नही होता. और आजकल तो सब लोग ये करते हैं. देखो, मैने सॉरी कहा ना… चलो अब मान भी जाओ … प्लीज़.” ऋतु अंत में मान ही गयी … दोनो ने अपने ड्रिंक वहीं ड्रॉयिंग रूम मे ख़तम किए और बेडरूम मे जाकर सो गये… सोते हुए ऋतु का सर करण की छाती पे था और करण का हाथ ऋतु की पीठ पे… दोनो एक दूसरे से चिपके ही नींद की आगोश में चले गये. मंडे को जब ऋतु ऑफीस पहुचि और अपनी गाड़ी पार्क की तो गेट पे वॉचमन से ले के लीगल सेक्षन में बैठे रूपक शाह तक सभी उसको देख रहे थे. ओवर दा वीकेंड ऋतु में जो परिवर्तन हुए थे वो देख के सब अचंभित थे. कहाँ वो कल की सलवार सूट पहनने वाली ऋतु जो हमेशा बॉल चोटी में बाँध के रखती थी और कहाँ आज ही यह नयी ऋतु. खुले हुए काले चमचमाते बाल. एक वाइट कलर का टाइट टॉप.. नी लेंग्थ की फिगर हगिंग ब्लॅक स्कर्ट… ब्लॅक कलर की स्टॉकिंग्स आंड ब्लॅक हाइ हील्स. गले में एक सिंपल सी चैन जो की बहुत ही कंटेंपोररी डिज़ाइन की थी और कानो में बड़े बड़े हूप्स. जिसकी नज़र एक बार इस हुस्न की देवी पर पड़ पड़ती वोही इसके हुस्न का दीवाना हो जाता. ऋतु को सब कुछ थोड़ा अजीब लग रहा था लेकिन वो कॉन्फिडेंट थी की वो इस सब को संभाल लेगी. वीकेंड पे हुई चुदाई ने उसमे जैसे एक नया आत्मविश्वास जगा दिया था. वो अपने हुस्न के प्रति जागरूक हो गयी थी. उसे पता था की वो आकर्षक हैं… तभी तो करण जैसा हॅंडसम लड़का उससे प्यार करता था. ऋतु जाके अपने कॅबिन में बैठी और उसने अपना कंप्यूटर ऑन किया. तभी वहाँ रूपक शर्मा आ गया. रूपक जो की लीगल एड्वाइज़र था ग्ल्फ कंपनी में. “हेलो ऋतु, नया फ्लॅट मुबारक हो. कोई तकलीफ़ तो नही हैं ना वहाँ?” ऋतु थोड़ी चौंक गयी की इसे कैसे पता. “जी शुक्रिया, आप यह कैसे जानते हैं की मैं नये फ्लॅट में मूव कर गयी हूँ?” “लो कर लो बात, मैने ही तो सुबह सुबह उठ के वो लीज एंड लाइसेन्स अग्रीमेंट बनवाया था आपके लिए और करण साहब को दिया था आ के वहाँ फ्लॅट पे. आप दिखी नही वहाँ. शायद अंदर किसी बेडरूम में थी.” रूपक ऋतु से जानबूझ कर ऐसी बातें कर रहा था की वो अनकंफर्टबल हो जाए. उसको इसमे बहुत मज़ा आ रहा था. लड़कियों की बेबसी में उसे जो ठंडक मिलती थी वो पूरे ऑफीस को पता था. किसी भी लड़की के चेहरे की और देखकर वो बात नही करता था. हमेशा चेहरे से कुछ नीचे लड़कियों के बूब्स को घूरता था. अगर कोई लड़की सामने से गुज़र जाए तो मुड मुड के उसके चूतडों को देखता था. और एक घिनोनी आदत थी उसमे. घड़ी घड़ी उसके लंड में खुजली होती थी. पेनाइल इचिंग की इस प्राब्लम के कारण ऑफीस में उसका नाम खुज्जू पड़ गया था. ऋतु रूपक की बातें सुनकर सकपका गयी. “रूपक जी, मुझे बहुत काम हैं.” “अजी, अब आपको काम करने की क्या ज़रूरत हैं? आपका काम तो अब दूसरे करेंगे.” और रूपक ने अपने हाथ को लंड पे ले जा के खुज़ाया, “आप कहें तो मैं आपका काम कर दूं.” ऋतु उसकी डबल मीनिंग वाली बातों से गुस्सा हो गयी और उसने मूह फेर लिया. रूपक ने ऋतु को एक घिनोनी सी मुस्कुराहट दी और चला गया अपने कॅबिन में. रूपक वहाँ से निकला और अपने कॅबिन में बने अटॅच्ड टाय्लेट में जाकर मूठ मारने लगा. ऑफीस में मूठ मारना उसका रोज़ का काम था. आज ऋतु के नाम पे मार रहा था तो कभी ऑफीस की रिसेप्षनिस्ट तो कभी क्लाइंट्स. 40 साल का रूपक यूँ तो शादीशुदा था लेकिन उसकी शादी हुई थी 35 साल की उमर में … उसके गाओं की एक ग़रीब लड़की से. वो लड़की शादी की समय 18 साल की थी और रूपक 35 का … लगभग उससे दुगनी एज. शादी के दिन से आज तक एक भी दिन ऐसा नही गया था जब रूपक ने अपनी बीवी की ना ली हो. वो बेचारी सुहागरात पे ना जाने कितने सपने सॅंजो के बैठी थी बेड पे और रूपक दारू के नशे में चूर अंदर आया .. कुछ बोले बिना सीधे उसके कपड़े उतारे और चढ़ गया उस पर. रूपक ने उसे ऐसे चोदा कि बेचारी 18 साल की कुँवारी लड़की की चीखें निकल गयी. रूपक मूठ मारकर बाहर अपने कॅबिन में बैठ गया और ऋतु के बारे में सोचने लगा. उसके सर पर तो अब सिर्फ़ ऋतु सवार थी. लेकिन वो चाहता यह था की ऋतु उसके लंड पे सवार हो. सब लोग ऋतु में आए इस बदलाव को देख के हैरान थे… उसी ऑफीस में काम करने वाली एक और सेल्स ऑफीसर थी – पायल. पायल दिल्ली की ही रहने वाली थी और उसने ऋतु के साथ ही ट्रैनिंग ली थी सेल्स की. पायल ने आ के ऋतु से पूछा, “हाय, क्या बात हैं ऋतु. आज तो बहुत अच्छी लग रही हो.” “हाय पायल, अर्रे कुछ नही यार बस ऐसे ही .. वीकेंड पे थोड़ी शॉपिंग करने निकल गयी थी” “थोड़ी?? अरे तू तो सर से पाँव तक बदल गयी हैं” “नहीं, ऐसा कुछ नही हैं यार… तुम ही बस ऐसे ही” “अच्छा सुन, वो ह्युंडई आइ 10 भी तेरी ही हैं ना??” “ओह वो? हां मेरी ही हैं … इंस्टल्लमेंट पे ली हैं …” “ओके. ऋतु लगता हैं तेरी तो कोई लॉटरी लगी हैं” “ऐसा ही समझ ले” और ऋतु उठकर एक फाइल ले के अपने मॅनेजर के कॅबिन में चली गयी लहराती हुई. उस दिन ऋतु के पास 2 नये क्लाइंट्स आए और उन्होने फ्लॅट्स पर्चेज किए. इन दोनो सेल्स से ऋतु को अछा ख़ासा कमिशन मिला. करण के निर्देश का पालन करते हुए ऋतु के पास सारे जेन्यूवन क्लाइंट्स भेजे जाने लगे. ऋतु दिन दुनी और रात चौगिनी तरक्की करने लगी. रात को करण उसके फ्लॅट पे अक्सर आता था और सुबह तक अपनी वासना की आग बुझा कर चला जाता था. ऋतु अब इस नये महॉल में अपने आप को पूरी तरह से ढाल चुकी थी. उसे ऐश-ओ-आराम की यह ज़िंदगी भाने लगी थी.. अक्सर ऋतु और करण ऑफीस के बाद कहीं बाहर जाकर अच्छे रेस्टोरेंट में खाना खाते थे और उसके बाद ऋतु के फ्लॅट पे जाके सेक्स करते थे. करण के पास फ्लॅट की एक चाबी रहती थी. कई दफ़ा जब ऋतु फ्लॅट में लौटती थी शाम को तो करण उसे वहीं मिलता था. करण की कंपनी में ऋतु ने रेग्युलर्ली ड्रिंक करना चालू कर दिया था. उसे वाइन, वोड्का, विस्की, जिन, रम आदि सब ड्रिंक्स पसंद आने लगे थे. जहाँ वो पहले मोहल्ले के टेलर से साल में 2-3 सूट सिल्वाती थी वहीं अब हर वीकेंड शॉपिंग करती थी बड़े बड़े माल्स के उचे शोरूम्स में. डिज़ाइनर लेबल्स पहनने लगी थी. जहाँ पहले उसके पास सिर्फ़ 2 जोड़ी सॅंडल थी अब वहीं दर्जनो थी. ऋतु इस पैसे, शान-ओ-शौकत, और अयाशी की ज़िंदगी में इस कदर घुल मिल गयी थी कि कहना मुश्किल था की यह लड़की पठानकोट के एक साधारण मध्यमवर्गिय परिवार से हैं. ऑफीस में भी लोग तरह तरह की बातें करने लगे थे. रूपक ने ना जाने कैसी कैसी बातें कहीं थी पूरे स्टाफ में. बाकी सेल्स ऑफिसर्स ऋतु से ईर्ष्या करने लगे थे. पायल जो की ऋतु की अच्छी सहेली थी उससे दूर हो गयी थी. सभी लोग ऋतु और करण के पीठ पीछे उनके बारे में तरह तरह की बातें करते थे. कुछ लोग तो ऋतु को करण की ‘रखैल’ तक बोलते थे. ऋतु को भी इस बात का एहसास था. उसे यह अच्छा नही लगता था. वो करण को बेहिसाब प्यार करती थी. उससे तन मन धन से अपना सब कुछ मानती थी. उनके रिश्ते को लोग बुरी नज़र से देखें यह उसे गवारा नही था. उसने कई बार यह बात करण के साथ करनी चाही लेकिन करण ने हमेशा टाल दिया. एक रात जब करण और ऋतु सेक्स करने के बाद बेड पे लेटे हुए थे तो ऋतु ने कहा, “करण, डू यू लव मी?” “हां ऋतु, इसमे पूछने वाली क्या बात हैं” “मेरी क्या हैसियत हैं तुम्हारी ज़िंदगी में??” “व्हाट डू यू मीन, ऋतु” “वही जो मैं पूछ रही हूँ.? मेरी क्या हैसियत हैं तुम्हारी ज़िंदगी में?” “तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो. और क्या” “तुम्हे कैसा लगेगा अगर कोई यह कहे की मैं तुम्हारी रखैल हूँ” “व्हाट!! किसने कहा? मुझे नाम बताओ उसका” “किस किस का नाम बताउ करण? हम लोगों की ज़ुबान तो नही बंद कर सकते. तुम और मैं कितने महीनो से यहाँ एक साथ पति पत्नी की तरह रह रहें हैं. लेकिन सच हैं की हमारी शादी नही हुई हैं. बताओ करण, लोगों को क्या नाम देना चाहिए इस रिश्ते को” “ओह प्लीज़ ऋतु, यह सब बातें फिर से शुरू ना करो. तुम्हे पता हैं मुझे कोई फरक नही पड़ता की कौन क्या सोचता हैं और क्या बोलता हैं” “तुम्हे फरक नही पड़ता करण क्यूकी तुम एक लड़के हो. अगर कोई लड़का किसी लड़की के साथ सोता हैं तो लोग उसकी प्रशंसा करते हैं. उसे मर्द कहते हैं. लेकिन अगर यही काम कोई लड़की करे तो उसे छिनाल और रंडी कहते हैं. उसे लूज कॅरक्टर की कहते हैं” “ऋतु, तुम्हारी बातों से मुझे सर दर्द हो रहा हैं. प्लीज़ स्टॉप इट.” करण ने उची आवाज़ में कहा “करण, तुम हमारे प्यार का ऐसा अपमान होते कैसे देख सकते हो? क्यू तुम्हे कोई फरक नही पड़ता. क्यू?” करण उठा और उसने अपनी जीन्स पहन ली और अपनी शर्ट पहनने लगा. “कहाँ जा रहे हो, करण?” “ऐसी जगह जहाँ मुझे थोड़ा सुकून मिले.” “इस टाइम? ऐसा मत करो करण.. प्लीज़” करण उसकी बात अनसुनी करते हुए फ्लॅट से निकल गया और दरवाज़ा ज़ोर से ढक दिया. दरवाज़े की धडाम की आवाज़ के साथ ही ऋतु रोने लगी और तकिये में मूह दबा लिया. करण पूरे हफ्ते फ्लॅट पे नही आया. वो कॉर्पोरेट ऑफीस गया पुर हफ्ते, सेल्स ऑफीस नही आया जहाँ ऋतु काम करती थी. ऋतु का मूड पूरे हफ्ते खराब रहा. बिना सेक्स के वो चिड़चिड़ी हो गयी थी. वो हर शाम फ्लॅट में दारू की बॉटल लेकर बैठ जाती और इंतेज़ार करती की करण आएगा. उसने करण को फोन भी लगाया लेकिन उसने फोन नही उठाया. ऋतु ने उसको कई एसएमएस भी भेजे. उसको सॉरी कहा लेकिन करण नही आया. ऋतु और करण का 6 महीने का प्यार लगता था अंत होने वाला हैं. ऋतु को अब भी उमीद थी. करण की इस बेरूख़ी से वो बहुत परेशान थी. शनिवार शाम को फ्लॅट के दरवाजे पे खटखटाहत हुई और ऋतु दौड़कर उसे खोलने के लिए गयी. दरवाज़ा खोला तो ऋतु की आँखें चौंक उठी. सामने थी उसकी कोलीग पायल. “हाय, ऋतु” “हाय, पायल” और ऋतु की निगाहें पायल के पास खड़े लड़के पे गयी. “ऋतु यह हैं कमल, मेरा बाय्फ्रेंड.” “ओह हेलो, कमल. प्लीज़ कम इन.” दोनो अंदर आ गये. ऋतु का शानदार फ्लॅट देखके पायल और कमल दंग रह गये. “ऋतु तुम्हारा फ्लॅट तो अमेज़िंग हैं” “थॅंक्स पायल. कहो आज यहाँ का रास्ता कैसे भूल गयी” “अर्रे बस यार, कमल आया हुआ था और हम लोग पास ही माल में शॉपिंग कर रहे थे तो सोचा तुझसे मिलती चलूं. तू तो जानती हैं मैं थर्स्डे और फ्राइडे को छुट्टी पे थी. कमल आया हुआ था इसीलिए.” “कमल आया हुआ था मतलब?? कमल यहाँ नही रहता क्या” तभी कमल बोल उठा “ऋतु, मैं बताता हूँ. दरअसल मैं आर्मी में हूँ. आई एम मेजर कमाल नौटियाल. मेरी पोस्टिंग कश्मीर में हैं. मेरा घर हैं देहरादून में. दीदी दिल्ली में रहती हैं जिनसे मैं मिलने आया था छुट्टी ले कर.” “अच्छा जी, सिर्फ़ दीदी से मिलने आए थे तो पिछले 3 दीनो से मेरे साथ क्यू घूम रहे हो? जाओ अपनी दीदी से मिल लो.” पायल ने झूठ मूठ नाटक किया गुस्सा होने का, और तीनो खिलखिला के हस पड़े. कमल: पायल, अगर दीदी से मिलने ना आया होता तो 2 साल पहले तुम्हे कैसे मिलता. पायल: ऋतु, एक्च्युयली कमल की दीदी हमारी पड़ोस मैं रहती है.. एक दिन उनकी छत से कोई कपड़ा उड़ के हमारे आँगन में आ गिरा और कमल साहिब दीवार कूद के हमारे घर में आ घुसे वो कपड़ा लेने. घर पे कोई नही था और मैने शोर मचा दिया की चोर चोर बचाओ बचाओ. ऋतु: हा हा हा! वाकई.. यह तो बहुत इंट्रेस्टिंग स्टोरी हैं, … आगे क्या हुआ? पायल: आगे क्या .. मोहल्ले वालों ने इनको पकड़ लिया … थोड़ी देर बाद कमल की दीदी ने आके इसको बचाया वरना यह तो उस दिन गया था काम से.” कमल: बस उसके बाद मुलाक़ातें बढ़ती गयी और तब से जब भी छुट्टी मिलती हैं तो मैं देहरादून जाने से पहले 1-2 दिन दीदी से मिल लेता हूँ. पायल: ठीक हैं सिर्फ़ दीदी से ही मिलना अपनी. कमल: अर्रे पागल, दीदी तो एक बहाना हैं. मैं तो तुम्ही से मिलने आता हूँ. वैसे ऋतु, यू नो इस बार मैं घर जा के मम्मी डॅडी से बात करने वाला हूँ अपने और पायल के बारे में. हम दोनो जल्दी ही शादी करने का सोच रहे हैं. ऋतु: वाउ!! दट’स गुड न्यूज़ … आइ विश यू ऑल दा बेस्ट. दिस कॉल्स फॉर ए सेलेब्रेशन”. ऋतु उठी और जा के सामने बार में ड्रिंक्स बनाने लगी. उसको तो दारू पीने का बहाना चाहिए था. चलो कम से कम वो अकेली तो नही हैं आज. पायल और कमल के बारे में सुन के उसे पायल की किस्मत पे रश्क हो रहा था. एक तो इतना हॅंडसम, तगड़ा और गबरू लड़का उसे प्यार करता था और दूसरे उसे अपनी पत्नी भी बनाना चाहता था. उसे अपने और करण के रिश्ते में जो कमी ख़ाल रही थी वो इन दोनो के रिश्ते में पूरी नज़र आ रही थी. ऋतु ड्रिंक्स बना के टेबल पे ले आई और दोनो को ऑफर की. कमल ने तो एक ही झटके में ड्रिंक गले से नीचे उतार दी. आख़िर आर्मी का नौजवान था. ड्रिंक करना तो उसके रोज़ की आदत थी. ऋतु: कमल, प्लीज़ जा के अपने लिए दूसरी ड्रिंक बना लो. मुझे और पायल को तो टाइम लगेगा अपनी ड्रिंक्स फिनिश करने में” कमल: ओके, वो बढ़ा और सामने बार में अपने लिए एक और ड्रिंक बनाने लगा ... पटियाला पेग.” जब कमल बार पे गया हुआ था तो पायल ऋतु के पास आई और धीरे से कहने लगी, “ऋतु, कमल कल सुबह देहरादून जा रहा हैं और वहाँ से सीधा कश्मीर चला जाएगा. पिछले 2 दिन कैसे बीत गये पता ही नही चला. हमें बिल्कुल टाइम नही मिला की हम दोनो कहीं आराम से बैठ कर 2 बातें भी कर सकें. आमतौर पर मेरे घर पे कोई नही होता और हम वहाँ मिल लेते हैं लेकिन आजकल मम्मी घर पर हैं. हम लोग प्राइवेट में नही मिल पाए. मैं सोच रही थी कि तुम्हे बुरा ना लगे तो ... हम लोग कुछ वक्त यहाँ एक साथ एकांत में गुज़ार पाते तो ...” ऋतु समझ गयी की पायल और कमल को जगह चाहिए थी. वो नही चाहती थी कि वो उनके मिलन में बाधा बने. “ठीक हैं पायल, यहाँ 2 बेडरूम हैं. यू कॅन यूज़ द गेस्ट बेडरूम. माफ़ करना मुझे सर दर्द हो रहा हैं, वरना मैं कहीं बाहर चली जाती.” “ओह थॅंक यूं, ऋतु” कह कर पायल ने ऋतु को गले लगा लिया. कमल भी बार से बैठे यह सब देख रहा था और समझ गया था की पायल ने ऋतु को मना लिया हैं. पॅंट के अंदर उसका लंड करवट लेने लगा. उसने एक और पटियाला पेग बनाया और गटक गया. आने वाले कुछ पलो में मिलने वाले आनंद का पूर्वानुमान लगा के उसके रोम रोम में सनसनी पैदा हो रही थी. ऋतु उठ के अंदर अपने बेडरूम में चली गयी और सोने की कोशिश करने लगी. इधर पायल और कमल दोनो गेस्ट बेडरूम में चले गये. वो रूम भी बाकी फ्लॅट की तरह अछे तरह से डेकोरेटेड था. दोनो डबल बेड पे जा गिरे और चालू हो गये. कमल को 6 महीने के बाद यह मौका मिला था. बीते 6 महीनो में उसके आर्मी स्टेशन पे ना लड़की ना लड़की की जात. 6 महीने बस इसी पल के इंतेज़ार में मूठ मार मार कर कमल ने बिताए थे. उधर पायल भी बेसब्री से इस मौके का इंतज़ार कर रही थी. पायल और कमल 2 साल से एक दूसरे से प्रेम करते थे लेकिन अभी 6 महीने पहले ही दोनो ने पहली बार सेक्स किया था जब एक रोज़ पायल के घर कोई नही था और कमल उस से मिलने गया था. दोनो अपने जज़्बात पे काबू नही रख पाए और सेक्स हो गया. पायल भी तब से बिना सेक्स के तड़प रही थी और इंतेज़ार कर रही थी की कब कमल आए और वो फिर से उसके साथ एक हो सके. दोनो ने चुम्माचाटी शुरू कर दी. कमल पायल के होंटो को बहुत ही तीव्रता के साथ चूम रहा था. उसके हाथ पायल के बूब्स पे थे और उसका लंड पॅंट के अंदर खड़ा होता जा रहा था. पायल भी कमल के होंटो से होंठ जोड़ के चूम रही थी. उसके हाथ कमल के गर्दन और पीठ पे थे. उसके मम्मो को कमल के सख़्त और मजबूत हाथ ज़ोर से दबा रहे थे. उसे थोड़ा बहुत दर्द भी हो रहा था. उसके मूह के लगातार आनंद की आवाज़ आ रही थी, “आ…ऊ आआअह… येस येस्स..” ऋतु दूसरे कमरे में बैठी थी और उसके कानो में यह आवाज़े आने लगी. उसका मन विचलित होने लगा. वो उठ कर ड्रॉयिंग रूम में चली गयी ताकि टीवी देख के अपना मन बहला ले. कमल ने पायल का टॉप उतार के साइड में गिरा दिया. पायल के छोटे लेकिन फर्म टिट्स को ब्रा के उपर से सहलाने लगा और उन्हे अपने हाथों से मसल्ने लगा, … पायल के हाथ भी नीचे उसकी पॅंट तक पहुच चुके थे और पॅंट के उपर से ही ही कमल के लंड को दबाने लगे. कमल ने झटपट ब्रा भी उतार दी. अब वो भूखे कुत्ते की तरह पायल के मम्मों पे टूट पड़ा. उसने पहले एक को मूह में लिया और ज़ोर से चूसा … फिर दूसरे को. कभी एक निपल को मरोड़ता तो कभी दूसरे निपल को. पायल लगातार अपने हाथ से उसका लंड दबा रही थी. उसने आराम से ज़िप खोल के लंड को पॅंट और अंडरवेर से बाहर निकाल लिया था. कमल पागलो की तरह पायल की चूचियों को चूस रहा था. पायल के मूह से आवाज़ें निकली ही जा रही थी. कमल ने अपनी शर्ट उतार दी और एक ही झटके में पॅंट और अंडरवेर दोनो भी नीचे सरका दिए. पायल ने देखा की कमल का फ़ौजी लंड एकदम अटेन्शन में खड़ा था और उसको सल्यूट कर रहा था. उसने भी झटपट अपनी जीन्स उतार दी. कमल ने पॅंटी को पकड़ा और पायल ने अपनी कमर उठा दी ताकि पॅंटी निकल जाए. अब वो दोनो एकदम नंगे होके एक दूसरे से लिपटे पड़े थे. कमल ने उंगली डाल के चेक किया तो पता चला की पायल की चूत पनिया चुकी थी और आग की भट्टी के जैसे तप रही थी. उसने बिल्कुल देर ना की और अटेन्शन में खड़े अपने जवान को हमले के लिए चूत के मुहाने पे तैनात कर दिया. एक ही झटके में जवान चूत के अंदर था. पायल जो 6 महीने पहले एक ही बार चुदी थी वो इस हमले को नहीं झेल पाई और लंड घुसते ही चीख पड़ी. उसको दर्द होने लगा. कमल दारू चढ़ा चुका था और उसको अब बस पायल को जी भर के चोदना था. उसने पायल की चीख पे ध्यान नही दिया और अपने काम में लगा रहा. वो अपने हाथों से पायल की छाती भी मसल रहा था. पायल के बूब्स थे तो छोटे लेकिन बहुत ही सुंदर और सुडौल. सिर्फ़ 32 “ होने की वजह से पायल को अक्सर पॅडिंग वाली ब्रा पहननि पड़ती थी. पायल का दर्द थोड़ा कम हुआ और उसने भी अच्छी तरह से चुदने के लिए पैर उपर उठा लिए. उसके घुटने अब उसकी छाती पे लगे हुए थे और वो अपने हाथों को कमल के पिछवाड़े पे रखकर दबा रही थी ताकि कमल का लंड और अंदर तक जा सके. कमल अपनी 6 महीने की आग को आज शांत कर देना चाहता था. पिछले दो दीनो में उसको कोई मौका नही मिला था. इसलिए आज वो इस सुनेहरी मौके का पूरा फ़ायदा उठना चाहता था. करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद कमल ने अपने झटको की स्पीड तेज़ कर दी. कमल ने आँखें बंद कर ली ज़ोर से और झटके देता रहा. करीब 10 सेकेंड के लंबे क्लाइमॅक्स के बाद कमल जब पायल के उपर से हटा तो उसने देखा की वो इतना ज़्यादा झड़ा था की उसका पानी चूत से बह के बेड पर फ़ैल गया था. पायल भी पानी छोड़ चुकी थी और बेहद थक चुकी थी. वो वैसे ही बेड पे आँखें बंद किए हुए लेटी पड़ि थी. उसमे हिलने तक की ताक़त नही थी. कमल का गला सूख रहा था तो वो अंडरवेर पहन कर पानी लेने चला गया. उसने बिना आवाज़ किए बेडरूम का दरवाज़ा खोला और कॉरिडर से होते हुए किचन की तरफ जाने लगा. ड्राइंग रूम का नज़ारा देख के उसके आँखें फटी की फटी रह गयी. ड्रॉयिंग रूम में ऋतु सोफे पे लेटी हुई थी. उसकी सेक्सी नाइटी उसके जिस्म को कवर करने की बजाए उसके पेट तक उठी थी … उपर से नाइटी में से उसके बूब्स बाहर निकले हुए थे. उसकी पॅंटी वहीं साइड पे पड़ी हुई थी सोफे पे … ऋतु की आँखें बंद थी. उसका एक हाथ अपने बूब्स पे था और दूसरा हाथ उसकी चूत पे. वो उंगली चूत में डालकर अंदर बाहर कर रही थी. कमल और पायल की चुदाई की आवाज़ें सुनके उसके मन में भी चुदास जाग उठी थी और उसने वहीं ड्रॉयिंग रूम में यह सब चालू कर दिया. एक हफ्ते से करण ने उसे चोदा नही था. उपर से शराब का नशा. उस पे पायल और कमल की चुदाई की लाइव ऑडियो. यह सब काफ़ी था ऋतु के लिए और वो ड्रॉयिंग रूम में बिना किसी शरम के हस्तमैथुन करने लगी. ऋतु की आँखें बंद थी. लेकिन कमल की आँखें तो फटी की फटी रह गयी. उसके कदम जैसे ड्रॉयिंग रूम के एक कोने में जम से गये हो. उससे ना आगे बढ़ते बन रहा था ना ही पीछे हटते. क्या करे क्या ना करे वो कुछ सोच नही पा रहा था. उसकी नज़र तो मानो ऋतु के गोरे जिस्म पे जैसे चिपक गयी थी. उसे गेस्ट बेडरूम में बेसूध पड़ी पायल का भी ख़याल नही आ रहा था. ऋतु चालू थी फुल स्पीड में. तभी फ्लॅट का दरवाज़ा खुलता हैं और करण अंदर आता हैं. इस आवाज़ से ऋतु की आँखें खुल जाती हैं. वहीं ड्रॉयिंग रूम के एक कोने में कमल अंडरवेर में खड़ा था. करण ने अंदर घुसते ही ऋतु और कमल पे नज़र डाली. ऋतु ने भी कमल पे नज़र डाली और उसके मूह से एक चीख निकल गयी. करण ने नफ़रत भरी निगाह से ऋतु की तरफ देखा और वापस मुड के फ्लॅट से बाहर चला गया. ऋतु उठी और अपने कपड़े ठीक करती हुई दरवाज़े तक दौड़ी. करण अब बाहर जा चुक्का था. ऋतु उसके पीछे बाहर चली गयी और बोली, “करण, रुक जाओ. मेरी बात तो सुनो प्लीज़.” “अब क्या सुनना बाकी रह गया हैं.” “नही, सुनो मेरी बात. जैसा तुम सोच रहे हो वैसा कुछ नही हैं” करण लिफ्ट तक पहुच के बटन दबा चुका था, “कैसा हैं और कैसा नही हैं यह मैने अपनी आँखों से देख लिया हैं” “प्लीज़ करण, मुझे एक मौका दो समझाने का” “क्या समझाओगी तुम, ऋतु? यह कि वो लड़का क्या कर रहा हैं इस फ्लॅट में … या यह कि तुम पी कर उसके साथ ... ” इतने में लिफ्ट आ गयी… करण लिफ्ट में घुस गया… ऋतु भी उसके पीछे पीछे लिफ्ट में घुस गयी और उसकी बाँह पकड़ के उसे वापस चलने के लिए मिन्नते करने लगी. करण ने उसकी एक ना सुनी और उसकी बाँह पकड़ के ज़ोर से धक्का दे के लिफ्ट से बाहर निकाल दिया. “ऋतु … तुम मेरे साथ ऐसा करोगी यह मैने सोचा भी नही था” और लिफ्ट का दरवाज़ा बंद हो गया. ऋतु रोती हुई वापस फ्लॅट में दाखिल हुई तो कमल और पायल दोनो कपड़े पहने हुए ड्रॉयिंग रूम में बैठे हुए थे. तीनो के मूह पे ताले पड़े हुए थे. मंडे को ऋतु जब ऑफीस पहुचि तो उसके मेलबॉक्स में एचआर डिपार्टमेंट से एक मेंल थी. मेल थी उसके टर्मिनेशन की. सब्जेक्ट पढ़ते ही ऋतु के होश उड़ गये. उसको नौकरी से निकाला जा रहा था. ऋतु ने काँपते हाथों से माउस चलाया और मैल ओपन किया. “डियर मिस ऋतु, दिस ईज़ टू इनफॉर्म यू दट एफेक्टिव फ्रॉम टुडे युवर सर्वीसज़ आर नो लॉंगर रिक्वाइयर्ड बाइ ग्ल्फ बिल्डर्स. युवर इमोल्युमेंट्स टुवर्ड्स वन मन्थ ऑफ नोटीस पीरियड विल बी इंक्लूडेड इन युवर फाइनल सेटल्मेंट. प्लीज़ कॉंटॅक्ट द एचआर डिपार्टमेंट फॉर युवर एग्ज़िट प्रोसेस. युवर्ज़ ट्रूली. एचआर मॅनेजर ग्ल्फ बिल्डर्स.” ऋतु को यकीन नही हो रहा था की यह उसके साथ हो रहा हैं. उसकी सेल्स बाकी सभी सेल्स ऑफिसर्स से ज़्यादा थी. पिछले कई महीनो से उसने सबसे ज़्यादा इन्सेंटीव्स और बोनस लिए थे. उसने एचआर से जा के बात की लेकिन उन लोगों से मदद की उमीद करना भी बेकार था. एचआरवाले कभी किसी के सगे हुए हैं क्या!! ऋतु ने करण को फोन मिलाया. ज़रूर यह सब करण के कहने पे ही हो रहा हैं. उसका फोन अनरिचेबल आ रहा था. ऋतु ने कई दफ़ा ट्राइ किया लेकिन हर बार सेम रेस्पॉन्स. उधर एचआर डिपार्टमेंट ने ऋतु की फाइल रेडी कर दी थी. कुछ ही मिनिट्स में ऋतु ग्ल्फ की एक्स एंप्लायी होने वाली थी. उसने आख़िरकार रूपक शर्मा से करण के बारे में पूछा, “हेलो मिस्टर रूपक, मैं आपसे कुछ बात करना चाहती हूँ.” “ऋतु जी…. आइए आइए. कहिए क्या सेवा करूँ आपकी” और उसका हाथ अपनी पॅंट में टाँगो के बीच खुजली करने लगा. “मैं बहुत समय से मिस्टर करण से बात करने की कोशिश कर रही हूँ लेकिन उनका फोन लग नही रहा. क्या आप प्लीज़ बता सकते हैं की उनसे कैसे कॉंटॅक्ट कर सकती हूँ” “करण साहब तो फॉरिन चले गये … आज सुबह की फ्लाइट से. सिंगापुर गये हैं. हमारा नया प्रॉजेक्ट हैं ना सिंगापुर में. उसी के सिलसिले में गये हैं.” “ओह.. कब तक आएँगे वापस? कुछ आइडिया हैं आपको?” “अब बड़े लोगों का मैं क्या बताउ … आज आ सकते हैं ... अगले हफ्ते आ सकते हैं ... अगले महीने भी आ सकते हैं. कुछ कह नही सकते. क्यू आपको कोई काम था उनसे?” “नही, .. थॅंक्स” “आप बेहिचक मुझे बताइए … मुझे उनकी जगह समझिए और आपका जो भी काम हो वो मैं कर देता हूँ.” “बाइ” ऋतु जब कमरे से बाहर निकली तो उसको रूपक के हंसने की आवाज़ आई. रूपक उस मजबूर लड़की की बेबसी पे ठहाके लगा रहा था. उमीद की सभी किरने धुंधली होती जा रही थी. ऋतु को समझ नही आ रहा था की क्या करे. जाए तो कहाँ जाए. ऋतु ने शाम को अपने पेपर्स कलेक्ट किए ऑफीस से और घर आ गयी. उसका दिमाग़ जैसे काम करना बंद कर चुक्का था. बिना लाइट्स जलाए बैठी रही घर में. सुबह के करीब उसकी आँख लगी तो सपने में उसे करण दिखा. और करण का टिमटिमाता हुआ चेहरा जैसे उस पर हस रहा था. हस रहा था ऋतु के इस हाल पे और मानो उससे कह रहा हो, “तेरी यही सज़ा हैं.” ऋतु की तो दुनिया ही उजड़ गयी थी. एक हफ्ते पहले वो कितनी खुश थी. अच्छी नौकरी, करण का प्यार, रहने के लिए बढ़िया फ्लॅट, गाड़ी, अच्छे कपड़े, ज्यूयलरी ... सब कुछ था उसके पास … और बस एक झटके में करण उससे दूर हो गया, उसकी नौकरी चली गयी और बाकी चीज़ों का मोह ख़तम हो गया. वो एक हफ्ते से अपने कमरे में पड़ी हुई थी. ना कहीं बाहर गयी ना किसी से मिली ना ही फोन उठा रही थी. गम के सागर में उसकी जीवन की नैया डावाँडोल हो रही थी. ऋतु की पुरानी सहेली पूजा को कहीं से पता चला की ऋतु की नौकरी छूट गयी हैं और वो बहुत डिप्रेस्ड हैं. वो एक दिन ऋतु को मिलने आई. दरवाज़ा खटखटाया. ऋतु ने जब दरवाज़ा खोला तो पूजा को देखते ही फूट फूट के रोने लगी और उसके गले लग गयी. दोनो अंदर गये और ऋतु ने पूजा के सामने अपना दिल खोल दिया और सब कुछ बता दिया. पूजा ने ऋतु को होसला दिलाया और उससे समझदारी से काम लेने का मशवरा दिया. पूजा के जाने के बाद ऋतु ने खूब सोचा और उसे यह एहसास हुआ की वो अपनी ज़िंदगी एक सेट्बॅक की वजह से बर्बाद नही कर सकती. उसने अगले दिन ही पेपर्स में जॉब के लिए खोज चालू कर दी. रिसेशन की वजह से वैसे ही नौकरियाँ कम थी और जो मिल भी रही थी वो सॅलरी बहुत कम दे रही थी. ऋतु को अब इस ऐशो आराम की ज़िंदगी की आदत पड़ गयी थी. उसकी कार का ईएमआई 10,000 रुपये महीने था. ऋतु को जल्दी ही कोई जॉब लेनी थी. फ्लॅट का किराया, कार का ईएमआई तथा और भी कई खर्चे थे. अंत में ऋतु को एक जॉब मिल गयी. प्रेस्टीज होटेल में हाउस्कीपर की. सॅलरी उसकी उमीद से बहुत कम थी लेकिन ऋतु को कुछ ना कुछ तो चाहिए था. उसके पास थोड़ी बहुत सेविंग थी लेकिन वो काफ़ी नही थी. नौकरी होने से उसका मन भी लगा रहता. ऋतु किसी भी काम को छोटा बड़ा नही समझती थी इसलिए हाउस्कीपर की जॉब लेने में उसे कोई झिझक नही थी. हाउस्कीपर की जॉब बहुत ही डिमॅंडिंग थी. रोज़ करीब 16 रूम्स की देख रेख का ज़िम्मा ऋतु पे थे. ऋतु पूरे मन से अपना काम करती थी. उसकी मेहनत सबकी नज़र में आ रही थी. उसकी सूपरवाइज़र कुमुद नाम की एक 35 साल की औरत थी. डाइवोर्सी और कोई बच्चा नही. कुमुद देखने में बहुत ही खूबसूरत थी और 35 साल की होने के बावजूद उसने अपने आप को इस कदर मेनटेन किया था की कोई उसे देख के 30-32 की ही समझता. बोल चाल के लिहाज से भी कुमुद बहुत सोफिस्टीकेटेड औरत थी. ऋतु का काम कुमुद को बहुत पसंद आया. ************************************************************************************************************** |
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06-05-2014, 07:41 PM
Post: #5
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ऋतु प्रोबेशन पे दो महीने से काम कर रही थी. आज उसकी सूपरवाइज़र कुमुद मेडम ने उसे किसी काम से बुलाया था. ऋतु ने धीरे से कुमुद मेडम के ऑफीस का दरवाज़ा खटखटाया.
कुमुद: कम इन. ऋतु: गुड मॉर्निंग मेडम. आपने मुझे बुलाया. कुमुद: हेलो ऋतु., प्लीज़ हॅव ए सीट. ऋतु: थॅंक यू मेडम. कुमुद: ऋतु, आज तुम्हे इस होटेल में दो महीने हो गये हैं प्रोबेशन पे. तुम्हारे काम से मैं बहुत खुश हूँ. यू आर ए गुड वर्कर, स्मार्ट आंड ब्यूटिफुल. आंड हमारे प्रोफेशन में यह सभी क्वालिटीज बहुत मायने रखती हैं. दिस ईज़ व्हाट दा गेस्ट्स लाइक.”. ऋतु यह सुनके स्माइल करने लगी. उसे बहुत खुशी हुई यह जानके की उसकी सूपरवाइज़र कुमुद उसके काम से खुश हैं. यह नौकरी ऋतु के लिए बहुत ज़रूरी थी. रिसेशन की वजह से ऋतु अपनी पिछली जॉब से हाथ धो बैठी थी. ऋतु: थॅंक यू मेडम… आइ एंजाय वर्किंग हियर आंड आपसे मुझे बहुत सीखने को मिला हैं इन दो महीनो में. कुमुद ने एक पेपर उसकी तरफ सरका दिया: ऋतु, यह तुम्हारा नया एंप्लाय्मेंट कांट्रॅक्ट हैं. इसको साइन करके तुम प्रेस्टीज होटेल की एंप्लायी बन जाओगी. प्रेस्टीज होटेल वाज़ वन ऑफ दा बेस्ट फाइव स्टार होटेल्स इन टाउन. इट वाज़ सिचुयेटेड अट ए प्राइम लोकेशन नियर दा इंटरनॅशनल एरपोर्ट आंड ऐज ए रिज़ल्ट ए लॉट ऑफ डिप्लोमॅट्स, पॉलिटिशियन्स, फॉरिनर्स आंड बिज़्नेस्मेन स्टेड देअर. ए जॉब अट प्रेस्टीज वुड मीन ए स्टेडी सोर्स ऑफ इनकम. ऋतु वाज़ हॅपी. फाइनली शी हॅड बिन एबल टू इंप्रेस हर सूपरवाइज़र आंड वाज़ नाउ बीयिंग अपायंटेड बाइ दा होटेल इन ए पर्मनेंट पोज़िशन. कुमुद: ऋतु आइ लाइक यू वेरी मच. यू आर आंबिशियस. आइ सी दा फाइयर इन यू. इन फॅक्ट यू रिमाइंड मी ऑफ युवरसेल्फ. आइ आम स्योर यू हॅव ए ग्रेट फ्यूचर इन अवर लाइन. ऋतु थोड़ी हैरान हुई क्योंकि कुमुद मेडम ने विंक किया था लेकिन एक नकली सी मुस्कुराहट चेहरे पे खिला के थॅंक यू कहा. कुमुद: क्या बात हैं ऋतु तुम खुश नही हो इस नौकरी से. टेल मी. ऋतु: नही मेम, ऐसी बात नही हैं … सॅलरी देख के थोड़ा सा मायूस हुई हूँ लेकिन आइ अंडरस्टॅंड की अभी मैं नयी हूँ और मुझे इतनी ही सॅलरी मिलनी चाहिए. कुमुद: ऋतु, प्रेस्टीज होटेल के स्टाफ की पे इस शहर के बाकी होटेल्स के स्टाफ की पे से कम से कम 25% हाइ हैं. आर यू हॅविंग एनी मॉनिटरी प्रॉब्लम्स??? टेल मी ऋतु. ऋतु: मेम, आपसे क्या छुपाना. इस से पहले आइ वाज़ वर्किंग एज ए सेल्स एजेंट फॉर ए रियल एस्टेट कंपनी. और सॅलरी वाज़ बेस्ड ऑन दा अमाउंट ऑफ सेल्स वी डिड. आइ वाज़ वन ऑफ दा बेटर सेल्स पर्सन इन दा टीम आंड माइ टार्गेट्स वर ऑल्वेज़ मेट. हर महीने आराम से चालीस पचास हज़ार इन हॅंड आ जाता था. आई वाज़ ऑल्सो गिवन द स्टार परफॉर्मर अवॉर्ड. मेरे सीनियर्स हमेशा मेरी तारीफ करके पीठ थपथपाते थे. (ऋतु जानती थी उसके सीनियर हमेशा उसको चोदने की फिराक मैं रहते थे) इतनी इनकम थी वहाँ पर कि मैने पीजी छोड़ दिया और एक 2 बेडरूम फ्लॅट ले लिया किराए पे और अकेली रहने लगी वहाँ. मैने टीवी, फ्रिज, माइक्रोवेव, एसी और अपने ऐशो आराम का सब समान ले लिया. कुछ कॅश, कुछ क्रेडिट कार्ड और कुछ इंस्टल्लमेंट पे. एक गाड़ी भी ले ली ईएमआइ पे. रिसेशन की मार ऐसी पड़ी की रियल एस्टेट सबसे बुरी तरह से हिट हुआ. आजकल कोई पैसा लगाने को तैयार ही नही हैं. बायर्स आर नोट इन दा मार्केट. जहाँ मैं पहले हर हफ्ते 2-3 फ्लॅट्स सेल करती थी और तगड़ी कमिशन कमा लेती थी अब वहीं पुर महीने में 1 सेल भी हो जाए तो गनीमत थी. ऋतु असली बात छुपा गयी लेकिन कुमुद को इस बात का एहसास हो गया की ऋतु की माली हालत ठीक नही हैं और वो एक फाइनान्षियल क्राइसिस से गुज़र रही हैं. उसको ऋतु में एक महत्वाकांक्षी लड़की की झलक मिली जो यह जानती थी की उसको क्या चाहिए. बस तरीका क्या हैं यह पाने का वो बताने की ज़रूरत थी. कुमुद के दिमाग़ में एक प्लान दौड़ा. और वो मन ही मन मुस्कुराने लगी. ऋतु जैसे तैसे अपनी सॅलरी में महीने का खर्च चला रही थी. गाड़ी की ईएमआइ, फ्लॅट का किराया और उसका रख रखाव सब मिलकर इतना हो जाता था की उसके पास बहुत ही कम पैसे बचते थे. हाथ तंग होने की वजह से अब वो पहले की तरफ शॉपिंग और रेस्टोरेंट्स में खाना नही खा पाती थी. मेकप, ब्यूटीशियन के पास जाना, महनगे कॉफी शॉप्स एट्सेटरा में जाना अब सब बंद हो चुक्का था. हालात इतने खराब हो गये की वो अपनी गाड़ी की इनस्टालमेंट्स टाइम पे नही दे पाई तो रिकवरी एजेंट्स उसके दरवाज़े पे खड़े हो गये. आख़िरकार उन्होने गाड़ी जब्त कर ली और ऋतु बेबस सी कुछ ना कर सकी. बिना गाड़ी के होटेल पहुचने में उसे देर हो गयी. जब वो होटेल पहुचि तो कुमुद ने उसे आते हुए देखा. उसने आज तक ऋतु को कभी 5 मिनट भी लेट आते हुए नही देखा था. आज ऋतु के 1 घंटा लेट होने पर कुमुद को अचम्भा हुआ. उसने ऋतु को रोक के पूछा, “क्या हुआ ऋतु आज तुम लेट कैसे हो गयी.” “गुड मॉर्निंग मेम, कुछ प्राब्लम हो गयी थी जिसकी वजह से मैं लेट हो गयी,” “क्या हुआ?” “कुछ नही मेम, अब प्राब्लम नही रही” “अर्रे बताओ भी क्या हुआ. शायद मैं तुम्हारी मदद कर सकूँ.” “मेम … मैं वो … एक्च्युयली ..” ऋतु नीचे देखते हुए बोली. कुमुद ऋतु के पास आई और उसके कंधे पे हाथ रखा. ऋतु ने कुमुद की और देखा. ऋतु की आँखें नम थी. किस तरह वो अपनी सूपरवाइज़र को बताए की उसकी गाड़ी जब्त कर ली थी रिकवरी एजेंट्स ने क्यूकी उसने ईएमआइ नही दी थी. ऋतु की आँखों में उफनते आँसुओं को देख के कुमुद उसे एक साइड में ले गयी. उसने ऋतु के हाथ को अपने हाथ में लिया और दूसरे हाथ को ऋतु के सर पे फेरा. ऋतु टूट गयी और सब कुछ कुमुद को बता दिया. कुमुद ने बड़े ही धैर्या से ऋतु की सारी बातें सुनी और उसको कहा, “ऋतु, होसला रखो. मैं हूँ ना. कुछ नही होगा तुम्हे. तुम पहले जैसे ही खुश रहना सीखोगी. वो भी बिना करण के … डॉन’ट वरी. ऐसा करो अभी जा के अपनी शिफ्ट पूरी करो … और शिफ्ट ख़तम होने के बाद मुझे मेरे ऑफीस में आके मिलना. तब तक मैं कुछ सोचती हूँ तुम्हारे बारे में.. डॉन’ट वरी आइ आम हियर फॉर यू. मैं हूँ ना… चलो अब अपनी शिफ्ट पे जाओ और काम देखो.” ऋतु सर हिला के चल दी. यह सब बातें कुमुद को बता के वो बहुत हल्का महसूस कर रही थी. ना जाने क्यू कुमुद के आश्वाशन पे यकीन करने का मन कर रहा था उसका. उसको कुमुद की बातों पे यकीन था. वो मान बैठी थी की कुमुद कुछ ना कुछ ज़रूर करेगी. शिफ्ट ख़तम हुई तो ऋतु जा के कुमुद से मिलती हैं. कुमुद फोन पे किसी से बात कर रही थी. ऋतु ने दरवाज़ा खटखटाया. “कम इन” “गुड ईव्निंग मेम” “आओ आओ, ऋतु ... 2 मिनट ... मैं ज़रा फोन पे हूँ” “जी मेम” फोन पे बात करते करते ही कुमुद ने ऋतु की तरफ एक एन्वेलप बढ़ा दिया. “यह मेरे लिए हैं” कुमुद ने हां में सर हिला दिया. ऋतु ने धीरे से एन्वेलप खोला और अंदर देखा. अंदर 500 के नोट्स की एक गॅडी थी. अचंभे में ऋतु की आँखें फैल गयी. उसने जैसे ही मूह खोलना चाहा कुमुद से कुछ कहने के लिए कुमुद ने अपने होंटो पे उंगली रख के उसे चुप रकने का इशारा किया. ऋतु चुप हो गयी. थोड़ी ही देर में फोन पे बात ख़तम हुई और कुमुद ऋतु की तरफ मुडी. “मेम, यह क्या हैं? और यह मेरे लिए हैं?” “हां ऋतु, देखो यह पैसे लो और अपनी गाड़ी छुड़ाओ.” “लेकिन मेम यह पैसे मैं कैसे ले सकती हूँ.” “रख लो ऋतु. यह मैं तुम पे कोई एहसान नही कर रही हूँ. इसे लोन समझ के रख लो. थोड़ा थोड़ा करके लौटा देना.” “लेकिन में मेरी सॅलरी कितनी हैं आपसे छुपा नही हैं… यह पैसे मैं कैसे लौउटौँगी…” “डॉन’ट वरी … यह पैसे लो और जाके अपनी गाड़ी छुड़ाओ” “मेम मैं आपका शुक्रिया कैसे अदा करूँ” “डॉन’टी वरी.. गो होम.” ऋतु वो पैसे ले के घर आ गयी. उसके मन में कुमुद मेम के लिए इज़्ज़त और भी बढ़ गयी थी. ऋतु अपने हालात से खुश नही थी. होटेल की मामूली सी सॅलरी से उसका गुज़ारा मुश्किल से हो रहा था. वो महत्वाकांक्षी लड़की थी. पैसा कमाना चाहती थी. वो चाहती थी की अच्छे से पैसे कमाए और उसी शान ओ शौकत से रहे जैसे वो पहले रहती थी. ताकि अगर किसी दिन किसी मोड़ पे करण से मुलाकात हो तो करण को ऋतु के हालात पे व्यंग करने का मौका ना मिले. वो चाहती थी की वो अपनी मेहनत से फिर उसी बुलंदी पे पहुचे जैसे पहलेथी.. और कोई यह ना कहे की करण के बिना वो कुछ नही हैं. कुमुद होटेल के सीनियर स्टाफ में थी. होटेल में करीब 10 साल से काम कर रही थी. उसने भी हाउस कीपिंग स्टाफ जाय्न किया था और आज हाउस कीपिंग मॅनेजर थी. होटेल की हाउस कीपिंग और कस्टमर सॅटिस्फेक्शन का ध्यान रखना उसका काम था. एक दिन अचानक ऋतु को घर से फोन आया. फोन ऋतु की मा का था. उसके पापा का एक्सिडेंट हुआ था और वो हॉस्पिटल में भरती थे. ऋतु के पैरों तले ज़मीन खिसक गयी. उसने कुमुद से बात की और फॉरन छुट्टी लेकर पठानकोट के लिए रवाना हो गयी. ऋतु के पापा को एक कार ने टक्कर मारी थी. टक्कर किसी सुनसान इलाक़े में हुई थी और टक्कर मारने वाला गाड़ी भगा ले गया. राह चलते कुछ लोगों ने उसके घर पे सूचित किया. अगले दिन जब ऋतु पठानकोट पहुचि तो सीधा हॉस्पिटल गयी. उसकी मा का रो रो के बुरा हाल था. ऋतु भी रोती हुई मा के गले लग कर रोने लगी. डॉक्टर्स से बात की तो पता चला की उसके पापा अब ख़तरे से बाहर हैं लेकिन एक्सिडेंट की वजह से उनकी टांगों में सेन्सेशन ख़तम हो गयी हैं. इलाज के लिए ऑल इंडिया इन्स्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) ले जाना पड़ेगा. एक हफ्ते के बाद ऋतु अपने माता पिता को ले के दिल्ली आ गयी. उसने अपने पापा को एम्स में दिखाया तो डॉक्टर ने कई तरह के टेस्ट्स वगेरह किए. उन टेस्ट्स के आधार पे डॉक्टर की राय थी की उनका इलाज लंबा होगा लेकिन वो दोबारा पहले जैसे चल फिर सकेंगे. ऋतु को इस बात से बहुत खुशी हुई. लेकिन मन ही मन यह दर सताने लगा की इलाज के लिए पैसो का इंतेज़ाम कैसे होगा. उसकी छोटी सी तनख़्वा से वैसे ही हाथ तंग था. एक दिन ऋतु मायूस होकर अपने काम पे लगी हुई थी की तभी कुमुद ने आ कर उससे पूछा, “ऋतु, अब तुम्हारे पापा की तबीयत कैसी हैं” “मेम, इलाज चल रहा हैं एम्स में” “ओह, वहाँ के डॉक्टर्स बहुत काबिल हैं. डॉन’ट वरी सब ठीक होगा. अगर किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो हिचकिचाना नही. आइ आम हियर फॉर यू.” “मेम, मैं यह सोच रही थी की अगर कुछ लोन मिल जाता तो बहुत अच्छा रहता. आइ नो मैने आपके पहले के भी पैसे चुकाने हैं लेकिन यह लोन मेरे परिवार के लिए बहुत ज़रूरी हैं” “देखो ऋतु, होटेल की कोई पॉलिसी नही हैं एंप्लायी लोन्स की सो मैं तुम्हे झूठी उमीदें नही दे सकती. मेरे पास जो थोड़ा बहुत था वो मैं पहले ही तुम्हे दे चुकी हूँ” “आइ नो मेम, आप ना होती तो ना जाने मेरा क्या होता.” “ऋतु, एक तरीका हैं जिस से तुम्हारी परेशानी सॉल्व हो सकती हैं” “वो कैसे मेम” “इस होटेल में बहुत बड़े बड़े लोग आते हैं. बिज़्नेस्मेन, डिप्लोमॅट्स, एक्टर्स, पॉलिटिशियन्स वगेरह. एज दा मॅनेजर यह मेरी ड्यूटी हैं की मैं कस्टमर सॅटिस्फेक्शन का ध्यान रखूं. हुमारे क्लाइंट्स दिन भर अपना काम करके शाम को जब वापस होटेल में आते हैं तो दे नीड टू रिलॅक्स. उन्हे कोई चाहिए जो उनसे दो बातें कर सके और उनका दिल बहला सके. तुम समझ रही हो ना मैं क्या कह रही हूँ.” “जी, मेम” ऋतु अच्छिी तरह समझ रही थी की कुमुद क्या कह रही हैं. “तुम स्मार्ट हो, इंटेलिजेंट हो, ब्यूटिफुल हो. तुम इस काम को बखूबी कर सकती हो.” “जी मैं?” “और नही तो क्या. तुम इस बारे में सोचना. इस काम के अच्छे ख़ासे पैसे भी मिलेंगे. तुम्हारे पापा का अछे से अछा इलाज हो सकेगा. तुम्हे कभी पैसो की तंगी का सामना नही करना पड़ेगा. कोई जल्दी नही हैं आराम से सोच लो और फिर जवाब दो.” यह कहकर कुमुद चली गयी. ऋतु समझ गयी थी की “कस्टमर सॅटिस्फेक्शन” किस चिड़िया का नाम हैं. कुमुद का लिहाज कर के वो उस वक़्त कुछ नही बोली. लेकिन उसके दिमाग़ में एक अजीब सा असमंजस चल रहा था. क्या पैसो के लिए वो एक वैश्या बन सकती थी? क्या वो अपने पापा के लिए यह कर सकती हैं? उसके सामने यह बहुत ही बड़ा धरमसंकट था. उसे कुछ समझ नही आ रहा था. उसे कोई और सूरत नज़र नही आ रही थी जिससे वो अपने परिवार की ज़रूरतो को पूरा कर सके. उस रात ऋतु सो नही पाई. पूरी रात वो इसी बारे में सोचती रही और सुबह की पहली किरण के साथ ही उसने निश्चय कर लिया. उसने होटेल जा के कुमुद मेम को अपना निश्चय बताया, “गुड मॉर्निंग, मेम” “गुड मॉर्निंग, ऋतु. प्लीज़ सिट. आइ होप ऋतु तुमने मेरी बात पर अच्छी तरह से सोच लिया होगा.” “जी मेम, मैने सोचा तो है लेकिन मैं एक कशमकश में हूँ. समझ नही आ रहा की मैने जो फ़ैसला लिया हैं वह सही हैं या नही.” कुमुद ऋतु की बात को ताड़ गयी, “देखो ऋतु, इतना मत सोचो … अगर फ़ैसला ले लिया हैं तो उसपर अमल करो. जितना सोचोगी उतना ही उलझन बढ़ेगी.” “जी मेम” “डॉन’ट वरी.. मैं हूँ ना. तुम्हे डरने की कोई ज़रूरत नही.” “मेम, यह जब बाकी लोगों को पता चलेगा तो मेरी नौकरी… और मेरी रेप्युटेशन की ऐसी तैसी हो जाएगी.” “ऋतु, यह सब चिंता मत करो. मुझ पे छोड़ दो. यहाँ होटेल में बंद दरवाज़े के पीछे क्या होता हैं किसी को खबर नही. और तुम अकेली नही हो इस होटेल में जो यह सब करोगी. मेरा यकीन करो.” “जी मेम” “आज शाम को अपनी शिफ्ट के बाद मुझे यहीं ऑफीस में मिलना. और हां अपने घर फोन कर दो की तुम आज डबल शिफ्ट कर रही हो इसलिए रात को घर नही आओगी.” “ओके मेम” ऋतु अपनी शिफ्ट में लग गयी. दिन भर उसके मन में एक अजीब सी बेचैनी थी. दिल और दिमाग़ दोनो उसको अलग तरफ खीच रहे थे. शिफ्ट ख़तम होते होते उसके सर में दर्द होने लगा और थकान महसूस होने लगी. वो फिर भी कुमुद के ऑफीस में गयी. “मे आइ कम इन, मेम?” “आओ ऋतु. मैं तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रही थी. तुम सीधा जाओ हमारे नेचर स्पा में और वहाँ स्नेहा से मिलो. स्नेहा स्पा की इंचार्ज हैं. मैने उससे बात कर ली हैं. वो तुम्हे स्पा में रिलॅक्स करवाएँगे. उसके बाद वेट फॉर माई इन्स्ट्रक्शंस.” “जी मेम.” और ऋतु स्पा की और बढ़ी. स्पा पहुच के वो स्नेहा से मिली. स्नेहा 27 साल की एक लड़की थी जो देखने में बहुत खूबसूरत थी. वो ऋतु को चेंजिंग रूम में ले गयी और उसे एक रोब दिया पहनने को. उसके बाद ऋतु को ले जाया गया सॉना रूम में. सॉना के भाप ने जैसे ऋतु के दिमाग़ से रोज़मर्रा की तकलीफो को निकाल दिया. ऋतु को वहाँ बहुत रिलॅक्सेशन मिली. सॉना के बाद स्नेहा ऋतु को ले के मसाज रूम में चली गयी. उसने ऋतु को एक टवल दिया और बोला की सिर्फ़ इसको लप्पेट के टेबल पे औंधे मूह लेट जाओ. स्नेहा रूम से बाहर चली गयी. इतने में ऋतु ने चेंज किया और लेट गयी टेबल पे. स्नेहा रूम में आई कुछ आयिल्स और क्रीम्स लेके. उसने ऋतु की अची तरह मसाज की. मसाज के बाद ऋतु का फेशियल किया गया. उसके बाद ऋतु की फुल बॉडी वॅक्सिंग की गयी. एक एक बाल को बहुत बारीकी से सॉफ किया गया. इतना सब होने के बाद ऋतु बहुत ही अच्छा और फ्रेश महसूस करने लगी थी. उसका सर दर्द और थकान गायब हो गये. अब ऋतु का मॅनिक्यूर और पेडिक्योर करवाया गया. उसके बाद हेयार और मेकप. अंत में स्नेहा ने ऋतु को एक ड्रेस दी और कहा की इसको पहन लो. ऋतु ने केवल एक रोब पहना हुआ था. उसने स्नेहा से पूछा, “यह ड्रेस पहननी हैं क्या?” “हां ऋतु” “ओके, लेकिन मेरी ब्रा और पॅंटी कहाँ हैं? वो दे दो.” “डॉन’ट वरी, उनकी ज़रूरत नही है. सिर्फ़ यह ड्रेस पहन लो.” ऋतु उस ड्रेस में स्टन्निंग लग रही थी. वो एक ब्लॅक कलर की कॉकटेल ड्रेस थी. उसके साथ ही ऋतु के लिए हाइ हील शूज भी थे. ऋतु को थोडा अटपटा ज़रूर लग रहा था क्यूकी स्कर्ट के नीचे ना उसने पॅंटी पहनी थी और ना ही टॉप के नीचे ब्रा. एसी की ठंड के कारण ऋतु के निपल्स एकदम इरेक्ट हो रखे थे. उस ड्रेस में ऋतु के शरीर की एक एक लचक बहुत स्पष्ट रूप से दिख रही थी. स्नेहा भी एक बार उसे देख के हैरान हो गयी. कुमुद स्पा में आई और ऋतु से मिली. वो ऋतु में आए चेंज को देखकर खुश थी. ऋतु किसी फिल्म की हेरोयिन से कम नही लग रही थी. उसकी स्किन एकदम सॉफ्ट और सप्पल थी. उसके बाल अच्छी तरह से बँधे हुए थे. ऋतु की ड्रेस उसके फिगर को इस कदर निखार रही थी की देखने वालो के लंड खड़े हो जायें. कुमुद ने स्नेहा को उसके काम के लिए सराहा और उसे रूम से जाने के लिए कहा. कुमुद अब ऋतु की तरफ मुडी और उसे कहा, “ऋतु, तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो. आइ आम स्योर मिस्टर स्टीवन तुम्हे देख के बहुत खुश होंगे” “मिस्टर स्टीवन? कौन हैं यह?” “स्टीवन यू.एस. का एक बहुत बड़ा बिज़्नेसमॅन हैं जो हर महीने दो महीने में इंडिया आता हैं. वो हमेशा इसी होटेल में रुकता हैं. वो भी प्रेसिडेन्षियल सूयीट में. वो हमेशा हमारे होटेल में रुकता हैं क्यूकी यहाँ उसकी ज़रूरतो का पूरा ख़याल रखा जाता हैं.” “ओके” “स्टीवन हमारे होटेल का बहुत ही इंपॉर्टेंट कस्टमर हैं. बहुत रईस और दिलदार. उसकी नज़र-ए-इनायत हुई तो तुम्हारे व्यारे न्यारे हो जाएँगे. ऋतु, आज तुम्हारा इस काम में पहला दिन हैं. आइ होप तुम मेरी और स्टीवन की उमीदो पे खरी उतरॉगी.” “आइ विल ट्राइ माइ बेस्ट, मेम” “रूम न. 137 में वो तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा हैं. गुड लक” “थॅंक यू मेम” ऋतु रूम नंबर 137 के सामने पहुचि. यह होटेल के सबसे बढ़िया रूम्स में से एक था. उस रूम का टॅरिफ हर किसी के बस की बात नही थी. उस कमरे के बाहर खड़े खड़े ऋतु ने अपना मन मज़बूत किया, एक लंबी साँस ली और हल्के से खटखटाया. अंदर से “कम इन” की आवाज़ आई. ऋतु ने दरवाज़ा खोला और कॉन्फिडेंट्ली अंदर गयी. अंदर स्टीवन रोब पहने सोफा पे बैठा हुआ था. ऋतु उसकी तरफ बढ़ी और हाथ बढ़ाया मिलाने के लिए, “हाय, आइ आम ऋतु” स्टीवन उठा और उसने ऋतु का हाथ अपने हाथ में लिया और बोला “आइ आम स्टीवन” और यह कहते हुए उसने धीरे से ऋतु के हाथ को चूमा “बट यू कॅन कॉल मी स्टीव.” स्टीव की नज़रें ऋतु पे से हट नही रही थी. ऋतु भी पुरे शबाब में थी. स्टीव ऋतु को लेके सूयीट की बार की और गया और वहाँ ऋतु के लिए एक ड्रिंक बनाने लगा. “ऋतु हियर इस युवर ड्रिंक.” “थॅंक्स हनी.” “आइ लव इंडियन गर्ल्स. दे आर सो ब्यूटिफुल, सो एग्ज़ोटिक, सो मस्की एंड सो टाइट” ऋतु शर्माते हुए बोली, “ओह रियली स्टीवन, लगता हैं तुमने बहुत सी इंडियन गर्ल्स के साथ टाइम बिताया हैं.” “वेल … आइ एडमाइर ब्यूटी .. आंड योउ कॅन कॉल मी स्टीव” “ओके, स्टीव” “लेट्स गो टू दा बाल्कनी एंड हॅव अवर ड्रिंक्स देअर.” दोनो सूयीट की बाल्कनी की तरफ चल दिए. बाल्कनी से नज़ारा बहुत खूबसूरत था. दूर हाइवे पर चलती गाड़ियों की हेडलाइट्स ऐसे लग रही थी जैसे किसी नदी में असंख्य दिए तेर रहे हो. हल्की हल्की रात की हवा. नीचे स्विम्मिंग पूल जिसमे और उसके किनारे बैठे लोग. सामने लॉन में टहलते हुए लोग. उपर आसमान में टिमटिमाते तारे और स्टीव के पहलू में खूबसूरत शोख ऋतु. पूरा समा बहुत ही खूबसूरत था. हवाएँ ऋतु की ज़ुल्फो से खेल रही थी और उसकी एक दो लट उसके गालो को मुसल्सल चूम रही थी. ऋतु ने उनको अपने कान के पीछे किया और स्टीव की और देख के हल्के से मुस्कुराइ. स्टीव ऋतु की अदाओं का दीवाना हो रहा था. उसका लंड ऋतु की चूत में घुसने के ख़याल से ही झूम रहा था. उसके रोब में टेंट सा बन गया था. ऋतु की नज़रें उस पे पड़ी तो उसने स्टीव से कहा, “ईज़ दट ए गन इन यूर पॉकेट ऑर आर यू ग्लॅड टू सी मी?” इस बात पे दोनो ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे. स्टीव ऋतु के करीब गया और बोला “वाइ डॉन’ट यू चेक आउट फॉर युवरसेल्फ.” ऋतु ने हाथ बढ़ाया और रोब के उपर रखा. रखते ही उसे स्टीव के लंड की गरमाई का एहसास हुआ. उसने लंड को हाथ में पकड़ा तो वो चौंक गयी. स्टीव का लंड कम से कम आठ इंच लंबा था और उसकी गोलाई भी बहुत थी. एक पल के लिए तो ऋतु डर गयी और उसे लगा की आज वो मर ही जाएगी. लेकिन तभी उसे ख़याल आया की स्टीव को खुश करना ही उसका मकसद हैं और उसके लिए वो कुछ भी करेगी. स्टीव का लंड अब रोब से बाहर ठुमक रहा था. ऋतु उसको अपने हाथ से सहला रही थी. दोनो के होंठ मिल चुके थे और स्टीव ऋतु के होंठों का भरपूर मज़ा ले रहा था. उसके होंठ ऋतु के होंठों पे थे, गर्दन पे थे, कुछ ही देर में छाती पे थे. उसके हाथ ऋतु के बदन को एक्सप्लोर कर रहे थे. तभी एक झटके से वो ऋतु से अलग हो गया. अपना ड्रिंक ख़तम किया और ऋतु को घुमा के बाल्कनी की रेलिंग के साथ खड़ा कर दिया. ऋतु नीचे लोगों को देख रही थी. उसके बूब्स रेलिंग से बाहर लटक रहे थे. अभी भी उसके बदन पे सारे कपड़े थे. स्टीव उसके पीछे आके खड़ा हो गया. उसने अपने हाथ ऋतु की कमर पर रखे और वहाँ से धीरे धीरे सरकता हुआ नीचे उसके नितंबों पे ले गया. ऋतु को यह बहुत ही उत्तेजक लग रहा था. दोनो बाल्कनी में खड़े थे खुले में और कोई भी बीच से ऋतु को देख सकता था. स्टीव क्यूकी ऋतु के पीछे था इसलिए वो सबको नही दिख रहा था. स्टीव के रोब से झाँकता हुआ उसका बेकाबू लंड ऋतु के चूतडो के बीच चुभ रहा था. स्टीव ने पीछे से हाथ आगे बढ़ाए और ऋतु के बूब्स को जकड़ा. ऋतु डर गयी. अगर कोई नीचे से उपर देखता तो उसको स्पष्ट दिख जाता की ऋतु के बूब्स पे किसी और के हाथ हैं. ऋतु ने पीछे हटने की कोशिश की लेकिन स्टीव ने उसे हिलने नही दिया. ऋतु यही प्रार्थना कर रही थी भगवान से की नीचे से कोई उपर ना देखे और उसे ना पहचाने. स्टीव को इस सब में अजीब सा मज़ा आ रहा था. स्टीव एक हाथ नीचे ले गया और ऋतु की ड्रेस को उपर खीचा. ऋतु ने पॅंटी और ब्रा तो पहनी ही नही थी. उसकी मस्त मुलायम और चिकनी चूत पे हाथ फिरते हुए स्टीव का लंड और भी तन गया था. अब स्टीव ने अपनी एक उंगली ऋतु की चूत में डाल दी. ऋतु आआअह करने लगी. वहीं दूसरी और स्टीव का लंड ऋतु के चूतडो के बीच की गहराई में जा बैठा था. स्टीव धीरे धीरे उपर नीचे हो रहा था और अपने लंड को दोनो मांसल चुतडो के बीच रगड़ रहा था. ऋतु को डर और मज़े का मिला जुला एहसास सा रहा था. उसे बाहर यह सब करने में आनंद आ रहा था. पकड़े जाने के डर से उसकी चूत फ़ड़क रही थी. स्टीव की उंगलियाँ भी बहुत अछे से अपना काम कर रही थी. ऋतु की उत्तेजना बढ़ रही थी. वो बहुत दीनो से चुदी नही थी इसलिए चूत कुछ एक्स्ट्रा टाइट हो गयी थी. टाइट होने के बावजूद स्टीव की उंगलियाँ आराम से अंदर फिसल रही थी क्यूकी अब तक ऋतु 2 बार पानी छोड़ चुकी थी. ऋतु के हाथ अब पीछे गये और स्टीव के लंड को पकड़ के ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगे. स्टीव का लंड पहले से ही तना हुआ था. बस अब उससे नही रहा गया. उसने वहीं बाल्कनी की रेलिंग पे ऋतु को थोड़ा सा आगे को झुकाया और उसकी टांगे फैलाने को बोला. स्टीव थोड़ा झुका और अपने लंड का सिरा ऋतु की चूत पर टीकाया. एक ज़ोरदार झटके के साथ की स्टीव का लंड ऋतु की चूत में था और ऋतु के मूह से एक चीख निकल गयी. काफ़ी लोग उपर देखने लगे. ऋतु ने पीछे हटने की कोशिश की लेकिन स्टीव ने उसे हटने ना दिया. नीचे खड़े लोगों को स्टीव नही दिख रहा था. एक दो बार उपर देखने के बाद लोग वापस अपने काम में लग गये. स्टीव तो पहले से ही बेख़बर था उन लोगों के बारे में. उसको तो बस ऋतु की टाइट चूत का मज़ा लेना था. वो कस कस के धक्के मार रहा था. ऋतु ने अपनी आँखें बंद कर ली थी और उसकी आँखों के किनारे से आँसू निकल रहे थे. स्टीव का लंड ऋतु की चूत की उन गहराइयो को छू रहा था जिनके होने का एहसास ऋतु को भी नही था. 15 मिनट की इस ज़बरदस्त चुदाई के बाद स्टीव ऑर्गॅज़म के लिए तैयार हुआ. उसके आंड कोंट्रेक्ट होने लगे. उसने ऋतु की चूत से लंड निकाला और उसको घुटनो के बल बाल्कनी के फ्लोर पे बिठाया. ऋतु आँखें बंद करके बैठ गयी. उसे पता था स्टीव क्या करने वाला हैं. स्टीव ज़ोर से मूठ मारने लगा ऋतु के मूह के पास. थोड़ी ही देर में उसके वीर्य की एक तेज़ गर्म धार निकल कर ऋतु के चेहरे पे पड़ी. फिर एक और और उसके बाद एक और. यह सिलसिला करीब 1 मिनिट तक चलता रहा. स्टीव ने जितना भी वीर्य स्टॉक में था सब का सब ऋतु पे न्योछार कर दिया. ऋतु का पूरा चेहरा स्टीव के वीर्य से सन गया. थोडा उसके बालों पे भी गिरा था और कुछ बह कर उसके गर्दन और छाती पे चला गया था. स्टीव ने झड़ते हुए आँखें मूंद ली थी. उसने आखें खोली और ऋतु को देखा. उसे ऋतु के पुरे चेहरे पे अपना वीर्य दिख रहा था. उसने ऋतु को उठाया और उसको टाय्लेट का रास्ता दिखाया. खुद भी कमरे में आ गया और ड्रिंक बनाने लगा. तभी उसने बाथरूम में ऋतु को एक आवाज़ लगाई. “लीव युवर क्लोद्स देअर इटसेल्फ, बेबी.” ऋतु बाथरूम में वॉश बेसिन के सामने लगे शीशे में अपने आप को घूर रही थी. वीर्य से सने उसके चेहरे में उसको दुनिया भर की बदसूरती नज़र आ रही थी. उसे अपने आप से घिन आ रही थी. उसे अपने शरीर के दर्द से ज़्यादा अपने आत्मा पे लगे घाव का मलाल था. ऋतु ने अपने शरीर से उस ड्रेस को उतार दिया और सिर्फ़ हील्स पहने हुए रूम में आ गयी. स्टीव सोफे पे बैठा अपनी ड्रिंक पी रहा था. ऋतु को देखते ही उसके मूह से एक सीटी निकल गयी. ऋतु हल्के से मुस्कुराइ और उसके पास आ के बैठ गयी. स्टीव ने उसके गले में हाथ डाला और कंधे के उपर से नीचे लाते हुए ऋतु का एक बूब दबा दिया. “वाउ! यू आर वंडरफुल” “थॅंक्स, स्टीव” “वी आर नोट डन यट हनी. बी रेडी फॉर द सेकेंड राउंड सून.” “व्हेनेवर यू से, डार्लिंग.” स्टीव के हाथ ऋतु के जिस्म पर घूम रहे थे. ऋतु की चूत अभी भी स्टीव के लंड के एहसास से धधक रही थी. स्टीव ने ऋतु को अपनी गोद में बिठा लिया. ऋतु के जिस्म पर एक भी कपड़ा नही था. स्टीव अभी भी अपना रोब पहने हुए था जिसमे में उसका लंड बाहर झाँक रहा था. ऋतु जब स्टीव की गोद में बैठी तो उसका लंड सीधा ऋतु की गांड के छेड़ पे टच कर रहा था. ऋतु उछल के खड़ी हो गयी और दोबारा ठीक से बैठी. स्टीव इस बात पर हस पड़ा. गोद के नीचे ऋतु को स्टीव के लंड की गर्मी और कड़ेपन का एहसास हो रहा था. एक बार झड़ने के बाद भी स्टीव का लंड वापस पहले जैसे सख़्त हो गया था. |
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06-07-2014, 07:44 PM
Post: #6
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स्टीव ने अपना हाथ ऋतु के चूतडो पे फिराया और उसे धीरे धीरे ऋतु के गान्ड के छेद की और ले गया. ऋतु को इस बात का एहसास हो गया की स्टीव का अगला निशाना उसकी गान्ड हैं. वो सहम गयी. स्टीव के लंड ने उसकी चूत का बुरा हाल कर दिया था. अब गान्ड का ना जाने क्या हाल होगा. स्टीव धीरे धीरे उसके गान्ड के छेद पे उंगली चलाने लगा. ऋतु को भी इस काम में मज़ा आने लगा. अब तक सिर्फ़ एक ही बार उसकी गान्ड मारी गई थी. लेकिन करण की उस करतूत को याद करके ऋतु सिहर उठी. क्या स्टीव भी वही सब करेगा?
स्टीव ऋतु के साथ गुज़र रही इस शाम का पूरा मज़ा ले रहा था. वो होटेल का पुराना और बहुत बड़ा क्लाइंट था. वो होटेल के स्टाफ को और होटेल का स्टाफ उसे अच्छी तरह से जानता था. कुमुद से उसकी ख़ास दोस्ती थी. कुमुद उसकी हर ज़रूरत का ख़याल रखती थी और इसके बदले वो कुमुद को मूह माँगी कीमत देता था. आज शाम जब उसने चेक इन किया था तो रूम में आने के बाद कुमुद को फोन करके बताया की वो बहुत थका हुआ हैं और अकेला भी. कुमुद ने उसको आश्वासन दिया की आज उसकी पूरी थकान रात को उतार दी जाएगी. कुमुद स्टीव से $1000 ले चुकी थी. ऋतु को 25000 रुपये देने के बाद भी कुमुद के पास 25000 बचेंगे. कुमुद का सिंपल 50% वाला हिसाब था. कस्टमर की नीड और जेब के हिसाब से वो उनके लिए सर्विस का इंतज़ाम करती थी. रूम सर्विस. होटेल की कुछ लड़कियाँ जैसे की ऋतु और कुछ बाहर की लड़कियों की मदद से कुमुद यह काम कर रही थी. महीने में 10-15 ऐसे कस्टमर्स तो मिल ही जाते थे जिससे की करीब 1-1.5 लाख रुपये की कमाई हो जाती थी कुमुद की. लेकिन ज़्यादातर लड़कियाँ इतनी खूबसूरत नही थी की कस्टमर उनके बहुत ज़्यादा दाम दें. ऋतु उन सब से अलग थी. कुमुद को पूरा यकीन था की अगर ऋतु ने स्टीव को खुश कर दिया तो अगली बार स्टीव ऋतु के लिए $1500 भी दे देगा आराम से. उधर कमरे में सहमी हुई ऋतु को देख के स्टीव खुश था. स्टीव ने अपनी उंगली ऋतु की गान्ड में घुसाई तो ऋतु के मूह से आह निकल गयी. स्टीव ने ऋतु से पूछा “हॅव यू बिन फक्ड इन दा एस बिफोर.” “नो स्टीव! आइ हर्ड इट्स वेरी पेनफुल टू टेक इट अप द एस.” ऋतु ने यह चालाकी इसलिए की ताकि स्टीव को यह खुशी मिले की ऋतु की गान्ड सबसे पहले उसी ने मारी हैं. “नो बेबी, इट्स नोट दैट पेनफुल. आइ विल डू इट जेंटली.” स्टीव मन ही मन खुश हुआ की ऋतु की कुँवारी गान्ड आज वो मारेगा. स्टीव ने एक वॉटर बेस्ड ल्यूब की ट्यूब ली और उसमे से थोड़ा सा ल्यूब अपनी उंगलियों पे लगाया. ऋतु के चूतडों को चौड़ा करके उसने गान्ड के छेद पे खूब सारा ल्यूब लगा दिया. अब हल्के से एक उंगली से उस ल्यूब को अंदर धकेला. ऋतु की साँसें भारी होती जा रही थी और स्टीव यह देख के बहुत खुश था. स्टीव ने धीरे धीरे पूरी उंगली अंदर कर दी. ऋतु ने झूठमूठ दर्द होने का नाटक किया. स्टीव ऋतु के इस दर्द से और पागल हो उठा. उसने दो उंगलियाँ अंदर कर दी. ऋतु ने उची आवाज़ में दर्द का इज़हार किया. अब स्टीव ने अपने लंड पे ल्यूब लगाया. वो ऋतु की कुँवारी गान्ड को फाड़ने के लिए तैयार था. उसका लंड बेताब हो रहा था की गान्ड में घुसे. उसने लंड का अगला भाग गान्ड पे टीकाया और एक ही ज़ोरदार झटके में लंड को आधा गान्ड के अंदर धकेल दिया. स्टीव का फिरंगी लंड करण के देसी लंड के मुक़ाबले बहुत मोटा था और दर्द के मारे ऋतु की सचमुच की चीख निकल पड़ी. उसकी आँखों से आँसू भी आने लगे. यह देख के स्टीव को ऐसा जोश चढ़ा की उसने एक और झटके में पूरा लंड गान्ड में घुसा दिया. दर्द के मारे ऋतु बिलबिला उठी. उसे लगा की आज उसकी मौत पक्की हैं. स्टीव एक पल के लिए रुका ताकि ऋतु की गान्ड थोड़ी खुल जाए और उसके बाद धक्के देना शुरू करेगा. आज तक स्टीव ने बहुत गान्ड मारी थी लेकिन उनमे से कोई भी इतनी टाइट और मज़ेदार नही थी. कुछ देर के बाद स्टीव ने लंड को हल्का सा बाहर निकाला और वापस गान्ड में घुसा दिया. ऋतु को अभी भी दर्द हो रहा था लेकिन पहले से कम. उसने एक हाथ टाँगों के नीचे से बढ़ा कर स्टीव के आंड पकड़ लिए. स्टीव एक पल के लिए हैरान हो गया. लेकिन जब ऋतु ने हल्के हल्के हाथ से उनको दबाया तो उसको बहुत अच्छा लगा. स्टीव अब अपना लंड थोड़ी स्पीड से गान्ड के अंदर बाहर कर रहा था. ऋतु को अब ज़्यादा दर्द नही था पर वो दर्द का दिखावा कर रही थी. स्टीव के हाथ ऋतु के बूब्स पे थे. स्टीव उनको अच्छे से मसल रहा था. ऋतु के निपल जो की हल्के भूरे रंग के थे इस मसलने की वजह से अब लाल हो गये थे. ऋतु को अब गान्ड मरवाने में मज़ा भी आने लगा था. वो कुछ ना कुछ बोल के स्टीव को आनंदित कर रही थी, “ओह स्टीव, यू आर सो गुड … योर कॉक इज सो बिग … फक माइ एस … माइ आस ईज़ फुल्ली स्ट्रेच्ड … दिस ईज़ द बेस्ट फक ऑफ माइ लाइफ.” यह सब सुन कर स्टीव उसे पूरी ताक़त से पेलने लगा. थोड़ी ही देर में उसके लंड में प्रेशर बनने लगा. उसने स्पीड और तेज़ कर दी. ऋतु उसके बाल्स को हल्के से दबाए जा रही थी. स्टीव से रहा ना गया और उसने ऋतु की गान्ड में अपने वीर्य की बौछार कर दी. वो अभी भी झटके दिए जा रहा था. फाइनली स्टीव रुका और उसने लंड ऋतु की गान्ड से बाहर निकाला. वो थक कर बैठ गया. ऋतु की गान्ड से स्टीव का वीर्य बह कर बाहर आ रहा था. ऋतु भी पसीने से लथपथ हो कर पड़ गई. स्टीव ने पहले उसको बड़ी तबीयत से चोदा था और ऋतु अरसे बाद चुदी थी. फिर उसने ऋतु की गांड पर जो जबरदस्त हमला किया उस से शुरू में तो ऋतु को बहुत दर्द हुआ पर बाद में उतना ही मज़ा भी आया. स्टीव भी मज़े की इंतिहा से पस्त हो गया था. कुछ देर दोनो एक दूसरे के आस पास पड़े रहे. फिर स्टीव ने उठ कर एल्मिरा में से अपने वॉलेट निकाल के उसमे से $200 निकाल के ऋतु को देते हुए कहा, “हियर स्वीटहार्ट, गेट योरसेल्फ ए गिफ्ट.” ऋतु ने स्टीव के हाथ में $100 के दो नोट देखे और उसको एक पल के लिए यह एहसास हुआ की वो क्या बन चुकी हैं. यह सोचते ही उसका मन एकदम से विचलित हुआ लेकिन अगले ही पल उसने यह ख़याल हटा के मुस्कुराते हुए स्टीव से वो पैसे लिए और उसको किस किया और कहा, “ओह स्टीव डार्लिंग, दिस वाज़ द बेस्ट नाइट ऑफ माइ लाइफ. यू आर ए स्ट्रॉंग मॅन!! आइ होप वी गेट टुगेदर अगेन.” “सून बेबी, गुड नाइट.” “गुड नाइट, डार्लिंग.” ऋतु ने अपने कपड़े पहने और स्टीव के रूम से चली आई. उसने रूम सर्विस बखूबी दी थी और स्टीव ने उसकी सर्विस से खुश हो के उसे अच्छी टिप भी दी थी. चलते चलते ऋतु की आँखों के सामने उसकी ज़िंदगी की फिल्म चलने लगी. कैसे वो पठानकोट से दिल्ली आई थी ट्रेन में ... पूजा के साथ हॉस्टल में … पहली जॉब ... करण के साथ गुज़ारे हसीन पल … उसका पहला प्यार … करण के हाथों बेवक़ूफ़ बनना … फिर उसका का अकेलापन ... उसके घर की परेशानियाँ … होटेल की नौकरी … और एक एंप्लायी से एक कॉल गर्ल बनने तक की जर्नी. चलते चलते ऋतु की आँखों से आँसू आने लगे लेकिन ऋतु ने उनको पोंछा और अपना दिल मज़बूत किया. पर्स से फोन निकाला और लास्ट डायल्ड नंबर को रिडायल किया. दूसरी तरफ फोन उठने पर ऋतु बोली, “सैटिस्फॉइड द कस्टमर. गोइंग होम.” और फोन काट कर चल दी. समाप्त |
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